पशुपालन (Animal Husbandry)

राजस्थान के सूखे क्षेत्रों में वैज्ञानिक तरीके से कैसे भेड़ पालें

11 दिसम्बर 2022, जैसलमेर । राजस्थान के सूखे क्षेत्रों में वैज्ञानिक तरीके से कैसे भेड़ पालें  – कृषि विज्ञान केंद्र पोकरण ने रामदेवरा में शुष्क क्षेत्रों में वैज्ञानिक भेड़ पालन विषयक एकदिवसीय असंस्थागत प्रशिक्षण का आयोजन किया। केंद्र के पशुपाल वैज्ञानिक डॉ. राम निवास ढाका ने क्षेत्र के किसानों को भेड़ पालन मे प्रमुख नस्लों, आहार प्रबंधन, आवास, रोग एवं बचाव पर विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए बताया कि भेड़ों को मुख्य रूप से मांस, दूध, ऊन, प्राप्त करनें के उद्देश्य से पाला जाता है। उन्होने शुष्क क्षेत्रों में पायी जाने वाली झाडिय़ा, घास, नीम, खेजड़ी इत्यादि पोषक तत्वों से भरपूर होने से भेड़ों का शारीरिक विकास अच्छा करती है।    

क्षेत्र के लिए मुख्य उत्तम नस्लें जैसे मारवाड़ी, मगरा, जैसलमेरी, मुजफ्फरनगरी,  नाली, पाटनवाड़ी आदि को पालकर किसान अधिक आमदनी अर्जित कर सकता है। गर्भावस्था और उसके बाद जब तक मेमने दूध पीते हैं, तब तक भेड़ के पालन पोषण पर अधिक ध्यान देना चाहिये। इन्हें संतुलित और पौष्टिक आहार अन्य भेड़ों की तुलना में ज्यादा देना चाहिए।  भेड़ आम तौर पर नौ महीने की आयु में पूर्ण वयस्क हो जाती है किन्तु स्वस्थ मेमने लेने के लिये यह आवश्यक है कि उसे एक वर्ष का होने के पश्चात ही गर्भधारण कराया जाए। भेड़ों में प्रजनन आठ वर्ष तक होता है। गर्भवस्था औसतन 147 दिन कि होती है।

कार्यक्रम में शस्य वैज्ञानिक डॉ. के. जी. व्यास ने बताया कि भेड़ खेत में फसल अवशेषों के समुचित उपयोग मे मदद करने वाला जानवर है। प्रशिक्षण में सुनील शर्मा प्रसार वैज्ञानिक ने भेड़ पालन के साथ वर्मी कम्पोस्ट इकाई लगाकर किसान अतिरिक्त आय का सर्जन करने की बात बताई। भेड़ों को प्रजनन के लिये छोडऩे से पहले यह निश्चित कर ले कि उन्हें उस क्षेत्र में पाई जाने वाली संक्रामक बिमारियों के टीके लगा दिये गये है तथा उनको कृमिनाशक औषधि से नहलाया जा चुका है। भेडं़े को प्रजनन के लिये अधिक से अधिक आठ सप्ताह तक छोडऩा चाहिये तथा निश्चित अवधि के पश्चात उन्हें रेवड़ से अलग कर देना चाहिये।

महत्वपूर्ण खबर: 6 जिलों में पान खेती को बढ़ावा देने सरकार दे रही अनुदान

Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *