फसल की खेती (Crop Cultivation)

कपास के प्रमुख कीट

22 जुलाई 2024, भोपाल: कपास के प्रमुख कीट –

कपास की डेण्डू छेदक चित्तीदार इल्ली

हानि: चित्तीदार इल्ली कपास, भिण्डी को नुकसान पहुँचाती है। कपास की 20-25 दिन की अवस्था में कोमल तनों के अग्र भाग में ऊपर से सुरंग बनाकर उसे खोखला बना देती है जिससे ऊपरी कोपलें मुरझाने लगती हैं। यह उसकी पहचान है। ऐसी अवस्था में ऊपरी भाग में तीन-चार शाखाएँ फूट निकलती हैं। इल्ली, पत्ती-फूल व डेण्डूओं को खाती हैं। इसके नुकसान का लक्षण है। पत्ती का मुंह खुल जाता है वह आरंभिक अवस्था की पत्ती-फूल डेण्डू खिर जाते हैं।

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जीवन चक्र व नियंत्रण, उपाय का समय: साधारणत: एक पीढ़ी चक्र को 15-28 दिन का समय लगता है। मुरझाई कोपलों को काट कर इका करें व तने में सुरंग बनाकर घुसी हुई इल्ली को ऊपर से दबाकर मार दें। प्रथम चक्र में प्रति एकड़ 100-150 पौधे प्रभावित रहते हैं, इस कार्य को मात्र दो-तीन घण्टे का समय लगेगा, यह उपचार कारगर सिद्ध हुआ है, क्योंकि कीटनाशक दवा तने में प्रवेश करके इस इल्ली को मारने की क्षमता नहीं रखती है, यह याद रखें। यह कीट प्रति वर्ष 6-8 पीढिय़ां पूर्ण करती है। यह माह जुलाई-सितंबर में अत्यधिक सक्रिय होती है। प्रति मादा 250-350 अण्डे कोपल, पत्ती-फूल-डेण्डू पर एक-एक करके देती है जिसका आकार गोल व रंग नीला होता है। इल्ली के प्रकोप से पत्ती-फूल, छोटे डेण्डू खिर जाते हैं।

प्रकोप की पहचान: पत्ती का मुंह चौड़ा हो जाता है। इल्ली डेण्डू पर गोल छिद्र बनाकर अंदर घुसकर अपनी विष्टा से छिद्र बंद कर देती है। खिरी हुई पत्ती-फूल डेण्डूओं को इका कर के गड्ढे में बंद करें। तीनों प्रकार की इल्लियों और कुछ कोपल व पत्तियों का रस निकाल कर छिड़काव करे।

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हिलियोथिस- चने की हरी इल्ली-अमेरिकन बालवर्म :

हानि: कीटों द्वारा कई प्रकार की फसलों को नुकसान पहुँचता है उनमें कपास, चना, अरहर मुख्य हैं। आरंभिक अवस्था की छोटी (एक से दो स्टार) इल्ली कुछ समय पत्तियों को खाती है।

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नुकसान की पहचान: इस इल्ली के नुकसान की पहचान कलियों, छोटे से बड़े डेण्डू में गोल छिद्र बनाती है। बड़ी इल्ली (तीन से पांच स्टार) डेण्डू में सुरंग बना कर खाती है और पिछला हिस्सा प्राय: डेण्डू के बाहर रहता है। कली-पत्ती पर प्रकोप से मुंह चौड़ा होकर सूख कर गिर जाते हैं।

जीवन चक्र: यह पूरे वर्ष सक्रिय रहती है। नुकसान पहुंचाने वाली अवस्था इल्लियाँ (एक से पांच स्टार) होती हैं, जो तीन सप्ताह तक कई पत्ती, फूल, डेण्डूओं को खा जाती है। एक मादा 300-600 अण्डे पौधों की चमकदार हरी कोपलों, पत्ती, फूल, पर अलग-अलग देती है। अण्डे का रंग चमकदार हरा-पीला होता है।
मादा 40 प्रतिशत अण्डे सुरक्षित स्थान, याने पौधों के अग्रभाग कोपलों व कलियाँ पत्ती के पास में देती है। एक जीवन चक्र 15-30 दिन में पूरा होता है। एक वर्ष में 6-8 पीढ़ी तैयार होती हैं। अधिकतर नुकसान बादल युक्त मौसम में वर्षा के समय अगस्त से अक्टूबर तक होता है।
प्रथम चक्र में नियंत्रण हेतु प्रकोपित फूल, डेण्डू, इल्लियों को इक_ा कर नष्ट करें व साथ में एच.एन.पी. व्ही. वायरस बनाने व कुछ पत्तियों के साथ में पीसकर चटनी बनाएं व उसका घोल बनाकर छिड़काव करें। हानिकारक कीट समस्या बन कर उभरे उसके पहले ही उसे समाप्त करें, इसे अंग्रेजी में ‘नीप इन द बडÓ कहते हैं। यह उपाय अधिक कारगर है।

कपास की डेण्डू छेदक गुलाबी इल्ली:

हानि: कपास की गुलाबी डेण्डू छेदक इल्ली देश के मध्य, दक्षिण व अन्य क्षेत्रों में कम महत्व का कीट थी, जिसने वर्ष 2004-05 में अपना जीवन चक्र बदलते हुए भयंकर प्रकोप से देर से पकने वाली जातियों में तबाही मचा दी। डेण्डू ऊपर से स्वस्थ दिखते थे, पर फूटने पर फफूंद प्रकोपित कोडी कपास ने कृषकों को निराश किया है। इस कीट के बढ़ते प्रकोप की चेतावनी पूर्व में दी गई थी पर उस पर ध्यान नहीं देना घातक सिद्ध हुआ है।

प्रकोप की पहचान: इस कीट की इल्ली पत्ती-कली, फूल में घुसने के बाद, चिकने पदार्थ के रिसाव से फूल खिलने के समय फूल का मुंह बंद रहता है जिसे अंग्रेजी में ‘रोजेटीÓ या फिरकी फूल कहते हैं। दूसरी पहचान है इल्ली डेण्डू में बारीक सुरंग बनाकर चिकने रिसाव से उसे बंद (सील) कर देती है। कलियाँ-फूल छोटे डेण्डू, नहीं खिरने से कृषकों को इसके प्रकोप की भनक भी नहीं लगने पाती है। गुलाबी इल्ली बीच के गूदे को धीमे-धीमे खाकर उस डेण्डू में ही अपना जीवन चक्र पूरा करती है। अंतत: कोड़ी कपास से कृषकों का निराश होना स्वाभाविक है। वस्तुत: गुलाबी इल्ली-कपास की ऐसी गुप्त शत्रु है जो कपास बीज व रेशे को उसे नष्ट करने के बाद ही प्रकट होती है – याने कोड़ी कपास देखकर कृषक निराश होता है।

जीवन चक्र: यह अपना एक जीवन चक्र 14-28 दिन में पूरा करती है। एक वर्ष में 4-5 पीढिय़ों के चक्र को पूर्ण कर लेती है। एक मादा 150-200 अण्डे पत्ती-फूल, डेण्डूओं पर देती है। अण्डा मोती नुमा सफेद व थोड़ा लम्बा चपटा रहता है ।

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प्रकोप का समय: इसका प्रकोप साधारणत: सितम्बर-अक्टूबर माह में होता है, पर मध्य व दक्षिण क्षेत्र में जून-जुलाई से सक्रिय होने से महामारी का रूप धारण कर लेती है। जीवन चक्र को बाधित, जीवन चक्र पर अंकुश याने बचाव के उपाय से अगले उपचार कारगर सिद्ध होंगे। इस समस्या के निराकरण में ‘नीप इन द बडÓ उत्तम तरीका है। अन्य उपाय, रणनीति, जिसका विवरण अन्यत्र दिया गया है उसे आवश्यक रूप से अपनाएँ।

यदि गुलाबी सुंडी की उपस्थिति का पता चला है तो फसल पर किसी भी उल्लेखित अनुमोदित कृषि रसायन का छिड़काव करें जैसे सायन्ट्रानिलिप्रोले 7.3त्न 2/2 + डिफेंथियूरोन 36.4त्न 2/2 स्ष्ट, साइपरमेथ्रिन 10त्न स्ष्ट, फेनप्रोपेथ्रिन 10त्न श्वष्ट, फेनप्रोपेथ्रिन 30त्न श्वष्ट, क्विनलफॉस 20त्न ्रस्न, स्पिनेटोरम 11.70त्न स्ष्ट, क्लोरपायरीफॉस 50त्न + साइरमेथ्रिन 5त्न श्वष्ट या क्लोरपायरीफॉस 16त्न + अल्फासाइरमेथ्रिन 1त्न श्वष्ट। कृषि रसायन के सही उपयोग के लिए दवाई खरीदने पर उत्पाद पत्रक पर दिए गए उपयोग के निर्देश देखें।

स्पेडोप्टेरा-प्रोडोनिया-तम्बाकू की रोएंदार इल्ली

स्पेडोप्टेरा- तम्बाकू की इल्ली कई प्रजातियों की फसलों की पत्तियों को खाती है इससे पत्तियां छलनीनुमा हो जाती है। यह कीट कपास को भी नुकसान पहुंचाता है जिससे पत्तियाँ छलनीनुमा नसों-का ढांचा रह जाता है, जिससे फूल-फलन प्रभावित होता है। आरंभिक अवस्था की इल्लियाँ (एक से तीन स्टार तक) झुण्ड में रहती हैं, बाद में बिखर जाती हैं। प्राय: यह रात में सक्रिय होकर फसल का भक्षण करती हैं।

जीवन चक्र व नियंत्रण के उपाय: मादा 100-300 के झुण्ड में अण्डे देती है जिसके बचाव हेतु बालनुमा ‘स्केलÓ कवच से ढक देती है। एक मादा दो हजार तक अण्डे देती है। अण्डों से चार-पाँच दिन में इल्ली निकलती है। इल्ली 15-20 दिन के जीवन में छह ‘स्टारÓ याने अवस्थाओं से गुजरती है। चार-छ: स्टार दिन में कचरे पत्तियाँ जो जमीन पर पड़ी रहती हैं। उस में छिपी रहती हैं और रात में पौधों के तने को काटती -पत्तियों का भक्षण करती है। उपयुक्त स्थिति मिलने पर एक वर्ष में छ:-आठ पीढिय़ाँ उत्पन्न कर अपना जीवन चक्र पूर्ण करती हैं।

तम्बाकू इल्ली के प्रबंधन के लिए नीचे दिए गए अनुमोदित कृषि रसायनों में से किसी एक का उपयोग करें, जैसे क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 18.5त्न एससी, क्लोरफ्लूजुरोन 5.40त्न एससी, साइंट्रानिलिप्रोल 10.26त्न ओडी, डिफ्लुबेनजुरोन 25त्न डब्ल्यूपी, नोवालुरोन 8.8त्न 2/2 एससी या स्पिनेटोरम 11.70त्न एससी। कृषि रसायन के सही उपयोग के लिए दवाई खरीदने पर उत्पाद पत्रक पर दिए गए उपयोग के निर्देश देखें।

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