फसल की खेती (Crop Cultivation)

पकी गोबर खाद से अधिक लाभ

खाद निर्माण हेतु आवश्यक सामग्री
खाद उत्तम प्रकार से पक सके तथा खेत में पोषक तत्व एवं वायु का संचार कर सके इस हेतु निम्नलिखित सामग्री का उपयोग करें:
गोबर, हरा मुलायम चारा अथवा घास जो बिना फूल और बीज का हो अथवा फसलों के मुलायम अवशिष्ट, पानी, वायु और हल्की छनती हुई सी धूप।
पकी हुई उत्तम गुणवत्तायुक्त खाद ऐसे बनायें
खाद निर्माण हेतु निम्नलिखित में से कोई भी एक वैज्ञानिक विधि अपनायें:
भू-नाडेप
यह विधि खाद बनाने की सबसे सस्ती और सरल विधि है. खाद बनाने हेतु ऐसा छायादार स्थान चुनें जहाँ छन-छन कर धूप आ रही हो. जितने भी स्थान पर आप खाद बनाना चाहते हैं उस स्थान को गीले गोबर से लीपें (लगभग 20-25 हाथ के बराबर लम्बाई और 10-15 हाथ के बराबर चौड़ाई का स्थान) और इस स्थान के चारों ओर ज़मीन में पत्थर या ईंट की एक पर्त जमा दें ताकि सामग्री इस स्थान पर ही एकत्रित हो तथा फैले नहीं। इस स्थान पर गोबर तथा मुलायम चारा अथवा फसल के मुलायम अवशिष्ट (फूल और बीज से रहित) को

खाद निर्माण के दौरान यह न करें

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  •     गोबर की खाद बनाने हेतु मिट्टी का उपयोग कतई न करें। यह पकती नहीं है।
  •     किसान घर का कचड़ा  गोबर बनाने के ढेर में न डालें। यह भी पकता नहीं हैं।
  •     खाद बनाने के लिये मोटे डंठल और लकडिय़ों का उपयोग न करें इनको पकने में समय लगता है।
  •     ज़मीन के नीचे गड्ढे में खाद निर्माण सामग्री एकत्रित न करें क्योंकि वायु कि अनुपस्थिति में खाद कच्ची रह जाती है।

एकत्रित करें। कमर से ऊपर की ऊँचाई का ढेर हो जाने पर इस ढेर को चारों ओर गोबर से लीपें एवं मोटे डंडे की सहायता से इस ढेर में चारों ओर गड़्ढे बनायें। सप्ताह में 1-2 बार इस ढेर की सिंचाई करें। सिंचाई के लिये गड्ढों का उपयोग करें। यह ढेर लगभग 85-90 दिन के उपरांत ऊपर से दब जायेगा (बैठ जायेगा)। सुबह 4-5 बजे के बीच आप देखेंगे तो इस ढेर में से भाप निकलना बन्द हो चुकी होगी। अब ढेर की गहराई से थोड़ी सी खाद निकालकर देखें तो पायेंगे कि खाद ठंडी हो चुकी है। यह खाद अब खेत में डालने को तैयार है.
खाद के जामन से जल्दी खाद बनायें
इस तैयार खाद में से 1 बोरी खाद बचा लें. अगली बार जब भू नाडेप/टटिया नाडेप/ पक्के नाडेप में सामग्री भर रहे हों तो प्रत्येक एक बीता (लगभग 6 इंच की) पर्त भरने के बाद 1-2 मुट्ठी पुरानी बची हुई खाद ऊपर से छिड़क दें। जिस प्रकार से दही जमाने के लिये दूध में जामन कार्य करता है उसी प्रकार  यह पुरानी खाद कार्य करती है. खाद निर्माण की बाकी की प्रक्रिया पूर्ववत ही अपनायें। इस बार लगभग 75 दिन में ही गोबर की ठंडी खाद तैयार हो जायेगी।

 गोबर खाद को यूं पहचाने

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 गर्म है तो गोबर, ठंडी है तो खाद
जमा है तो गोबर, भुरभुरी है तो खाद
हरा है तो गोबर, भूरी है तो खाद
भारी है तो गोबर, हल्की है तो खाद
महके तो गोबर, न महके तो खाद
गर्म है तो गोबर, ठंडी है तो खाद।

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कच्ची खाद के उपयोग के दुष्परिणाम  
ज़मीन के अन्दर गड्ढे में वायु की अनुपस्थिति में तैयार कच्ची खाद में खरपतवार के बीज, कीटों के अंडे, दीमक तथा रोगाणु उपस्थित होते हैं। इस प्रकार की कच्ची खाद के उपयोग से खेत में खरपतवार के बीज कीट एवं रोगाणु भारी संख्या में पहुँचते हैं तथा समय पा कर फसल को नुकसान पहुँचाते हैं. इनके नियंत्रण में खेती की लागत बढ़ती है तथा लाभांश में कमी आती है।
आगामी खरीफ के लिये अनुशंसा
अभी आपके घर के पीछे बने गड्ढे में गोबर, चारा और फसल अवशिष्ट वायु की अनुपस्थिति में कच्चे स्वरूप में विद्यमान होगा जो जिसे आषाढ़ में आप खोद कर निकालेंगे। यह बहुत ही गर्म, हरे रंग के कच्चे गोबर के स्वरूप में प्राप्त होगा। जब इसे आप खेत में डालेंगे तब इस गोबर में उपस्थित खरपतवार के बीज खेत में उग जायेंगे और कीट और रोग आपके खेत में फैल जायेंगे।
यदि आप इस समस्या से बचना चाहते हैं तो अभी इसी समय जब आप यह लेख पढ़ रही हैं, उठें और गोबर को गड्ढे से खोद कर धरती के ऊपर निकालें, इस ढेर को व्यवस्थित कर चारों ओर पत्थर अथवा ईंट की पर्त बांधें और इसे रोज़ सींचे। जब यह ठंडा हो जाये तभी इसे खेत में डालें। इस प्रकार की खाद से आपकी खेती में लाभ होगा नुकसान नहीं।

  •     क्या आप ज़मीन के भीतर गड्ढे में गोबर की खाद का निर्माण करते है
  •     जब आप गोबर की खाद को खोद कर ज़मीन से खोदकर खेत में डालने के लिये, बाहर निकालते हैं क्या गोबर की खाद गर्म, हरी, भारी एवं जमी हुई निकलती है.
  • क्या इस प्रकार की गोबर खाद को खेत में डालने के उपरांत, पहली बारिश होने के तुरंत बाद खरपतवार उगने प्रारम्भ हो जाते हैं और कीट तथा बीमारियों का आक्रमण हो जाता है.
  • क्या इन खरपतवार, दीमक, कीट और बीमारियों को रोकने के प्रयास में आप खेती की लागत को बढ़ा कर लाभांश कम कर लेते हैं.
  • क्या आप इस नुकसान से छुटकारा पाना चाहते हैं और गोबर की खाद को ज़मीन की सतह के ऊपर भू-नाडेप, टटिया नाडेप अथवा पक्के नाडेप द्वारा तैयार कर खाद का लाभ लेना चाहते हैं।

पाले से फसलों के बचाव के उपाय

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