भारत के हर क्षेत्र के लिए सबसे उपयुक्त गेहूं की किस्में
30 नवंबर 2024, भोपाल: भारत के हर क्षेत्र के लिए सबसे उपयुक्त गेहूं की किस्में – भारत में गेहूं की खेती विभिन्न कृषि जलवायु परिस्थितियों में की जाती है, और हर क्षेत्र की अपनी विशेष आवश्यकताएं और चुनौतियां होती हैं। किसी भी फसल की सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है उस क्षेत्र के लिए उपयुक्त किस्म का चयन। आईसीएआर- भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने विभिन्न भारतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त गेहूं की किस्मों की सिफारिश की है, जो बेहतर उत्पादन और गुणवत्ता सुनिश्चित करती हैं। इन किस्मों का चयन न केवल मौसम और मिट्टी की स्थितियों के अनुसार किया गया है, बल्कि किसानों को अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक रूप से परखा गया है। आइए जानते हैं उन किस्मों के बारे में, जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के साथ उगाई जा सकती हैं।
हालांकि धान की कटाई में देरी और तापमान में उतार-चढ़ाव की चुनौतियां थीं, फिर भी नवंबर के अंत तक गेहूं की बुवाई काफी संतोषजनक रही। जिन किसानों ने अब तक बुवाई नहीं की है, उनके लिए यह सुझाव दिया जाता है कि वे कृषि जलवायु परिस्थितियों और बुवाई के समय को ध्यान में रखते हुए, उपयुक्त किस्मों का चयन करें ताकि उत्पादन अधिकतम हो सके।
उत्तरी, पूर्वी और मध्य भारत में समय पर, देर से, बहुत देरी से बुआई के लिए गेहूं की किस्में
क़िस्म | उत्पादन स्थितियों | |
देर से बोई जाने वाली किस्में | ||
पीबीडब्ल्यू 752, पीबीडब्ल्यू 771, डीबीडब्ल्यू 173, जेकेडब्ल्यू 261, एचडी 3059, डब्ल्यूएच 1021 | सिंचित, देर से बोया गया (25 दिसंबर तक) | एनडब्ल्यूपीजेडः पंजाब, हरियाणा, राजस्थान का कुछ आग, पश्चिम यूपी |
डीबीडब्ल्यू 316, पीबीडब्ल्यू 833, डीबीडब्ल्यू 107, एचडी 3118, जेकेडब्ल्यू 261, पीबीडब्ल्यू 752 | एनईपीजेडः पूर्वी यूपी, बिहार, बंगाल, झारखंड | |
एचडी 3407, एचआई 1634, सीजी 1029, एमपी 3336 | सीजेंड: एमपी, गुजरात, राजस्थान | |
बहुत देर से बोई जाने वाली किस्में | ||
एचडी 3271, एचआई 1621, डब्ल्यूआर 544 | सिंचाई बहुत देर से बुवाई (25 दिसंबर से आगे) | सभी जोन |
बुआई का समय, बीज दर और उर्वरक प्रयोगः भारत में गेहूं की फसल विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों और उत्पादन स्थितियों में उगाई जाती है। बुआई के समय से क्षेत्र दर क्षेत्र और अलग-अलग उत्पादन परिस्थितियों में थोड़ा अंतर होता है।
गेहूं की फसल के लिए क्षेत्रवार बुआई बीज दर एवं उर्वरक की मात्रा
क्षेत्र | बुआई की स्थिति | बीज दर | उर्वरक की खुराक और प्रयोग का समय |
एनडब्ल्यूपीजेड और एनईपीजेड | सिंचित, देर से बोया गया | 125 किया/हैक्टर | 120:60:40 किया एनपीके हे (1/3 एन और पूर्ण पी और के बुआई के समय बेसल के रूप में और शेष एन पहली और दूसरी सिंचाई में दो बराबर भागों में) |
सीजेड और पौजेड | सिंचित, देर से बोया गया | 125 किया/हैक्टर | 90:60:40 किग्रा एनपीके है (1/3 एन और पूर्ण पी और के बुआई के समय बेसल के रूप में और शेष एन पहली और दूसरी सिंचाई में दो बराबर आगो में) |
समय पर बोई जाने वाली किस्में
किस्म | उत्पादन स्थितियाँ | |
डीबीडब्ल्यू 187, डीबीडब्ल्यू 222, एचडी 3406, पीबीडब्ल्यू 826, पीबीडब्ल्यू 3226, एचडी 3086 डब्ल्यूएच 1105 | सिंचित, समय पर बोया गया (20 नवंबर तक) | एनडब्ल्यूपीजेडः पंजाब, हरियाणा, राजस्थान का कुछ भाग, पश्चिम यूपी |
डीबीडब्ल्यू 187, पीबीडब्ल्यू 826, एचडी 3411, डीबीडब्ल्यू 222, एचडी 3086, के 1006 | एनईपीजेडः पूर्वी यूपी, बिहार, बंगाल, झारखंड | |
डीबीडब्ल्यू 303, डीबीडब्ल्यू 187, एचआई 1636, एमएसीएस 6768, जीडब्ल्यू 366 | सीजेंड: एमपी, गुजरात, राजस्थान | |
डीबीडब्ल्यू 168, एमएसीएस 6478, यूएएस 304, एमएसीएस 6222 | पीजेडः महाराष्ट्र, कर्नाटक |
सामान्य सुझाव
- उपयुक्त किस्मों का चयन: अपने क्षेत्र की परिस्थितियों के अनुसार, देर से बुवाई में उपयुक्त किस्मों का चयन करें।
- क्षेत्रीय उपयुक्तता: अन्य क्षेत्रों की किस्में लगाने से बचें क्योंकि ये स्थानीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त नहीं होतीं।
- संतुलित इनपुट का उपयोग: अधिकतम उपज के लिए उर्वरक, सिंचाई, शाकनाशी और कवकनाशी का विवेकपूर्ण उपयोग करें।
- पानी की बचत: खेतों में समय पर और विवेकपूर्ण सिंचाई करें, जिससे पानी की बर्बादी रोकी जा सके।
- पीलापन रोकथाम: यदि फसल में पीलापन हो, तो नाइट्रोजन (यूरिया) का अधिक उपयोग न करें। कोहरे या बादलों की स्थिति में नाइट्रोजन के उपयोग से बचें।
- मौसम पूर्वानुमान का ध्यान रखें: सिंचाई से पहले बारिश की संभावना को अवश्य जांचें ताकि जलभराव की समस्या न हो।
- फसल अवशेष प्रबंधन: खेतों में फसल अवशेष जलाने से बचें। इन्हें मिट्टी में मिला देना या सतह पर छोड़ देना बेहतर है। मिट्टी की सतह पर फसल अवशेषों की उपस्थिति में, गेहूं की बुवाई के लिए हैप्पी सीडर या स्मार्ट सीडर का उपयोग किया जा सकता है।
- यूरिया का उपयोग: सिंचाई से ठीक पहले यूरिया का टॉप ड्रेसिंग करें।
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