Crop Cultivation (फसल की खेती)

कपास में कीट नियंत्रण

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  • सतीश परसाई
    राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय,
    क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र, कृषि महाविद्यालय खंडवा

8 अगस्त 2022, कपास में कीट नियंत्रण –

  • कीट प्रकोप की स्थिति पर लगातार निगरानी रखें और प्रकोप के आरंभ होते ही समेकित कीट प्रबंधन के उपाय करें।
  • ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करें एवं 2-3 वर्षों में भूमि को मृदा पलट हल से पलटायें।
  • फसल की समय पर कटाई करें और अगली फसल लें।
  • कपास को लम्बे समय रखना एवं उसकी पेढ़ी की फसल लेना कृषकों द्वारा बंद कर देना चाहिए।
  • फसल अवशेषों एवं फसल के डंठलों को जलाकर नष्ट कर दें।
  • कीट रोकथाम का सबसे प्रभावशाली तरीका फसल चक्र है, यदि कृषक समयानुसार फसल चक्र अपनाता है तो कीट प्रकोप की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।
  • जहां तक संभव हो कृषकों द्वारा शीघ्र पकने वाली कपास की जातियों का चयन करें, जिससे फसल में घेटे कीट का अत्यधिक प्रकोप होने के पूर्व ही परिपक्व हो जायें।
  • बी.टी. कपास के चारों ओर नान बी.टी. रिफ्यूजिया कपास निर्धारित मात्रा में आवश्यकता तौर पर लगायें।
  • डबल सीडेड कपास बीज को बुवाई हेतु उपयोग न करें क्योंकि उनमें गुलाबी डेन्डू छेदक के पाए जाने की संभावना ज्यादा रहती है।
  • गुलाबी इल्ली से सुरक्षा हेतु बीजों को अप्रैल-मई की तेज गर्मी में 2 से 3 दिनों के लिए सुखाएं अथवा उसे 60 डिग्री सेल्सियस तापक्रम पर 15 मिनिट के लिए रखें।
  • गुलाबी डेन्डू छेदक की रक्षा हेतु बीज को बुवाई पूर्व वायु अवरोधक पात्रों अथवा भण्डार गृहों में मिथाईल ब्रोमाइड 2 ली./ 100 घन मीटर से प्रद्यूमित किया जा सकता है।
  • समय पर फसल की बुवाई करें। फसल की अलग-अलग समय पर बुवाई को निरुत्साहित करें।
  • कीट प्रकोप पर सतत निगरानी रखने के लिए फसल की पुष्पन अवस्था से खेतों में फेरोमेन प्रपंच 10 प्रति हेक्टेयर की दर से स्थापित करें तथा प्रति सप्ताह हरे घेटे तोडक़र उनमें कीट की उपस्थिति का मूल्यांकन करें। फेरोमेन प्रपंच के सेप्टा/ल्योर को प्रत्येक 21 दिनों में बदलें। इस प्रपंच की सहायता से नर पंखियों को एकत्र करना संभव है।
  • समय-समय पर कपास घेटों को तोडक़र उनमें गुलाबी इल्ली के प्रकोप की स्थिति का अवलोकन करें जैसे ही कीट प्रकोप दिखाई दे उसके प्रबंधन की व्यवस्था करें।
  • चकरीनुमा फूल, गिरे हुए घेटों, सूखे फूलों, फूल पुडिय़ों एवं अपरिपक्व घेटों को शीघ्र-अतिशीघ्र नष्ट करें। इससे कीट के अग्रिम प्रकोप को रोका जा सकता है।
  • जब अधिकतम पुष्पन की स्थिति हो तब परजीवी ट्राइकोग्रामा का उपयोग करें।
  • कीट का आर्थिक हानि स्तर (ईटीएल) 8 वयस्क/प्रति प्रपंच प्रति रात्रि अथवा 10 प्रतिशत हरे घेटों (डेंडुओं) पर प्रकोप होना है। इस स्तर पर कीट संख्या होने पर आरंभिक नियंत्रण उपायों को अपनायें।
  • शुरुआती प्रकोप की स्थिति में क्विनालफॉस 25 ईसी/2 मिली/ली. या थाइडिओकार्ब 2 ग्रा./ली. या प्रोफेनोफॉस 50 ईसी 2 मिली/लीटर का छिडक़ाव करें।
  • कीट प्रकोप का आर्थिक मानक स्तर आने पर पायरेथ्राइड कीटनाशकों जैसे- लेम्डासायहेलोथ्रिन 1 मिली/लीटर का छिडक़ाव करें। इसके अलावा अन्य कीटनाशकों में इमामेक्टिन बेन्जोएट 5 प्रतिशत एसजी 190-220 ग्रा./हेक्टेयर, इंडोक्साकार्ब 14.5 एससी 500 मिली/हेक्टेयर या फ्लूबेन्डामाईड 39.35 एससी 100-125 ग्रा./हेक्टेयर में से किसी एक उपयोग किया जा सकता है।
  • नवम्बर के पूर्व पायरेथ्राइड कीटनाशकों अथवा कीटनाशकों के मिश्रण के प्रयोग को निरुत्साहित करें।
  • कपास की अंतिम चुनाई के पश्चात पालतू पशुओं व भेड़- बकरियों को खेत में शेष रहे घेटों एवं कीट प्रकोपित अवशेषों, घेटों को खाने के लिए छोड़ें। इससे अगले वर्ष कीट प्रकोप को रोकने में मदद मिलेगी।
  • इस प्रकार आरंभ से ही गुलाबी डेन्डू छेदक के प्रबंधन के सामयिक उपाय अपना लिए जाएं तो हम फसल का भरपूर उत्पादन ले सकते हैं।

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