Crop Cultivation (फसल की खेती)

मौसमी फूलों की खेती

Share

मौसमी फूलों की खेती – आज के व्यस्त जीवन में पुष्प वाटिका में विभिन्न प्रकार के पुष्पों को उगाकर मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है। इन पौधों को क्यारियों, गमलों, बरामदों, टोकरियों एवं खिड़कियों में सुगमता से उगाया जा सकता है। एक वर्षीय या मौसमी फूल वाले पौधे उन्हें कहते हैं जो अपना जीवन चक्र एक वर्षा या एक मौसम में पूरा कर लेते हैं ।

महत्वपूर्ण खबर : सब्जी उत्पादन का विकास लाभकारी खेती का आईना

फूलों के पौध तैयार करने की विधि

मौसमी फूलों के पौधे विभिन्न प्रकार से तैयार किये जाते हैं कुछ किस्मों के पौधों को पहले पौधशाला में तैयार कर बाद में क्यारियों में लगायें तथा कई किस्मों के बीज सीधे क्यारियों में लगा दिये जाते हैं। इनके बीज बहुत छोटे होते हैं इनकी पर्याप्त देखभाल करके पौध तैयार कर ली जाती है।

भूमि का चयन और उसकी तैयारी

ऐसी भूमि का चयन करें जिसमें पर्याप्त मात्रा में जीवांश हों, सिंचाई और जल निकास की उचित सुविधाएं हों। फूलों की खेती के लिये रेतीली दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है। भूमि को लगभग 30 सेमी की गहराई तक खोदें, गोबर की खाद, उर्वरक, आकार के अनुसार मिश्रित करें (1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में 25-30 क्ंिवटल गोबर की खाद) वर्षा ऋतु में पौधशाला की देखभाल अन्य मौसमों की तुलना में अधिक करें।

बीज बोना एवं रोपाई

क्यारियों को आकार के अनुसार समतल कर 5 सेमी की दूरी पर गहरी पंक्तियाँ बनाकर उनमें 1 सेमी की दूरी पर बीज बोयें। बीज बोते समय इस बात का ध्यान रखें कि बीज एक सेमी से अधिक गहरा ना जावे। बाद में हल्की परत से ढकें। सुबह शाम हजारे से पानी दें। जब पौध लगभग 15 सेमी ऊँचे हो जायें तब रोपाई करें।

क्यारियों में रोपाई निर्धारित दूरी पर करें। सबसे आगे बौने पौधे 30 सेमी तक ऊँचाई वाले 15-30 सेमी दूरी पर, मध्यम ऊँचाई 30 से 75 सेमी वाले पौधे, 35 सेमी से 45 सेमी तथा लंबे 75 सेमी से अधिक ऊँचाई रखने वाले पौधे 45 सेमी से 50 सेमी की दूरी पर रोपाई करें।

देखभाल

सिंचाई: वर्षा ऋतु में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है यदि काफूी समय तक वर्षा न हो तो उस स्थिति में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें । शरद ऋतु में 7-10 दिन एवं ग्रीष्म ऋतु में 4-5 दिन के अंतर पर सिंचाई करें।

खरपतवार नियंत्रण: खरपतवार भूमि से नमी और पोषक तत्व लेते रहते हैं जिसके कारण पौधों के विकास और वृद्धि दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। अत: उनकी रोकथाम के लिये खुरपी की सहायता से घास-फूस निकालते रहें।

खाद एवं उर्वरक: पोषक तत्वों की उचित मात्रा, भूमि, जलवायु और पौधों की किस्म पर निर्भर करता है। सामान्यत: यूरिया- 100 किलोग्राम, सिंगल सुपरफॉस्फेट 200 किलो ग्राम एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश 75 किलोग्राम का मिश्रण बनाकर 10 किलोग्राम प्रति 1000 वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिला दें। उर्वरक देते समय ध्यान रहे कि भूमि में पर्याप्त नमी हो।

तरल खाद: मौसमी फूलों की उचित बढ़वार और अच्छे फूलों के उत्पादन के लिये तरल खाद बहुत उपयोगी मानी गयी है । गोबर की खाद और पानी का मिश्रण उसमें थोड़ी मात्रा में नाईट्रोजन वाला उर्वरक मिलाकर देने से लाभ होता है ।

मौसमी फूलों का वर्गीकरण

(अ) वर्षा कालीन मौसमी फूल: इन पौधों के बीजों को अप्रैल-मई में पौधशाला में बोवाई करें और जून-जुलाई में इसकी पौध को क्यारियों या गमलों में लगायें। मुख्य रूप से डहेलिया, वॉलसम, जीनिया, वरबीना आदि के पौध रोपित करें ।

शरद कालीन मौसमी फूल: इन पौधों के बीजों को अगस्त-सितम्बर या पौधशाला में बोयें एवं अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में गमलों या क्यारियों में रोपाई करें। इन पर फूल फरवरी-मार्च तक लगते हैं। मुख्य रूप से एस्टर, कार्नफ्लावर, स्वीट सुल्तान, वार्षिक गुलदाउदी, क्लार्किया, लाकर््स्पर, कारनेशन, लूपिन, स्टाक, पिटुनिया, फ्लॉक्स, वरवीना, पैंजी आदि के पौधे लगायें ।

ग्रीष्म कालीन मौसमी फूल: इन पौधों के बीज दिसम्बर-जनवरी में बोयें एवं फरवरी में लगायें इन पर अप्रैल से जून तक फूल रहते हैं। मुख्य रूप से जीनिया, कोचिया, ग्रोमफ्रीना, एस्टर, गैलार्डिया, वार्षिक गुलदाउदी लगायें।

बीज एकत्रित करना: बीज के लिये फल चुनते समय फूल का आकार, फूल का रंग, फूल का स्वास्थ अच्छा हो, चुनना चाहिये। जब फूल पक कर मुरझा जायें तब उसे सावधानी से काट कर धूप में सुखा लें फिर सावधानी से मलकर उनके बीज निकाल लें और फिर उन्हें शीशे के बर्तन या पॉलीथिन की थैली में बंद कर लें।

मौसमी फूलों के मुख्य पौधे

  • क्यारियों में लगाने हेतु: एस्टर, वरवीना, फ्लॉस्क, सालविया, पैंजी, स्वीट विलयम, जीनिया।
  • गमले में लगाने हेतु: गेंदा, कार्नेशन, वरवीना, जीनिया, पैंजी आदि ।
  • शैल उद्यानों में लगाने हेतु: अजरेटम, लाइनेरिया, वरबीना, डाइमार्फोतिका, स्वीट एलाइसम आदि ।
  • पट्टी, सड़क या रास्ते पर लगाने हेतु: पिटुनिया, डहेलिया, केंडी टफ्ट आदि ।
  • लटकाने वाली टोकरियों में लगाने हेतु: स्वीट,लाइसम, वरवीना, पिटुनिया, नस्टरशियम, पोर्तुलाका, टोरोन्सिया
  • सुगंध के लिये पौधे: स्वीट पी, स्वीट सुल्तान, पिटुनिया, स्टॉक, वरबीना, बॉल फ्लॉक्स ।
  • बाड़ के लिये पौधे: गुलदाउदी, गेंदा।
Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *