कपास की खेती के लिए उर्वरक और कीटनाशक: सही अनुपात में उपयोग से बढ़ेगी पैदावार
28 मई 2024, खरगोन: कपास की खेती के लिए उर्वरक और कीटनाशक: सही अनुपात में उपयोग से बढ़ेगी पैदावार – कपास की अच्छी उपज के लिए उचित उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग आवश्यक है। सही अनुपात और समय पर इनका उपयोग फसल की गुणवत्ता और पैदावार में सुधार करता है।
कपास की अच्छी उपज के लिए उचित उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग आवश्यक है:
उर्वरक:
1. नाइट्रोजन (N): 80-100 किलो प्रति हेक्टेयर, तीन भागों में विभाजित। नाइट्रोजन फसल की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक होता है।
· पहला भाग: बुवाई के समय।
· दूसरा भाग: बुवाई के 30 दिन बाद।
· तीसरा भाग: बुवाई के 60 दिन बाद।
2. फॉस्फोरस (P2O5): 40-60 किलो प्रति हेक्टेयर, बुवाई के समय। फॉस्फोरस जड़ों की वृद्धि में मदद करता है और फसल की मजबूती बढ़ाता है।
3. पोटाश (K2O): 40-60 किलो प्रति हेक्टेयर, बुवाई के समय। पोटाश फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
4. माइक्रोन्यूट्रिएंट्स: जिंक सल्फेट 25 किलो, बोरिक एसिड 10 किलो प्रति हेक्टेयर। ये तत्व पौधों की संपूर्ण वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक होते हैं।
कीटनाशक:
गुलाबी सूंडी, हरा तेला, सफेद मक्खी: नीम का तेल, जैविक कीटनाशक, इमिडाक्लोप्रिड। इन कीटनाशकों से फसल को कीटों से बचाया जा सकता है।
रोग प्रबंधन: नियमित निरीक्षण, जैविक कीटनाशकों का प्रयोग, समन्वित कीट प्रबंधन। इन उपायों से फसल को रोगों से बचाया जा सकता है और पैदावार बढ़ाई जा सकती है।