Crop Cultivation (फसल की खेती)

फसल में सल्फर का महत्व

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  • अनामिका तोमर, पी एच डी स्कॉलर
    कृषि महाविद्यालय ,ग्वालियर

31 जनवरी 2023,  फसल में सल्फर का महत्व फसल की अच्छी उपज के लिए हम उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि बिना उर्वक के फसल की अच्छी उपज होना मुश्किल है। ऐसे में खेती के लिए सबसे बड़ी जरूरत सही उर्वरक का चयन है। खेती के लिए किस प्रकार की उर्वरक लाभदायी होगी उसकी कैसे पहचान करें ये जानना बहुत जरुरी है।

सल्फर, जो कि मृदा पोषण में चौथा आवश्यक तत्व है, जिस पर किसान प्राय: ध्यान नहीं देते हैं, तिलहनी फसलें भारतीय आहार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।  इसका उत्पादन लगभग 24 मिलियन टन हो रहा है। तिलहन फसल के लिए संतुलित उर्वरक का प्रयोग आवश्यक है, जिसमें नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, गंधक, जिंक व बोरान तत्व अति आवश्यक है। गत वर्षों में संतुलित उर्वरकों के अंतर्गत केवल नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश के उपयोग पर बल दिया गया। सल्फर के उपयोग पर विशेष ध्यान न दिये जाने के कारण मृदा के नमूनों में 40 प्रतिशत गंधक (सल्फर) की कमी पाई गई।  आज उपयोग में आ रहे गंधक रहित उर्वरकों जैसे यूरिया, डीएपी, एनपीके तथा म्यूरेट ऑफ पोटाश के उपयोग से गंधक की कमी निरंतर बढ़ रही है।

गंधक की कमी मुख्यत: निम्न कारणों से भूमि के अंदर हो जाती है, जिसकी तरफ कृषकों का ध्यान नहीं जाता-

  • भूमि में संतुलित उर्वरकों का प्रयोग न करना।
  • लगातार विभिन्न फसलों द्वारा गंधक जमीन में लेते रहने व सल्फर रहित उर्वरकों के प्रयोग में इन तत्वों की कमी हो जाती है।
  • ऐसे उर्वरकों का उपयोग जिसमें बहुत कम या न के बराबर सल्फर का होना।
  • जहाँ अकार्बनिक खादें प्रयोग में नहीं आती है, वहाँ पर भी सल्फर की कमी का होना।
  • हाल ही में तोड़ कर विकसित की गई भूमि या हल्क गठन वाली बलुई मिट्टी में, जहाँ निक्षालन द्वारा पोषक तत्वों की हानि हो जाया करती है, सल्फर की कमी पाई जा सकती है।
सल्फर की कमी के लक्षण
  • सल्फर की कमी से पौधों का रंग पीला हो जाता है और इस कमी की शुरुआत पौधों के ऊपरी हिस्से या नये पत्ते से होती है।
  • सल्फर की कमी से पौधों का विकास रुक जाता है।
  • सल्फर के कमी से पौधों का हरापन कम हो जाता है।
    खाद्यान्न फसलें अपेक्षाकृत देर से पकती हंै एवं बीज ढंग से परिपक्व नहीं हो पाते हैं।
  • पत्तियां व तने में बैंगनीपन आ जाता है।
  • गंधक के अभाव में पौधे पीले, हरे, पतले और आकार में छोटे हो जाते हैं तथा पौधे का तना पतला और कड़ा हो जाता है।
  • सल्फर की कमी से आलू की पत्तियों का रंग पीला, तने कठोर तथा जड़ों का विकास कम रहता है। सल्फर की कमी से फसल में फूल नहीं आते और न ही फल बनते हैं।
गंधक के कार्य
  • गंधक क्लोरोफिल का अवयव नहीं है फिर भी यह इसके निर्माण में सहायता करता है तथा पौधे के हरे भाग की अच्छी वृद्वि करता है।
  • यह गंधक युक्त एमिनो अम्लों, सिस्टाइन, सिस्टीन तथा मिथियोनीन तथा प्रोटीन संश्लेषण में आवश्यक होता है।
  • सरसों के पौधों की विशिष्ट गंध निर्माण को यह प्रभावित करती है। तिलहनी फसलों के पोषण में गंधक का विशेष महत्व है क्योंकि बीजों में तेल बनने की प्रक्रिया में इस तत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  • सरसों के तेल में गंधक के यौगिक पाये जाते हंै। तिलहनी फसलों में तैलीय पदार्थ की मात्रा में वृद्धि करती है।
  • इसके प्रयोग से बीज बनने की क्रियायों में तेजी आती है।

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