संपादकीय (Editorial)

संपादकीय (Editorial) में भारत में कृषि, कृषि नीतियों, किसानों की प्रतिक्रिया और भारतीय परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता से संबंधित नवीनतम समाचार और लेख शामिल हैं। संपादकीय (Editorial) में अतिथि पोस्ट और आजीविका या ग्रामीण जीवन से संबंधित लेख भी शामिल हैं।

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जैविक खेती और अनुसंधान

पृथ्वी के निर्माण व उसमें मानव के आगमन से लेकर 20वीं सदी के प्रारंभ तक मानव आबादी मात्र एक अरब तक ही पहुंच पाई थी परंतु जब 20वीं सदी का अंत हुआ तो मानव संख्या सात गुना बढ़कर लगभग सात

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इंदौर जिले में दो लाख 37 हजार हेक्टेयर रकबे में हुई बोनी

इंदौर। इंदौर जिले में गत मानसून सत्र में हुई बेहतर वर्षा से रबी के रकबे में बढ़ोतरी हुई है। जिले में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष रबी में 41 हजार 628 हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में रबी की बुआई

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दीपक ने जलाई जैविक की ज्योति

खातेगांव। देवास जिले की सतवास तहसील के पास के ग्राम खेरखेड़ा के नवयुवक एवं कृषक जगत के प्रतिनिधि श्री दीपक राव ने क्षेत्र में जैविक खेती की अलख जलाई है, श्री राव स्वयं कृषक नहीं है, खेती के नाम पर

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खाद्यान्न उत्पादन हेतु उपलब्ध नवीनतम तकनीकें

जलवायु में लगातार आ रहे परिवर्तन के कारण फसलों की उत्पादकता लगातार प्रभावित हो रही है। इससे भारत जैसे विकासशील देश ज्यादा प्रभावित हैं क्योंकि कृषि हमारा मुख्य व्यवसाय है। खेती में मशीनों में ईंधन के प्रयोग से, रसायनों तथा

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गमले में गुलाब लगाना

उचित गमलों का चुनाव – गमलों का चुनाव इस प्रकार निर्भर करता है कि गमलों में किस प्रकार के गुलाब उगाने हैं। कलम लगाने के लिए चौड़े मुंह के नाद के आकार के गमले उचित हैं। बहुवर्षीय गुलाब, उगाने के लिए

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प्याज की अच्छी कीमत मिलने से किसानों के चेहरे खिले 

(राजीव कुशवाह) नागझिरी। आमतौर पर प्याज बेचकर आंसू बहाने वाले किसानों के चेहरे इस बार प्याज की अच्छी कीमत मिलने से खिले हुए हैं। हालांकि अति वृष्टि से इस बार प्याज का औसत उत्पादन 30-40  क्विंटल प्रति एकड़ ही रहा,

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खिला गुलाब नहीं मिलने का कारण

अच्छी गुणवत्ता वाले गुलाब के पौधे कई सालों तक हरे-भरे रहेंगे और उसमें खूब फूल खिलेंगे। यदि ऐसा नहीं होता है तो निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-

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एफपीओ- कृषि उपज व मार्केटिंग के लिए उम्मीद की किरण

कृषि तथा ऐसी ही गतिविधियों से अपनी आजीविका कमाने वाले 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या वाला, भारत देश एक कृषि अर्थव्यवस्था वाला देश है। पिछले दो वर्षों में देश बीजों सहित खाद्यान्न उत्पादन की उत्तरोत्तर प्रगति का साक्षी रहा है।

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पूसा डीकम्पोजर का उपयोग आप भी कर सकते हैं

कम्पोस्ट एक कार्बनिक या जैविक पदार्थ है जिसे कृषि अवशेषों को सड़ा गला कर बनाया जाता है तथा पौधों को बढऩे में उर्वरक की तरह सहायता करता है। फसल अवशेषों का कम्पोस्ट बनाना सबसे सरल विकल्प है। कम्पोस्ट बनाने के

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स्ट्राबेरी मैदानी इलाकों में भी लगती है

जलवायु: भारत में स्ट्राबेरी की खेती शीतोष्ण क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है। मैदानी क्षेत्रों में सिर्फ सर्दियों में ही इसकी एक फसल ली जा सकती है। पौधे अक्टूबर-नवम्बर में लगाए जाते हंै, जिन्हें शीतोष्ण क्षेत्रों से प्राप्त किया

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