उड़द की खेती
भूमि की तैयारी:- उड़द सभी प्रकार की भूमि मेंं (अधिक रेतीली भूमि को छोड़कर) सफलता पूर्वक पैदा की जा सकती है। परन्तु हल्की रेतीली, दोमट या मध्यम प्रकार की भूमि में जिसमें पानी का निकास अच्छा हो, उड़द के लिये
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंनवीनतम फसल की खेती (Crop Cultivation) की जानकारी और कृषि पद्धतियों में नवाचार, बुआई का समय, बीज उपचार, खरपतवार नियन्तारन, रोग नियन्तारन, कीटो और संक्रमण से सुरक्षा, बीमरियो का नियन्तारन। गेहू, चना, मूंग, सोयाबीन, धान, मक्का, आलू, कपास, जीरा, अनार, केला, प्याज़, टमाटर की फसल की खेती (Crop Cultivation) की जानकारी और नई किस्मे। गेहू, चना, मूंग, सोयाबीन, धान, मक्का, आलू, कपास, जीरा, अनार, केला, प्याज़, टमाटर की फसल में कीट नियंतरण एवं रोग नियंतरण। सोयाबीन में बीज उपचार कैसे करे, गेहूँ मैं बीज उपचार कैसे करे, धान मैं बीज उपचार कैसे करे, प्याज मैं बीज उपचार कैसे करे, बीज उपचार का सही तरीका। मशरुम की खेती, जिमीकंद की खेती, प्याज़ की उपज कैसे बढ़ाए, औषदि फसलों की खेती, जुकिनी की खेती, ड्रैगन फ्रूट की खेती, बैंगन की खेती, भिंडी की खेती, टमाटर की खेती, गर्मी में मूंग की खेती, आम की खेती, नीबू की खेती, अमरुद की खेती, पूसा अरहर 16 अरहर क़िस्म, स्ट्रॉबेरी की खेती, पपीते की खेती, मटर की खेती, शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स, लहसुन की खेती। मूंग के प्रमुख कीट एवं रोकथाम, सरसों की स्टार 10-15 किस्म स्टार एग्रीसीड्स, अफीम की खेती, अफीम का पत्ता कैसे मिलता है?
भूमि की तैयारी:- उड़द सभी प्रकार की भूमि मेंं (अधिक रेतीली भूमि को छोड़कर) सफलता पूर्वक पैदा की जा सकती है। परन्तु हल्की रेतीली, दोमट या मध्यम प्रकार की भूमि में जिसमें पानी का निकास अच्छा हो, उड़द के लिये
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंभूमि की तैयारी – खीरे के लिए कोई खास तैयारी नहीं करनी पड़ती क्योंकि तैयारी भूमि की किस्म के ऊपर निर्भर होती है। बलुई भूमि के लिये अधिक जुताई की आवश्यकता नहीं होती। इसलिये 2-3 जुताई करनी चाहिए तथा पाटा
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंइन्दौर। सोयाबीन की खेती में साल दर साल समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। जैसे बीज व भूमिजनित बीमारियां जो फफूंदियों द्वारा उत्पन्न होती हैं, जिसके कारण अंकुरण में भारी कमी आ जाती है, इससे किसान बीज की मात्रा बढ़ाकर बोवनी
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंराघव जैसवाल, बदनावर समाधान- आपका प्रश्न सामयिक है. सोयाबीन लगाने का समय आ रहा है. जातियों का चयन तथा प्राप्ति स्थल जानना जरूरी है तो जानिये इन पंक्तियों से- जातियों में जे.एस. 335, जे.एस. 80-21, जे.एस. 71-05, जे.एस. 90-41, अहिल्या-1,
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंबीज क्या है, व्यवसायिक दृष्टि से बीज की परिभाषा के अंतर्गत लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न बीज के साथ-साथ फल, तना, जड़ व अन्य प्रवर्धन सामग्री से है जो अनुकूल वातावरणीय परिस्थितियों – नमी, ताप, वायु व प्रकाश की सुलभता और
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंबीज की विशेषताएं : अनुवांशिक रूप से शुद्ध होता है। भौतिक रूप से शुद्ध होता है। बीज का आकार, आकृति व रंग में समानता होती है। निर्धारित मानकों के अनुरूप अंकुरण क्षमता व नमी का होना। यह बीज जनित रोग
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंखाद्यान्न फसलों में धान-गेहूं भारत का एक प्रमुख फसल प्रणाली है। यह फसल प्रणाली देश की खाद्यान्न सुरक्षा के लिए रीढ़ की हड्डी है। हमारे देश के उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पूर्व में लगभग 12.3 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र धान-गेहूं फसल चक्र के
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंखाद निर्माण हेतु आवश्यक सामग्री खाद उत्तम प्रकार से पक सके तथा खेत में पोषक तत्व एवं वायु का संचार कर सके इस हेतु निम्नलिखित सामग्री का उपयोग करें: गोबर, हरा मुलायम चारा अथवा घास जो बिना फूल और बीज
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंभोपाल। देश की प्रतिष्ठित संस्था रिलांयस फाऊंडेशन जो विगत तीन वर्षों से प्रदेश के विभिन्न जिलों में किसानों को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से जैविक खेती के लिए जागरूक करने का कार्य कर रही है। इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम
आगे पढ़ने के लिए क्लिक करेंभूमि एवं जलवायु – इसकी खेती के लिये गहरी उपजाऊ व अच्छे पानी के निकास वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती हैं। उपयुक्त किस्में – बी-250 तथा बी-260, पंचमुखी, सतमुखी, सीओ-1, श्री किरन, श्री पल्लवी, श्री रश्मी अरबी की उपयुक्त किस्में
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