फसल की खेती (Crop Cultivation)

फसलों में नैनो डीएपी तरल का प्रयोग आवश्यक रूप से करने की अपील

28 जून 2025, भोपाल: फसलों में नैनो डीएपी तरल का प्रयोग आवश्यक रूप से करने की अपील – फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही उन्हें विभिन्न कीट-रोगों से बचाने के लिए किसानों को बुआई से पहले  बीजों का उपचार आवश्यक रूप से करना चाहिए।

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 इस कड़ी में कृषि विभाग, सीहोर द्वारा किसानों से इस बार अपनी फसलों में नैनो डीएपी तरल का प्रयोग आवश्यक रूप से करने की अपील की गई है। कृषि विभाग के मुताबिक नैनो डीएपी एक तरल  उर्वरक है जिसमें 8 प्रतिशत नाइट्रोजन और 16 प्रतिशत फास्फोरस होता है। अन्य उर्वरकों के मुकाबले नैनो डीएपी के कण आकार में छोटे होते हैं। इनका आकार 100 नैनोमीटर से कम होता है। इसकी अनूठी क्रिया इसे बीज की सतह के अंदर या स्टोमेटा और अन्य पौधों के उभार के माध्यम से आसानी से प्रवेश करने में सक्षम बनाती है। कृषि विभाग के उप-संचालक ने बताया कि नैनो डीएपी से बीज उपचार करने एवं फसलों पर छिड़काव करने से विभिन्न लाभ प्राप्त होता है। नैनो डीएपी के उपयोग से बीज अंकुरण के तुरंत बाद पौधे को पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जो परंपरागत डीएपी से समय पर नहीं मिल पाती। नैनो डीएपी के उपयोग से पौधे को तुरंत पोषक तत्व मिलते है। जिससे जड़ और पौधे की वृद्धि तेजी से होती हैं। पौधे में जड़ों की संख्या बढ़ती है। नमी की कमी होने पर पौधे की सूखा सहन करने की क्षमता बढ़ती है और पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

3 प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकता हैं

उप-संचालक ने बताया कि नैनो डीएपी को फसल उत्पादन के लिए 3 प्रकार से इस्तेमाल किया जा सकता हैं। इसका उपयोग बीज उपचार, जड़ या कंद का उपचार और पत्तों पर छिड़काव करने में किया जाता है। बीजों के उपचार के लिए 3-5 मिली. नैनो डीएपी को प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से पानी में घोलकर 20-30 मिनट के लिये बीज को भिगोया जाता है, फिर छाया में सुखाकर बुवाई की जाती है। इससे बीज की अंकुरण क्षमता और फसल की उपज में सुधार होता हैं।

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