हंसता व्यापारी, लुटता किसान
भावांतर – सरकारी संरक्षण में लूट की खुली छूट आम जनता से वसूले गई टैक्स से किसानों की भावांतर के माध्यम से मदद करना न तो अर्थशास्त्रियों को सुहाता है और ना ही आम जनता को और इससे किसान भी
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंभावांतर – सरकारी संरक्षण में लूट की खुली छूट आम जनता से वसूले गई टैक्स से किसानों की भावांतर के माध्यम से मदद करना न तो अर्थशास्त्रियों को सुहाता है और ना ही आम जनता को और इससे किसान भी
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंभोपाल। गेहूं खरीदी के लिए खाद्य विभाग ने तैयारी शुरू करर दी है। विभाग इस बार जिले में 20 मार्च से 20 मई तक गेहूं खरीदी करेगा। इसके लिए पुराने पंजीयन वाले किसानों को दोबारा से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। पंजीयन
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंप्रदेश की दूसरी महिला राज्यपाल होंगी भोपाल। गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री आनंदीबेन पटेल को मप्र का राज्यपाल बनाया गया है। उनका कार्यकाल प्रभार ग्रहण करने के दिन से प्रभावी होगा। सुश्री आनंदीबेन मप्र भी दूसरी महिला राज्यपाल होंगी। इनसे
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंभोपाल । किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री गौरी शंकर बिसेन ने कहा है कि प्रदेश में किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने के लिये विभाग द्वारा अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं । इसी सिलसिले में विभाग
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करें(विशेष प्रतिनिधि) नई दिल्ली/भोपाल। म.प्र. में रबी फसलों की बोनी पूरी हो गई है। प्रमुख रबी फसल गेहूं का रकबा 53.16 लाख हेक्टेयर हो गया है जो लक्ष्य 49.06 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। इस वर्ष कुल रबी फसलें 112.11
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंआज कल चारधाम-गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ मार्गों पर हजारों वन प्रजातियों के ऊपर पहाड़ टूटने लगे हैं। ऋषिकेश से आगे देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, अगस्त मुनि, गुप्तकाशी, फाटा, त्रिजुगीनारायण, गौचर, कर्णप्रयाग, नंदह्यप्रयाग, चमोली, पीपल कोटी, हेंलग से बद्रीनाथ तक हजारों पड़ों
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंभारत में गन्ने की खेती लगभग 50.6 लाख हेक्टर में की जाती है। मध्यप्रदेश में इसका क्षेत्र मात्र 1.01 लाख हेक्टर है जो देश के गन्ने के कुछ क्षेत्र का मात्र लगभग 2 प्रतिशत है। मध्यप्रदेश में गन्ने की उत्पादकता
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंहमारे यहां बौछारी और बूंद – बूंद सिंचाई पर ज्यादा ध्यान दिया जाए तो न केवल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, बल्कि कृषि की उन्नत तकनीक भी विकसित की जा सकती है। असमतल भूमि और ऊंचाई वाले क्षेत्र में भी
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंजलवायु :- बेल एक उपोष्ण जलवायु का पौधा है, फिर भी इसे उष्ण जलवायु में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। इसकी ख्ेाती समुद्र तल से 1200 मीटर ऊँचाई तक और 7-46 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तक की जा सकती है।
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंभूमि व जलवायु तरबूजे के लिये अधिक तापमान वाली जलवायु सबसे अच्छी होती है। गर्म जलवायु अधिक होने से वृद्धि अच्छी होती है। ठंडी व पाले वाली जलवायु उपयुक्त नहीं होती। अधिक तापमान से फलों की वृद्धि अधिक होती है।
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