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फसल की खेती (Crop Cultivation)

गेंहू की उन्नत DBW 222 किस्म से पाएं बंपर पैदावार, जानिए हाई यील्ड वैरायटी के फायदे

06 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: गेंहू की उन्नत DBW 222 किस्म से पाएं बंपर पैदावार, जानिए हाई यील्ड वैरायटी के फायदे – देश में गेहूं की खेती में नई तकनीकों और उन्नत किस्मों ने किसानों के लिए उत्पादन बढ़ाने के नए रास्ते खोले हैं। ऐसी ही एक उन्नत और उच्च उपज देने वाली किस्म है DBW 222, जिसे खास तौर पर उत्तरी भारत के किसानों के लिए विकसित किया गया है। यह किस्म न केवल अधिक पैदावार देती है, बल्कि बीमारियों और कीटों के प्रति भी काफी हद तक प्रतिरोधी है। इसलिए, किसान इस किस्म को अपनाकर अपनी खेती को लाभदायक बना सकते हैं।

DBW 222 की खासियत इसकी बेहतर उपज क्षमता है, जो प्रति हेक्टेयर 61 क्विंटल तक उत्पादन दे सकती है। यह सामान्य किस्मों जैसे HD2967 और DBW88 की तुलना में ज्यादा उत्पादक है। इसके साथ ही, इस किस्म के दाने प्रोटीन से भरपूर होते हैं, जिससे इसका आटा और अन्य खाद्य पदार्थ भी उच्च गुणवत्ता के होते हैं। मौसम विभाग के अनुसार, इस साल मॉनसून में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है, जिसके चलते मिट्टी में नमी बनी रहेगी। ऐसे में DBW 222 की किस्म किसानों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद साबित हो सकती है।

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DBW 222 की खेती के लाभ

1. रोग प्रतिरोधक क्षमता: DBW 222 पीला रतुआ, भूरा रतुआ, करनाल बंट, और खुला कंडुआ जैसे प्रमुख रोगों के प्रति मजबूत प्रतिरोध प्रदान करती है, जिससे फसल की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
2. उच्च उपज: इसकी औसत उपज 61.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, वहीं इसकी उपज क्षमता 82.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक जा सकती है।
3. सिंचाई और पोषण में आसानी: DBW 222 को सिंचाई के साथ-साथ पोषण के लिहाज से भी अच्छा संतुलन चाहिए होता है, जिससे किसान बेहतर उत्पादन कर सकते हैं।
4. बुवाई का उपयुक्त समय: यह किस्म नवंबर के पहले पखवाड़े में बोई जाती है, जो मौसम की अनिश्चितताओं के बीच भी फसल को मजबूती देती है।

खेती के लिए जरूरी टिप्स

DBW 222 की बेहतर पैदावार के लिए खेत की अच्छी तैयारी जरूरी है। मिट्टी की गहरी जुताई और बीजों का फफूंदी नाशक दवा से उपचार करना फसल की सफलता में मदद करता है। इसके अलावा, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की उचित मात्रा में खाद देने से फसल स्वस्थ रहती है। सिंचाई की सही आवृत्ति, विशेषकर अंकुरण और फूलने की अवस्था में, उपज को बेहतर बनाती है। यदि फसल में कोई रोग या कीट नजर आए तो प्रोपिकोनाजोल या इमिडाक्लोप्रिड जैसे नियंत्रक का समय-समय पर छिड़काव करना चाहिए।

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