मूंगफली में समेकित नाशीजीव प्रबंधन
लेखक: डॉ. प्रद्युम्न सिंह, वैज्ञानिक, बीएम कृषि महाविद्यालय, खंडवा, प्रथम कुमार सिंह, स्कूल ऑफ़ एग्रीकल्चर,आईटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर, डॉ. प्रिंस माहोरे, स्कूल ऑफ़ एग्रीकल्चर, आईटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर, सीताराम सीरवी, कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर, ग्वालियर
20 जनवरी 2025, नई दिल्ली: मूंगफली में समेकित नाशीजीव प्रबंधन – मूंगफली मृदा/मिट्टी में नाईट्रोजन की वृद्धि करने वाली लेगुमिनोसी कुल फसल है। यह खरीफ एवं रबी के मौसम में उगाई जाने वाले महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। इसकी उत्पत्ति ब्राजील में मानी जाती है। तिलहनी फसलों में इसका प्रमुख स्थान है। मूंगफली खाने में स्वादिष्ट, पौष्टिक एवं प्रोटीन का एक सस्ता स्रोत है इसमें विटामिन ए, बी व बी2 भी प्रचुर मात्रा में होता है। हमारे देश में मूंगफली का उपयोग में तेल (81 प्रतिशत), बीज में (12 प्रतिशत), घरेलू उपयोग में (6 प्रतिशत) एवं निर्यात में (1 प्रतिशत) के रूप में होता है। हमारे देश में इसे मुख्यत: गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, उड़ीसा एवं मध्य प्रदेश राज्यों में उगाया जाता है। भारत में मूंगफली के कुल उत्पदान का 80 प्रतिशत क्षेत्र असिंचित क्षेत्र में है। इसके पौधे में सूखा सहन करने की शक्ति होती है। मूंगफली के फसल में कीड़ों के रोगों द्वारा काफी नुकसान होता है, आईपीएम को अपनाकर किसान भाई मूंगफली की फसल में होने वाले नुकसान को कम करके उपज बढ़ा सकते हैं। इससे अधिक आमदनी और शुद्ध लाभ में बढ़ोतरी होती है।
प्रमुख कीट
दीमक- यह बहुभक्षी कीट है, खेतों में जब पौधे छोटे होते हैं तो यह इनकी जड़ों को काट देती हैं जिससे पौधे सूख जात हैं। दीमक इनकी जड़ों को काट देती हैं जिससे पौधे सूख जाते हैं। दीमक मूंगफली के पौधों के तने एवं फलियों को भी नुकसान पहुँचाती हैं जिन पौधों पर दीमक का आक्रमण होता है उन पर कवक व जीवाणुजन्य रोग भी फ़ैल जाते हैं।
सफेद लट- इसका वयस्क कीट गहरे भूरे रंग का 2.5-5.0 मि. मि. चौड़ा तथा 10-15 मि. मि. लंबा होता है। मादा कीट आकार में नर की अपेक्षा बड़ी होती है। पूर्ण विकसित लट (ग्रब) अक्षर के आकार की मटमैली सफेद होती है। इसकेलट (ग्रब) भूमि में जड़ अत्यधिक हानि पहुँचाते हैं जिसके फलस्वरूप पौधे सूख जाते हैं।
हैलिकोवरपा- यह एक बहुभक्षी कीट है। इसका व्यस्क गहरे भूरे रंग का होता है। जिसके अगले पंख पर वृक्क के आकर का धब्बा पाया जाता है एवं उस पर मटमैली कतारें देखी जा सकती हैं। इसके पिछले पंख तुलनात्मक रूप से सफेद रंग के होते हैं इसकी लार्वा/ सुंडी लंबी एवं भूरे रंग की होती है जिसके शरीर पर गहरे रंग भूरे रंग एवं पीले रंग की धारियां पायी जाती हैं। इसकी सूंडियां पत्तियों को खाकर नुकसान पहुँचाती हैं।
पत्ती भक्षक कीट– यह बहुभक्षी कीड़ा हैं इसके वयस्क पंतगों के अगले पंख सुनहरे, भूरे रंग के सफ़ेद धारीदार होते हैं। सूंडियाँ मटमैले हरे रंग की होती हैं जिनके शरीर पर पीले, हरे व नारंगी रंगों की लंबवत धारियां होती हैं। उदर पर प्रत्येक खंड के दोनों ओर काले धब्बे होते हैं। नवजात इल्लियाँ पत्तियों को खाती हैं जिससे पत्तियों की शिराएँ ही शेष रह जाती हैं।
पत्ती सुरंगी- इसकी सुंडी पत्ती में सुरंग बनाकर उसमें रहती है पूर्ण विकसित सुंडी हरे रंग की एवं इसका सिर व वक्ष गहरे हरे रंग का होता है। सुंडी पत्तियों में नुकसान करते हुए पत्तियों में नुकसान करते हुए पत्तियों में बनी सुरंगों व फफोलों में चलता है। सुरंगें सूडियों की अवस्था अनुसार विभिन्न आकार की होती है। अधिक संक्रमण होने पर पूरी पत्ती संकुचित व भूरे रंग की होकर सूख जाती है।
चेपा (एफिड्स)- पौधों के ऊपरी भाग पर कीट- शिशु एवं व्यस्क एफिड्स की कालोनियां देखने को मिलती है कीट-शिशु आमतौर पर गहरे भूरे रंग के होते हैं, वयस्क पंखहीन हरे, हरे-भूरे रंग या हरे-काले रंग के होते हैं। ये प्ररोह, पत्तियों एवं फूलों का रस चूसते हैं, प्रभावित पौधों के पत्ते एवं उनमें हरे रंग की कमी हो जाती हैं एवं पौधों का विकास अवरूद्ध हो जाता है। इनके द्वारा चिपचिपा द्रव छोडऩे से काली फफूंद पौधों पर जमा हो जाती हैं।
तेला जैसिड– जैसिड के शिशु व व्यस्क पीलापन लिए हरे रंग के होते हैं। जैसिड के द्वारा पत्तियों का रस चूसने के कारण उनकी शिराएँ सफेद रंग की हो जाती है। खेत में अधिक संक्रमण होने पर पौधों का रंग पीला झुलसा हुआ दिखाई देता है एवं इस अवस्था को होपरवर्न कहते हैं।
थ्रिप्स- थ्रिप्स छोटे आकार के लगभग 2 मि. मी. लंबे कीड़े हैं जो मुड़ी हुई पत्तियों व फूलों में पाए जाते हैं, ये अपने अंडे तरूण ऊतकों में देते हैं व्यस्क थ्रिप्स का शरीर नर्म एवं पंख झालरदार होते हैं। इनके द्वारा पत्तियों से रस चूसने के कारण प्रभावित पत्तियों की निचली सतह पर सफेद चकत्ते बन जाते हैं। थ्रिप्स का अधिक आक्रमण होने पर पौधे की वृद्धि रूक जाती है।
मूंगफली की फसल में समेकित नाशीजीव प्रबंधन (आईपीएम पद्धति)
बुआई से पहले
- भूमि में मौजूद नाशीजीवों को नष्ट करने के लिए फसल बोने से पहले खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करें।
- दीमक एवं अन्य कीड़ों से बचाव के लिए खेत में कच्ची गोबर की खाद का प्रयोग नहीं करें।
- बुआई से 15 दिन से पहले खेत में 250 कि. ग्राम प्रति हे. की दर से नीम की खली/केक मिलाएं।
बीज, बीजोपचार एवं फसल की बुआई
- क्षेत्र विशेष के लिए क्षेत्रीय विश्वविद्यालय/ कृषि विभाग द्वारा सिफारिश की गई मूंगफली की किस्म को बोयें।
- बीज को इमीडाक्लोरोप्रिड 2 मि. ली. प्रति एक किग्रा बीज की दर से तथा ट्राईकोडर्मा हरजियानम 10 ग्राम पीटीआई एक किग्रा बीच की दर से उपचारित करें।
- ट्राईकोडर्मा द्वारा बीजोपचार करने के लिए 10 ग्राम ट्राईकोडर्मा पाउडर प्रति एक किलो बीज के हिसाब से 4-5 मिली पानी में मिलाकर उसका पोस्ट बना लें। फिर उस ट्राईकोडर्मा पेस्ट को बीज मिलाकर 20-30 मिनट के लिए छाँवने सुखा लें और उसके बाद उस बीज की बुआई करें।
- बीज को इमिडाक्लोरोपिड 2 मिली प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करें।
फसल वृद्धि अवस्था एवं फूल आने वाले अवस्था - फसल की छोटी अवस्था में कीड़े दिखने पर 5 प्रतिशत नीम बीज के सत्ता के घोल का छिड़काव करें।
- सफेद लट के नियंत्रण के लिए मानसून शुरू होते ही उसे आश्रय देने वाले पेड़ों जैसेकि खेजड़ा, बेर, नीम, अमरुद एवं आम की कटाई छटाई करें एवं उन पर कार्बेरिल 2 मिली प्रति एक लीटर पानी में या क्विनालफास 2 मि. ली. प्रति एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करके शाम के समय मिथोक्सी बैनजिन (एनिसोल) दवा में भीगे स्पंज के 3-4 टुकड़ों के पेड़ पर लटका दें।
- खेत में परभक्षी चिडिय़ों के बैठने के लिए टी के आकार के प्रति हे. दस लकड़ी की खपच्चियों को लगायें।
- अगेती पर्णचित्ती, पछेती पर्णचित्ती स्तंभमूल संधि विगलन रोग का संक्रमण होने पर कार्बेन्डाजिम 0.05 प्रतिशत + मैनकोजेब 0.2 प्रतिशत का छिड़काव करें। इसके लिए आधा ग्राम कर्बेन्डाजिम व 2 ग्राम मैनकोजेब को प्रति एक लीटर पानी में मिलाकर दवा का घोल बनायें) एवं फसल बोने के 45 दिन एवं 60 दिन बाद छिड़काव करें।
- हैलिकोवर्पा एवं स्पोडोप्टेरा की निगरानी करने के लिए फेरोमैन ट्रैप 5 प्रति हे. लगायें।
- हैलिकोवर्पा, बालों वाली लाल रंग की सूंडी, के वयस्क कीट, स्पोडोप्टेरा के नर एवं मादा कीटों को पकडऩे/ट्रैप करने हेतु लाईटट्रैप- लाभदायक कीटों के प्रति सुरक्षित को एक ट्रैप प्रति हे. लगायें।
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