फसल की खेती (Crop Cultivation)

जैव उर्वरकों की प्रयोग विधि: सही तरीका ही दिलाएगा पूरा लाभ

16 दिसंबर 2025, भोपाल: जैव उर्वरकों की प्रयोग विधि: सही तरीका ही दिलाएगा पूरा लाभ – जैव उर्वरकों का सबसे ज्यादा फायदा तभी मिलता है, जब उनका इस्तेमाल वैज्ञानिक तरीके से किया जाए। पूसा संस्थान द्वारा उपलब्ध जैव उर्वरक मुख्य रूप से तीन तरीकों से प्रयोग किए जाते हैं। इनमे बीज उपचार, पौध रोपण उपचार और मृदा उपचार शामिल हैं।

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बीज उपचार के लिए 200 ग्राम कैरियर आधारित जैव उर्वरक को 250 मिलीलीटर पानी में 100 ग्राम गुड़ के घोल के साथ मिलाकर उपयोग किया जाता है। इस घोल को उबालकर ठंडा किया जाता है। इसमें फिर पूरा पैकेट मिलाकर बीजों पर अच्छी तरह लगाया जाता है। बीजों को छाया में सुखाकर तुरंत बुवाई कर देनी चाहिए। तरल जैव उर्वरक के मामले में 50 मिलीलीटर घोल को 1 लीटर पानी में मिलाकर सीधे बीज उपचार किया जा सकता है। इसमें गुड़ के घोल की ज़रूरत नहीं पड़ती।

नर्सरी और खेत में उपयोग की विधि

अगर पौध नर्सरी में तैयार की गई है, तो रोपाई से पहले पौधों की जड़ों को जैव उर्वरक में डुबाकर रखते है। इसमें 10 से 20 मिनट तक पौधों की जड़ों को जैव उर्वरक के घोल में डुबोकर उपचारित किया जाता है। वहीं खेत में सीधे उपयोग के लिए 1 किलो जैव उर्वरक को 5 किलो सड़ी हुई खाद या खेत की मिट्टी में मिलाकर अंतिम जुताई से पहले खेत में समान रूप से फैलाया जाता है।

ड्रिप सिंचाई प्रणाली वाले किसान तरल जैव उर्वरकों का सीधे उपयोग कर सकते हैं। तरल जैव उर्वरकों की मात्रा सामान्य से दोगुनी रखनी चाहिए। 50 मिलीलीटर तरल जैव उर्वरक को कम से कम 10 लीटर पानी में घोलकर ड्रिप लाइन के माध्यम से दिया जाता है।

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जरूरी सावधानियां

जैव उर्वरकों का उपयोग करते समय यह ज़रूर जाँच ले कि पैकेट की एक्सपायरी डेट समाप्त न हुई हो। दलहनी फसलों में राइजोबियम का चयन फसल विशेष के अनुसार ही किया जाना चाहिए। साथ ही एजोटोबैक्टर, एजोस्पिरिलम, पीएसबी और केएसबी सभी फसलों के लिए उपयुक्त होते हैं।

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यदि बीज उपचार में रासायनिक कीटनाशक या फफूंदनाशक का प्रयोग किया गया हो, तो जैव उर्वरक का उपयोग कम से कम 24 घंटे बाद ही करें। एक बार पैकेट या बोतल खोलने के बाद उसे पूरा उपयोग करना बेहतर होता है, क्योंकि खुले रखने से लाभकारी जीवाणुओं की संख्या कम हो जाती है।

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