मटर की फसल में फलीभेदक कीट का प्रकोप: किसान क्या करें?
11 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: मटर की फसल में फलीभेदक कीट का प्रकोप: किसान क्या करें? – मटर की खेती के दौरान किसानों को कई तरह की कीट समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिनमें पॉड बोरर यानी फलीभेदक कीट सबसे नुकसानदायक मानी जाती है। यह कीट फली को भीतर से खोकला कर देता है। दानों को खा जाता है और पैदावार पर सीधा असर डालता है।
फलीभेदक कीट क्यों बढ़ता है?
फलीभेदक कीट गर्म और शुष्क मौसम में तेजी से सक्रिय होता है। इसके लार्वा फली के अंदर घुसकर दानों को खाते हैं। बाहर से दिखाई देने वाला नुकसान अक्सर देर से समझ आता है। कई किसान इसे सामान्य दाग-धब्बा समझकर आगे बढ़ जाते हैं।
इसके कारण फली भले ही बाहर से ठीक दिखाई दे, लेकिन अंदर दाने पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं। इसलिए समय पर पहचान बेहद ज़रूरी है।
नियंत्रण के प्रभावी तरीके
फलीभेदक पर नियंत्रण का सबसे सरल और सुरक्षित तरीका है नीम। नीम तेल का 5% घोल बनाकर छिड़काव करने से यह कीट नियंत्रित हो जाता है। नीम का तेल कीट के लार्वा को प्रभावित करता है और उसकी संख्या बढ़ने नहीं देता। अगर प्रकोप अधिक हो जाए और नीम का असर पर्याप्त न दिखे, तो रासायनिक नियंत्रण अपनाना पड़ता है। किसानों के लिए सबसे कारगर विकल्प है स्पाइनोसैड। स्पाइनोसैड की 60–70 मिली मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर 1 एकड़ में छिड़काव करना। स्पाइनोसैड सीधे लार्वा पर असर डालता है और तेजी से प्रकोप को कम करता है। ध्यान रखें कि छिड़काव सुबह या शाम के समय करें। जब तापमान कम हो और दवा की प्रभावशीलता ज्यादा बनी रहे।
छिड़काव करते समय पत्तियों और फली की दोनों सतहों पर दवा पहुँचे, यह खास ध्यान रखें। साथ ही खेत में नियमित निगरानी जरूरी है। यह कीट धीरे-धीरे फैलता है और जल्द पकड़ में आ जाए तो फसल बचाना आसान रहता है।
मटर की फसल को फलीभेदक से बचाने के लिए किसान अगर समय पर नीम तेल और आवश्यकता पड़ने पर स्पाइनोसैड का उपयोग करें। तो नुकसान को काफी कम किया जा सकता है और अंतिम पैदावार सुरक्षित रहती है।
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