फसल की खेती (Crop Cultivation)

लाल सड़न से बचाव: गन्ना किसानों के लिए अनिवार्य उपाय

08 जून 2024, भोपाल: लाल सड़न से बचाव: गन्ना किसानों के लिए अनिवार्य उपाय – लाल सड़न रोग गन्ने की खेती में एक बड़ी समस्या बन चुका है, खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में। आईसीएआर-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान  और अन्य अनुसंधान केंद्रों ने इस रोग के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए कई प्रभावी उपाय सुझाए हैं।

तात्कालिक कदम

1. फसल की निगरानी: प्रभावित क्षेत्रों के आसपास की गन्ना फसल की नियमित निगरानी की जानी चाहिए। गर्मी के महीनों में रोग के लक्षण अधिक दिख सकते हैं, जिन्हें तुरंत हटाना और नष्ट करना चाहिए।

2. फफूंदनाशी छिड़काव: प्रभावित क्षेत्रों में थीओफेनेट मिथाइल (0.1%) का तीन सप्ताह के अंतराल पर छिड़काव किया जाना चाहिए। यह प्रक्रिया मई से जुलाई के बीच 2-3 बार दोहराई जानी चाहिए।

3. फसल कटाई: प्रभावित क्षेत्रों की फसल को तुरंत काट कर हटाया जाना चाहिए और फंगीसाइड्स का उपयोग करके खेत को साफ किया जाना चाहिए। प्रभावित फसल के सभी स्टबल्स को जला कर नष्ट कर देना चाहिए।

दीर्घकालिक उपाय

1. फसल चक्रण: रोगग्रस्त क्षेत्रों में एक मौसम के लिए चावल-गेहूं फसल चक्रण या तिलहन फसल उगाई जा सकती है। इसके बाद, अगले वसंत सीजन (फरवरी-मार्च) में गन्ने की नई फसल लगाई जा सकती है।

2. मिश्रित खेती: गन्ना मिलों को सलाह दी जाती है कि वे अपने क्षेत्रों में विभिन्न किस्मों की मिश्रित खेती करें और किसी एक किस्म का 40% से अधिक क्षेत्र में विस्तार न करें। अनुशंसित किस्में जैसे CoLk 14201, CoLk 15201, CoS 13235 आदि का उपयोग किया जाना चाहिए।

विशेषज्ञों की सलाह

डॉ. आर. विश्वनाथन, निदेशक, ICAR-IISR, लखनऊ ने बताया कि लाल सड़न रोग को नियंत्रित करने के लिए बीज की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए और किसानों को स्वस्थ बीज के उपयोग के लिए शिक्षित किया जाना चाहिए। डॉ. दिनेश सिंह, प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर, गन्ने पर एआईसीआरपी, आईसीएआर-आईआईएसआर  ने कहा कि बीज उत्पादन एवं वितरण में उद्यमिता को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और एक मजबूत बीज रिप्लेसमेंट प्रोग्राम लागू किया जाना चाहिए।

अन्य प्रबंधन सुझाव

1. फफूंदनाशी से बीज उपचार: लाल सड़न प्रभावित क्षेत्रों में गन्ने की बुवाई से पहले थीओफेनेट मिथाइल (0.1%) से बीज का उपचार अनिवार्य किया जाना चाहिए।

2. प्रोफिलेक्टिक स्प्रे: स्वस्थ फसल को रोग से बचाने के लिए मई से जुलाई के बीच 2-3 बार फफूंदनाशी का छिड़काव करें।

3. उन्नत बीज उत्पादन: किसानों को उन्नत और रोगमुक्त बीज का उत्पादन करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और एक प्रभावी निगरानी प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।

इन उपायों को अपनाकर हम लाल सड़नके प्रकोप को नियंत्रित कर सकते हैं और गन्ने की खेती को सुरक्षित रख सकते हैं।

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