अगर आप भी मटर की खेती करने का सोच रहे हैं तो ये तीन टॉप किस्में हो सकती है फायदेमंद
27 नवंबर 2025, नई दिल्ली: अगर आप भी मटर की खेती करने का सोच रहे हैं तो ये तीन टॉप किस्में हो सकती है फायदेमंद – यदि आप किसान होकर मटर की खेती करने की सोच रहे है तो मटर की तीन टॉप किस्में ऐसे किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती है. दरअसल जिन टॉप किस्मों की बात यहां हो रही है उन्हें आईसीएआर द्वारा विकसित किया गया है.
फरवरी–मार्च के दौरान जैसे-जैसे ताजी हरी मटर की मांग बढ़ती है, वैसे-वैसे इसका दाम भी बेहतर मिलता है. कम लागत में यह फसल किसानों को अच्छा लाभ दे देती है. ICAR द्वारा विकसित मटर की ये टॉप 3 किस्में – वी.एल. माधुरी, वी.एल. सब्जी मटर-15 और पूसा थ्री आपके लिए बेहतरीन विकल्प हैं.
वी.एल. माधुरी मटर की एक नई किस्म है, जिसकी खासियत है कि इसे बिना छिलके के भी खाया जा सकता है. यह रबी सीजन में बुवाई के लिए उत्कृष्ट है और बाजार में अच्छे दाम दिला सकती है. वी.एल. सब्ज़ी मटर-15 ठंडी जलवायु के लिए उपयुक्त और उत्तर–पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों में अच्छी उपज देने वाली उत्तम किस्म है. यह कम अवधि वाली किस्म है जो 128 से 132 दिनों में पककर तैयार होती है. पूसा थ्री एक अगेती किस्म है, जो किसानों को जल्दी और अच्छी उपज देकर बढ़िया मुनाफा दे सकती है. इसकी हर फली में 6-7 दाने होते हैं, जिससे बाजार में इसकी मांग अधिक रहती है.
क्या है किसकी विशेषताएं
वी.एल. माधुरी
यह किस्म पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के किसानों को बेहतरीन उपज देती है. नवंबर में बुवाई करने पर यह किस्म 122 से 126 दिनों में तैयार हो जाती है. किसान इससे प्रति हेक्टेयर 13 टन तक की उपज प्राप्त कर सकते हैं. इस किस्म में उकठा रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है.
वी.एल. सब्जी मटर-15
वी.एल. सब्जी मटर-15 ठंडी जलवायु के लिए उपयुक्त और उत्तर–पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों में अच्छी उपज देने वाली उत्तम किस्म है. यह कम अवधि वाली किस्म है जो 128 से 132 दिनों में पककर तैयार होती है. रबी सीजन की बुवाई के लिए यह एक शानदार विकल्प है. किसान इससे प्रति हेक्टेयर 100-120 क्विंटल तक की पैदावार ले सकते हैं. यह किस्म चूर्णिल आसिता, म्लानि, सफेद सड़ांध और पर्ण-झुलसा जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधी है. पौधे की ऊंचाई 60-70 सेंटीमीटर होती है तथा फलियां हरी और घुमावदार होती हैं.
पूसा थ्री मटर
पूसा थ्री एक अगेती किस्म है, जो किसानों को जल्दी और अच्छी उपज देकर बढ़िया मुनाफा दे सकती है. इसकी हर फली में 6-7 दाने होते हैं, जिससे बाजार में इसकी मांग अधिक रहती है. अगेती किस्म होने के कारण किसान इससे प्रति एकड़ 20-21 क्विंटल तक की उपज प्राप्त कर सकते हैं. यह किस्म मात्र 50-55 दिनों में फल देना शुरू कर देती है. यह उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में खेती के लिए बहुत उपयुक्त मानी जाती है.
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