फसल की खेती (Crop Cultivation)

गेहूं की उन्नत बुआई और उत्पादन के लिए आईसीएआर की विशेष सलाह

आईसीएआर भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, 

करनाल प्रमुख सलाहे (14-30 नवंबर, 2024)

16 नवंबर 2024, नई दिल्ली: गेहूं की उन्नत बुआई और उत्पादन के लिए आईसीएआर की विशेष सलाह – धान की देर से कटाई और तापमान में उतार-चढ़ाव के बावजूद, इस वर्ष नवंबर के प्रथम सप्ताह तक पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 93% बुआई पूरी हो चुकी है। अब तापमान गेहूं की समय पर बुआई के लिए उपयुक्त हो गया है। देशभर में बुआई तेज़ी से हो रही है, और किसान समय, श्रम, तथा बीज बचाने के लिए मशीन से बुआई को प्राथमिकता दे रहे हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि अधिक उपज प्राप्त करने के लिए वे बुआई के समय और स्थिति के आधार पर बहुत सावधानी से किस्मों का चयन करें। बीज किसी विश्वसनीय स्रोत से खरीदना चाहिए।

किसानों के लिए सुझाव:

  1. अधिक उपज के लिए बुआई के समय और स्थिति के अनुसार सावधानीपूर्वक किस्मों का चयन करें।
  2. विश्वसनीय स्रोतों से ही बीज खरीदें।
  3. समय पर बुआई करें और देरी से बचें ताकि फसल परिपक्वता के समय गर्मी के प्रतिकूल प्रभावों से बचा जा सके।
  4. अपने क्षेत्र के अनुसार सर्वोत्तम उपयुक्त किस्म का चयन करें।
  5. अधिक उपज के लिए उर्वरक, सिंचाई, शाकनाशी और कवकनाशी का इष्टतम उपयोग करें।
  6. लागत कम करने और जल बचाने के लिए समय पर सिंचाई करें।

उत्तरी, पूर्वी और मध्य भारत में समय पर, देर से, बहुत देरी से बुआई के लिए गेहूं की किस्में

किस्मउत्पादन स्थितियाँ 
समय पर बोई जाने वाली किस्में
डीबीडब्ल्यू 187, डीबीडब्ल्यू 222, एचडी 3406, पीबीडब्ल्यू 826, पीबीडब्ल्यू 3226, एचडी 3086 डब्ल्यूएच 1105सिंचित, समय पर बोया गया (20 नवंबर तक)एनडब्ल्यूपीजेडः पंजाब, हरियाणा, राजस्थान का कुछ भाग, पश्चिम यूपी
डीबीडब्ल्यू 187, पीबीडब्ल्यू 826, एचडी 3411, डीबीडब्ल्यू 222, एचडी 3086, के 1006एनईपीजेडः पूर्वी यूपी, बिहार, बंगाल, झारखंड
डीबीडब्ल्यू 303, डीबीडब्ल्यू 187, एचआई 1636, एमएसीएस 6768, जीडब्ल्यू 366सीजेंड: एमपी, गुजरात, राजस्थान
डीबीडब्ल्यू 168, एमएसीएस 6478, यूएएस 304, एमएसीएस 6222पीजेडः महाराष्ट्र, कर्नाटक
देर से बोई जाने वाली किस्में
261, पीबीडब्ल्यू 752  
एचडी 3407, एचआई 1634, सीजी 1029, एमपी 3336 सीजेडः एमपी, गुजरात, राजस्थान
बहुत देर से बोई जाने वाली किस्में
एचडी 3271, एचआई 1621, डब्ल्यूआर 544सिंचाई बहुत देर से बुवाई (25 दिसंबर से आगे)सभी जोन

बुआई का समय, बीज दर और उर्वरक प्रयोगः भारत में गेहूं की फसल विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों और उत्पादन स्थितियों में उगाई जाती है। बुआई के समय में क्षेत्र दर क्षेत्र और अलग-अलग उत्पादन परिस्थितियों में थोड़ा अंतर होता है।

गेहूं की फसल के लिए क्षेत्रवार बुआई बीज दर एवं उर्वरक की मात्रा

क्षेत्रबुआई की स्थितिबीज दरउर्वरक की खुराक और प्रयोग का समय
एनडब्ल्यूपीजेड और एनईपीजेडसिंचित, समय पर बोया गया100 किग्रा/ हेक्टर150:60:40 किया एनपीके हे (बुवाई के समय बेसल के रूप में 1/3 एन और पूर्ण पी और के और शेष एन को पहली और दूसरी सिंचाई में दो बराबर भागों में विभाजित करें)
सिचित, देर से बोया गयाकिया/हैक्टर 125120:60:40 किग्रा एनपीके है (1/3 एन और पूर्ण पी और के बुआई के समय बेसल के रूप में और शेष एन पहली और दूसरी सिंचाई में दो बराबर भागों में)
सिचित, देर से बोया गया125 किया/हैक्टर90:60:40 किया एनपीके है (1/3 एन और पूर्ण पी और के बुआई के समय बेसल के रूप में और शेष एन पहली और दूसरी सिंचाई में दो बराबर आगाँ में)

खरपतवार प्रबंधन

खरपतवार प्रबंधन (शाकनाशी का छिड़काव)

  1. खरपतवारों के नियंत्रण के लिए पायरोक्सासल्फोन 85@60 ग्राम/एकड़ या क्लोडिनाफॉप 60 ग्राम या फेनोक्साप्रॉप 100 ग्राम या सल्फोसल्फ्यूरॉन 25 या पिनोक्साडेन 50 ग्राम/हेक्टेयर का उपयोग किया जा सकता है। इन्हें बुआई के 30-35 दिन बाद मि‌ट्टी में पर्याप्त नमी होने पर लगाया जा सकता है।
  2. मौसम साफ (न वर्षा, न कोहरा ओस आदि) होने पर किसानों को फसल पर छिड़काव (स्प्रे) करना चाहिए।

सिंचाई और कीट नियंत्रण

सिंचाई: किसानों को सलाह है कि पहली सिंचाई बुआई के 20-25 दिन बाद करें।

दीमक प्रबंधन: दीमक प्रभावित क्षेत्रों में, उनके प्रबंधन के लिए क्लोरोपाइरीफॉस @0.9 ग्राम ए.आई./किलो बीज (4.5 मिली उत्पाद डोज/किग्रा बीज) से बीज उपचार किया जाना चाहिए। थायमेथोक्साम 70 डब्ल्यूएस (कूजर 70 डब्ल्यूएस) @0.7 ग्राम ए.आई./किलो बीज (4.5 मिली उत्पाद डोज / किया बीज) या फिप्रोनिल (रीजेंट 5 एफएस @ 0.3 ग्राम ए.आई./किया बीज या 4.5 मिली उत्पाद डोज /किलो बीज) से बीज उपचार भी बहुत प्रभावी है।

गुलाबी तना छेदक: गुलाबी तना छेदक कीट का प्रकोप चावल-गेहूं फसल प्रणाली के उन खेतों में अधिक देखा जाता है जहां गेहूं शून्य जुताई वाले खेती में बोया जाता है। इसके प्रबंधन के लिए गुलाबी तना छेदक दिखाई देते ही क्विनालफोस (ईकालक्स) 800 मिली/एकड़ का पत्तियों पर छिड़काव करें। सिंचाई से भी गुलाबी तना छेदक कीट से होने वाले नुकसान को कम करने में भी मदद मिलती है।

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