हरी खाद से मिलते बेहतर परिणाम : श्री तांबे
दलौदा में हुई कृषक संगोष्ठी
14 सितम्बर 2022, मन्दसौर । हरी खाद से मिलते बेहतर परिणाम : श्री तांबे – दलौदा रेल पर आयोजित संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए इंदौर से आए कृषि विशेषज्ञ श्री नरेंद्र तांबे ने कहा कि वर्तमान समय में खेती की जितनी भी समस्याएं हैं यह सब इस कारण है कि प्रकृति प्रदत्त चीजों को छोडक़र हम तत्काल लाभ की कोशिश करते हैं इनके तात्कालिक लाभ तो मिल जाते हैं पर दूरगामी परिणाम नुकसान वाले होते हैं। खाद की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हम खाद उसी को मानते हैं जो हम खरीदते हैं पैसे देकर खरीदे हुए खाद को खाद मान लिया जाता है लेकिन जो हमें सहज रूप में उपलब्ध है हम उसका उपयोग भी नहीं करते और उसको खाद भी नहीं मानते आपने कहा कि 3 साल में एक बार खेत के एक हिस्से में सन, ढेंचा, चवला फली से हरी खाद तैयार की जाए और उसको उपयोग किया जाए तो उस खेत में 3 साल तक रसायनिक खाद की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। गोमूत्र या पशु मूत्र को खेत के लिए अमृत बताते हुए श्री तांबे ने कहा कि जहां रात को पशु बांधे जाते हैं वहां रात्रि में राख डाल दी जाए और सबेरे उस राख को खेत में बिखेर दें या जहां गोबर की खाद हो उस पर डाल दिया जाए तो यह बहुत अच्छी खाद बन जाएगी। श्री तांबे ने कहा कि पशु मूत्र और छाछ को लगातार स्प्रे करते रहेंगे तो फसलों को बीमारियों से बचा पाएंगे।
कृषि विज्ञान केंद्र मंदसौर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. जी. एस. चुंडावत ने कहा कि खेती में सबसे महत्वपूर्ण तत्व जैविक कार्बन है इसका प्रतिशत घट रहा है इसको बढ़ाने के लिए देसी खाद जैविक खाद, हरी खाद का उपयोग बढ़ाना ही होगा यदि खेती करनी है तो जमीन को चार्ज करना ही होगा। कृषि विज्ञान केंद्र के श्री राहुल पाटीदार ने किसानों से खेत पर ही जैविक कीटनाशक बनाने की विधि साझा की।
धुंधडका के कृषक श्री ईश्वरलाल पाटीदार व एलजी के कृषक श्री देवराम राठौर ने अपने अनुभव को किसानों को बताए। संगोष्ठी के संयोजक एवं कृषक जगत के विशेष प्रतिनिधि दलोदा के श्री अनिल सुराना ने आने वाली रबी फसलों में सरसों की फसल में सल्फर एवं गेहूं की फसल में जिंक की उपयोगिता पर चर्चा की। कार्यक्रम में श्री नरेंद्र तांबे, डॉ. चुंडावत का साल श्रीफल से सम्मान किया। कार्यक्रम में श्री कन्हैयालाल पाटीदार, श्री बद्रीलाल पाटीदार, श्री मदन लाल पाटीदार, श्री देवकरण शर्मा आदि ने अतिथियों का स्वागत किया।
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