रबी फसल कटाई के बाद मिट्टी की सेहत के लिए हरी खाद वाली फसलें: ग्वार, ढैंचा और अन्य
02 मई 2025, नई दिल्ली: रबी फसल कटाई के बाद मिट्टी की सेहत के लिए हरी खाद वाली फसलें: ग्वार, ढैंचा और अन्य – रबी फसलों की कटाई के बाद, किसानों के लिए यह जरूरी है कि वे अपने खेतों को अगली फसल के लिए उपजाऊ बनाए रखने के लिए तैयार करें। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा सुझाई गई एक प्रभावी और पर्यावरण-अनुकूल पद्धति है हरी खाद वाली फसलों की खेती। ये फसलें न केवल मिट्टी को आवश्यक पोषक तत्वों से समृद्ध करती हैं, बल्कि मिट्टी की संरचना और जैविक पदार्थों को भी बढ़ाती हैं, जिससे लंबे समय में बेहतर उपज मिलती है।
जिन किसानों ने रबी फसल की कटाई पूरी कर ली है, उन्हें तुरंत अपने खेतों में हरी खाद वाली फसलें जैसे ग्वार, ढैंचा (सेस्बेनिया एक्यूलेटा), सेनई (कैसिया) और लोबिया (काउपी) बोने की सलाह दी जाती है। ये फसलें तेजी से बढ़ती हैं और कुछ हफ्तों में मिट्टी में मिलाई जा सकती हैं, जिससे मिट्टी को नाइट्रोजन और कार्बनिक कार्बन मिलता है।
हरी खाद वाली फसलों के लिए सही समय पर बुवाई महत्वपूर्ण है। किसानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बुवाई से पहले मिट्टी में पर्याप्त नमी हो, ताकि अंकुरण अच्छा हो और पौधे स्वस्थ रहें। यदि नमी कम हो, तो हल्की सिंचाई की जा सकती है। हरी खाद वाली फसलों को फूल आने से पहले ही मिट्टी में मिला देना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक पोषक तत्व मिट्टी को मिल सकें।
हरी खाद का उपयोग करके किसान रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम कर सकते हैं और खेती की स्थिरता व उत्पादकता बढ़ा सकते हैं। यह पद्धति खरपतवार को नियंत्रित करने, कीटों और रोगों के चक्र को तोड़ने तथा मिट्टी में नमी संरक्षित करने में भी मदद करती है, जिससे यह खरीफ बुवाई से पहले एक उत्कृष्ट तैयारी साबित होती है।
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