सोयाबीन में पौध संरक्षण
सोयाबीन में पौध संरक्षण – कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डॉ. बी.एस. किरार, उपसंचालक कृषि, एस.के. श्रीवास्तव, वैज्ञानिक डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. यू.एस. धाकड़, डॉ. आई.डी. सिंह एवं कृषकों के साथ समूह अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन सोयाबीन खेतों का ग्राम चंदेरी खास, महोबिया विकास खण्ड बल्देवगढ़ में भ्रमण किया गया। भ्रमण के दौरान वैज्ञानिकों ने किसानों को फसल से खरपतवार निकालने एवं खेत से जल निकास की नालियाँ बनाने की उचित सलाह दी।
साथ ही सोयाबीन फसल से पीला रोग ग्रसित पौधों को शीघ्र निकालकर खेत में गड्ढा बनाकर दबा दें, जिससे सफेद मक्खी पीला रोग से प्रभावित पौधों से रस चूसकर दूसरे स्वस्थ्य पौधों को प्रभावित न कर सके। इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल. डाइमेथोएट दवा का छिडकाव करें। फसल में पत्तियों में छिद्र भी दिखाई दे रहे हैं इसलिए पत्तियाँ खाने वाली इल्लियों के नियंत्रण क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल या इंडोक्साकार्ब या क्विनालफॉस दवा का छिडकाव करें। पत्ती खाने वाली इल्लियों के प्रबंधन के लिए जैविक कीटनाशक ब्युवेरिया बेसियाना 400 मि.ली. प्रति एकड़ 200 ली. पानी में घोल बनाकर कीट की प्रारंभिक अवस्था में ही छिड़काव कर देना चाहिए।
फसलों को कीट से बचाने के लिए खेतों की मेड़ों पर प्रकाश प्रपंच (लाईट ट्रैप) लगायें। यदि लाईट ट्रैप नहीं है तो मेड़ों पर 2-3 जगह पर बल्ब लगाकर उसके नीचे तस्सल में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें मिट्टी के तेल (केरोसीन) की डालकर रख देना चाहिए। ऐसा करने से नर कीट लाईट की ओर आकर्षित होकर नीचे पानी के तस्सल में गिरकर मर जाते हैं। वर्षात रुकने पर अच्छे फूल एवं फलियों हेतु पौध वर्धक जैव जैव उर्वरक स्यूडोमोनास 2 ली. प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने से उत्पादन में 15-20 प्रतिशत तक वृद्धि होगी। एस.के. श्रीवास्तव, उप संचालक कृषि द्वारा किसानों को शासन की योजनाओं से अवगत कराया गया और स्प्रिंकलर सेट एवं पाईपों व डीजल / विद्धुत पम्पों के बारे में बताया गया और कहा गया कि शासन की योजनाओं के लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा।