सोयाबीन में खरपतवार से बचाव के उपाय: उत्पादन को बढ़ाने के लिए समय पर करें नियंत्रण
17 जुलाई 2024, विदिशा: सोयाबीन में खरपतवार से बचाव के उपाय: उत्पादन को बढ़ाने के लिए समय पर करें नियंत्रण – कृषि विभाग के उप संचालक श्री केएस खपाडिया ने सोयाबीन की फसल में कीट रोग और खरपतवार के नियंत्रण के महत्व पर जोर देते हुए किसानों को महत्वपूर्ण सलाह दी है। श्री खपाडिया ने बताया कि समय पर नियंत्रण नहीं करने से सोयाबीन का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
श्री खपाडिया के अनुसार, सोयाबीन की फसल में संकड़ी पत्ती (एक दलपत्रीय) और चैड़ी पत्ती (दो दलपत्रीय) खरपतवार मुख्य रूप से पाए जाते हैं। इनमें सवा घास, दूब घास, बोकना, बोकनी, मोथा, दिवालिया, छोटी बड़ी दुद्दी, हजार दाना, सफेद मुर्ग आदि प्रमुख हैं।
उप संचालक ने कृषि वैज्ञानिकों की सलाह का हवाला देते हुए कहा कि फसल की प्रारंभिक अवस्था में 45 से 60 दिन तक फसल को खरपतवार मुक्त रखना चाहिए। इसके लिए 15 से 20 दिन की स्थिति में बेल चलित डोरा या कल्पा चलाना चाहिए या निंदाई-गुड़ाई करनी चाहिए। यदि लगातार बारिश हो रही हो तो खरपतवार प्रबंधन के लिए रसायनों का छिड़काव किया जा सकता है।
छिड़काव करते समय केवल अनुशंसित खरपतवारनाशी का ही उपयोग करें और इसके लिए 500 लीटर पानी प्रति हैक्टेयर का उपयोग करें। छिड़काव के लिए फ्लैट फेन या फ्लड जेट नोजल का ही उपयोग करें और छिड़काव नम या भुरभुरी मिट्टी में ही करें। सूखी मिट्टी पर छिड़काव नहीं करना चाहिए।
एक ही खरपतवारनाशी का बार-बार उपयोग नहीं करें। रसायन चक्र को अपनाएं और अनुशंसित नहीं हो तो एक से अधिक खरपतवारनाशी या उनका मिश्रित उपयोग कदापि न करें, इससे सोयाबीन के पूर्णतः खराब होने की आशंका रहती है। बोवनी के पूर्व या बोवनी के तुरंत बाद खरपतवारनाशियों का उपयोग करने की स्थिति में 20 से 25 दिन की स्थिति में बेल चलित डोरा या कल्पा चलाना चाहिए I
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