नक़ली कीटनाशक निर्माताओं पर सख़्त होगी सरकार; कृषि मंत्रालय की अहम बैठक
02 दिसंबर 2024, भोपाल: नक़ली कीटनाशक निर्माताओं पर सख़्त होगी सरकार; कृषि मंत्रालय की अहम बैठक – 25 नवंबर, 2024 को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के पौध संरक्षण विभाग द्वारा आयोजित एक अहम बैठक में कीटनाशक अधिनियम, 1968 के प्रभावी क्रियान्वयन पर चर्चा हुई। इस बैठक की अध्यक्षता कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव, देवेश चतुर्वेदी ने की। इसमें नीतिगत विशेषज्ञों, उद्योग जगत के नेताओं और नियामक प्राधिकरणों सहित प्रमुख हितधारकों ने हिस्सा लिया और कीटनाशकों के उत्पादन, वितरण और उपयोग से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।
बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि कृषि सफलता के लिए कीटनाशकों का सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण और स्थायी उपयोग सुनिश्चित करना अनिवार्य है। चर्चा के दौरान कई महत्वपूर्ण समस्याओं को उठाया गया और सरकार के विचारार्थ कुछ ठोस सुझाव प्रस्तुत किए गए।
बैठक में सबसे बड़ी चिंता नकली कीटनाशकों के प्रसार को लेकर व्यक्त की गई, जो फसल की पैदावार को नुकसान पहुंचाते हैं और किसानों का विश्वास डिगाते हैं। प्रतिनिधियों ने सुझाव दिया कि औचक निरीक्षण और उत्पाद की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए ट्रेसबिलिटी सिस्टम जैसे सख्त प्रवर्तन तंत्र को लागू किया जाए।
स्थानीय बाजारों में अनपंजीकृत और डुप्लीकेट कीटनाशकों की उपस्थिति पर चिंता जताई गई। प्रतिनिधियों ने सख्त दंड, केंद्रीकृत निगरानी और मजबूत पंजीकरण प्रक्रिया की वकालत की।
रासायनिक कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से फसल में अधिकतम अवशेष सीमा से अधिक मात्रा में रसायन पाए जाने की समस्या पर चर्चा की गई। हितधारकों ने किसानों को कीटनाशकों के सही उपयोग पर शिक्षित करने, बायो-पेस्टिसाइड्स और समेकित कीट प्रबंधन तकनीकों को बढ़ावा देने के सुझाव दिए।
ग्रामीण समुदायों को बेहतर शिक्षित करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म, जन माध्यम और स्थानीय जागरूकता अभियानों के माध्यम से किसानों में जागरूकता बढ़ाने की सिफारिश की गई।
कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशालाओं की सीमित उपलब्धता और सैंपलिंग प्रक्रियाओं की असंगति पर चर्चा की गई। सुझाव दिया गया कि प्रत्येक राज्य, विशेष रूप से उच्च उत्पादन वाले कृषि क्षेत्रों में उन्नत परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाए।
कीटनाशक बिक्री के लिए नए केवाईसी मानदंडों पर चर्चा हुई। प्रतिनिधियों ने इन प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाने और उन्हें केंद्रीकृत नियामक डेटाबेस के साथ एकीकृत करने का सुझाव दिया।
अवैध कीटनाशक आयात और डेटा सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं पर भी चर्चा की गई। सीमा सुरक्षा को मजबूत करने और राष्ट्रीय डेटा संरक्षण कानूनों का सख्ती से पालन करने की आवश्यकता जताई गई।
कीटनाशक अधिनियम, 1968 के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई। गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने के लिए निर्माण इकाइयों के नियमित निरीक्षण और पारदर्शी रिपोर्टिंग तंत्र की सिफारिश की गई।
बैठक का समापन इस आश्वासन के साथ हुआ कि सरकार इन सिफारिशों पर शीघ्रता से कार्य करेगी। मंत्रालय और उद्योग प्रतिनिधियों के बीच यह सहयोग भारतीय कृषि के लिए एक सुरक्षित और टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में एक साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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