फसल की खेती (Crop Cultivation)

कीटनाशकों के प्रयोग में सावधानियां

  • दीपक चौहान (वैज्ञानिक-कृषि अभियांत्रिकी), डॉ. मृगेन्द्र सिंह (वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख)
  • डॉ. अल्पना शर्मा (वैज्ञानिक), डॉ. बृजकिशोर प्रजापति (वैज्ञानिक) .
  • भागवत प्रसाद पंद्रे (कार्यक्रम सहायक), कृषि विज्ञान केन्द्र शहडोल,
    जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय, जबलपुर (म. प्र.)

15 दिसंबर 2021, कीटनाशकों के प्रयोग में सावधानियां – कीटनाशकों के प्रयोग में सावधानी  ही सुरक्षा – किसान अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करता है एवं यह कीटनाशक जहरीले तथा मूल्यवान होते हैं, इन कीटनाशकों के प्रयोग की जानकारी के आभाव में कृषक एवं कृषक परिवार को जान जोखिम का सामना करना पड़ता है, इसलिए कृषकों को इसके उपयोग की एवं उपयोग के बाद क्या-क्या सावधानी रखना चाहिए इसकी जानकारी रखना अत्यंत आवश्यक है। कीटनाशकों के घातक प्रभाव से बचने के लिए आवश्यक होता है की उन पर लिखे हुए निर्देशों का पालन सही तरीके से करें एवं किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें क्योंकि थोड़ी भी लापरवाही बहुत बड़े नुकसान का कारण बन सकती है।

कीटनाशकों के प्रयोग से पहले सावधानियां

सर्वप्रथम किसानों को फसलों के शत्रु कीटों की पहचान कर लेना चाहिए, यदि पहचान संभव नहीं है तो स्थानीय स्तर पर उपस्थित कृषि विशेषज्ञ से कीट की पहचान करवा कर कीट के अनुरूप कीटनाशी का क्रय करना चाहिए।

  • कीटनाशक का प्रयोग तभी करना चाहिए जब कीट द्वारा आर्थिक नुकसान की क्षति निम्न स्तर की सीमा से अधिक हो गयी हो।
  • कीट को मारने का सही तरीका एवं समय का ध्यान रखना चाहिए।
  • कीटनाशकों के विषाक्ता को प्रदर्शित करने के लिए कीटनाशक के डिब्बे पर तिकोने आकार का हरा, नीला, पीला एवं लाल रंग का निशान बना होता है। सबसे पहले लाल निशान वाले कीटनाशी का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योकि लाल निशान के कीटनाशी समस्त स्तनधारियों पर सबसे अधिक नुकसान करते है। लाल निशान वाले कीटनाशी की अपेक्षा पीले रंग के निशान वाले कीटनाशी कम तथा पीले रंग के कीटनाशी की अपेक्षा नीले रंग के निशान वाले कम नुकसान पहुंचाते है। सबसे कम नुकसान हरे रंग के निशान वाले कीटनाशी से होता है।
  • कीटनाशक खरीदते समय हमेशा उसके उत्पादन की तिथि एवं उपयोग की अंतिम तिथि को अवश्य पढ़ लेना चाहिए ताकि पुरानी दवाई को खरीदने से बचा जा सके क्योंकि पुरानी दवा कम अथवा नहीं के बराबर असरदार हो सकती है, जिससे आर्थिक नुकसान से बचा जा सकता है।
  • कीटनाशक के पैकिंग के साथ एक उपयोग करने के लिए निर्देशिका पुस्तिका अथवा लीफलेट को ध्यानपूर्वक पडऩा आवश्यक है, जिससे उपयोग का तरीका तथा मात्रा प्रयोग की जा सकती है।
  • कीटनाशकों का भण्डारण हमेशा साफ सुथरी, हवादार एवं सूखे स्थान पर करें।
  • यदि अलग – अलग समूहों के कीटनाशकों का प्रयोग करना हो तो एक के बाद दूसरे का प्रयोग करें।
  • ऐसे कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करें जिसके प्रयोग से पत्तों में रासायनिक अम्ल बनता हो।
कीटनाशियों के प्रयोग के बाद सावधानियां
  • बचे हुए घोल को कभी भी पम्प में नहीं छोड़ें।
  • खली डिब्बे को किसी अन्य काम में नहीं लें बल्कि उसे नष्ट कर दें।
  • कीटनाशी के छिडक़ाव के समय प्रयोग में लाये गए कपड़े, बर्तन को अच्छी तरह से धोकर रखें।
  • जिस भी कीटनाशक का प्रयोग करें उसका सम्पूर्ण विवरण लिखकर रख लें।
  • बचे हुए कीटनाशक की शेष मात्रा को सुरक्षित स्थान पर भंडारित कर दें।
  • पम्प को अच्छी तरह से साफ करके सुरक्षित स्थान पर रखें।
  • कीटनाशी के कागज या प्लास्टिक को यदि जलाना हो तो उसके धुंए के पास नहीं खड़ा हों।
  • कीटनाशी के छिडक़ाव के बाद अच्छी तरह से स्नान करके दूसरे वस्त्र पहने।
  • कीटनाशी छिडक़ाव के बाद छिडक़े गए खेत में किसी व्यक्ति एवं जानवर को नहीं जाने दें।
  • कीटनाशी छिडक़ाव के बाद छ: घंटे तक वर्षा नहीं हो। यदि वर्षा हो जाये तो पुन: छिडक़ाव करें।
  • अंतिम छिडक़ाव एवं फसल की कटाई ता तुड़ाई के समय दवा में बताये अंतराल का अवश्य ध्यान रखें।
विष का प्राथमिक उपचार

सभी प्रकार की सावधानी रखने के उपरांत भी यदि कोई व्यक्ति इन कीटनाशकों का शिकार हो जाये तो निम्नलिखित सावधानियां अपनायें।

  • रोगी के शरीर से विष को अति शीघ्र निकलने का प्रयास करें।
  • विषमार दवा का तुरंत प्रयोग करें।
  • रोगी को तुरंत पास के किसी अस्पताल या डॉक्टर के पास ले जायें।
  • यदि जहर खा लिया हो तो एक ग्लास गुनगुने पानी में दो चम्मच नमक का घोल मिला कर उलटी करें।
  • यदि व्यक्ति ने विष सूंघ लिया हो तो रोगी को शीघ्र खुले स्थान पर ले जायें, शरीर के कपड़े ढीले कर दें, यदि दौरे पड़ रहे हो तो अँधेरे स्थान पर के जायें।
  • यदि साँस लेने परेशानी हो रही हो तो रोगी को पेट के सहारे लिटाकर उसकी बाँहों को सामने की और फैला लें एवं रोगी की पीठ को हल्के – हल्के सहलाते हुए दबाएं तथा कत्रिम श्वांस का प्रबंध करें।

इस प्रकार उपरोक्त सावधानियां को ध्यान में रखते हुए यदि कीटनाशियों का प्रयोग किया जाए तो इनसे होने वाले किसी भी प्रकार के नुकसान से बचा जा सकता है।

कीटनाशकों के प्रयोग करते समय सावधानियां-
  • शरीर को पूरी तरह से बचाने के लिये ऐसे कपड़े पहने जो पूरी तरह से शरीर को ढक सके जिससे यदि कीटनाशक रसायन कपड़ों पर लग जाये तो उसे बदला जा सकता है एवं हाथों में रबर के दस्ताने अवश्य पहनें तथा मुँह पर मास्क लगा लें एवं आँखों की सुरक्षा के लिए चश्मा लगा लें।
  • बहुत जहरीले कीटनाशी को प्रयोग करते समय अकेले कार्य नहीं करें एक या दो व्यक्तियों को खेत के बाहर मौजूद रहें आपातकाल में जल्द मदद मिल सके।
  • कीटनाशी को मिलाने के लिए लकड़ी के डंडे का प्रयोग करें तथा घोल को ढककर रखें ताकि उसे छोटे बच्चे एवं कोई पशु धोखे में पी न ले।
  • कीटनाशी छिडक़ने वाले को छिडक़ाव की पूरी जानकारी हो तथा उसके शरीर पर कोई घाव नहीं हो तथा छिडक़ाव के समय चलने वाली हवा से बचें।
  • कीटनाशी का घोल बनाते समय किसी बच्चे या अन्य आदमी या जानवर को पास में नहीं रहने दें।
  • दवा के साथ मिली हुई प्रयोग पुस्तिका को अच्छे से पड़ कर उसके अनुसार कार्य करें।
  • कीटनाशक का छिडक़ाव करने के पश्चात त्वचा को अच्छी तरह से साफ कर लें।
  • छिडक़ाव के समय साफ पानी की पर्याप्त मात्रा पास में रखें।
  • कीटनाशी मिलते समय जिस दिशा से हवा का बहाव हो रहा हे उसी दिशा में खड़े होकर कीटनाशी को मिलायें।
  • कीटनाशी का धुंआ सांस के द्वारा शरीर के अंदर नहीं जाने दें।
  • एक बार जितनी आवश्यकता हो उतना ही कीटनाशी ले जायें।
  • कीटनाशक छिडक़ने वाले यंत्र की जाँच कर लें, यदि यंत्र सही काम नहीं कर रहा हो तो उसकी मरम्मत कर लें तथा नोजल को कभी भी मुँह से खोलने का प्रयास नहीं करें।
  • तरल कीटनाशियों को सावधानीपूर्वक मशीन में डालें एवं यह ध्यान रखें की किसी भी प्रकार मुंह, कान, नाक, आँख आदि में रसायन न जाए। यदि गलती से ऐसा हो तो तुरंत साफ पानी से बार – बार प्रभावित अंग को धोयें।
  • कीटनाशी का प्रयोग करते समय किसी प्रकार का धूम्रपान या कोई खान -पान नहीं करें।
  • कीटनाशी का प्रयोग करते समय यह सुनिश्चित कर लें की कीटनाशी की मात्रा पूरी तरह से पानी में घुल गयी हो।
  • हवा के विपरीत दिशा में खड़े होकर छिडक़ाव या भुरकाव करें
  • छिडक़ाव के लिए उपयुक्त समय सुबह या सायंकाल का हो यथा यह ध्यान रखें की हवा की गति 7 किमी प्रति घंटा से कम ही हो तथा तापमान 21 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास रहना सर्वोत्तम होता है।
  • फूल आने पर फसलों पर कम से कम छिडक़ाव करें और यदि छिडक़ाव करना हो तो हमेशा सायंकाल में ही छिडक़ाव करें, जिससे मधुमक्खियां रसायन से प्रभावित न हो।
  • कीटनाशकों का व्यक्ति पर प्रभाव दिखने लगे तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाए साथ ही कीटनाशी का डिब्बा भी लेकर जायें।

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *