पशुपालन (Animal Husbandry)

जाड़े में करें मुर्गियों की देखरेख

25 दिसंबर 2024, भोपाल: जाड़े में करें मुर्गियों की देखरेख –

नहीं घटेगा मांस एवं अण्डा उत्पादन

बकरी पालन और भेड़ पालन के साथ-साथ मुर्गी पालन अच्छे मुनाफे वाले व्यवसायों में से एक है। मुगौं पालन अण्डा और मांस उत्पादन के लिए किया जाता है। इनके लिए अलग-अलग प्रजातियों का चयन करना होता है। मुर्गी पालन की खासियत है कि इसे कम लागत से शुरू करके इससे कमाई जल्दी शुरू की जा सकती है, क्योंकि मास के लिए पाली जाने वाली मुर्गियां 40 से 45 दिन में तैयार हो जाती हैं।

Advertisement
Advertisement

मुर्गी आवास का प्रबंधन

उन्होंने बताया कि मुर्गियों से सर्वाधिक उत्पादन लेने हेतु 85 से 95 डिग्री फेरेनहाईट तापक्रम आवश्यक होता है। जाड़े में कम से कम 3 से 5 इंच की बिछाली मुर्गीपर के फर्श पर डालें जो की अच्छी गुणवत्ता की हो. अच्छी गुणवत्ता की बिछाती मुर्गियों को फर्श के ठंड से बचाता है और तापमान को नियंत्रित किये रहता है। डीप लीटर पद्धति में रखी मुर्गियों के बाड़े में जो भूसा जमीन पर बिछा होता है वह सूखा होना चाहिए। उस पर पानी रिस जाये तो तुरन्त गीला बिछावन (लिटर) हटाकर वहां सूखा बिछावन डाल दें अन्यथा मुर्गियों को ठंड लग सकती है। रात के समय खिड़की के पर्दे मोटे बोरे और प्लास्टिक के लगायें, ताकि वे ठंडी हवा के प्रभाव को रोक सकें। जाड़े के मौसम में मुर्गीपालन करते समय एक अंगीठी या स्टोव, हीटर मुगौंधर में जला दें। इस बात का ध्यान रखें की अंगीठी अदर रखने से पहले इसका धुआ बाहर निकाल दें। इससे अंदर का तापमान बाहर की अपेक्षा ज्यादा रहेगा। मुर्गीशाला की लंबाई पूर्व से पश्चियम दिशा की और हो ताकि खासकर ठंड के मौसम में मुर्गीधर के अंदर अधिक से अधिक समय तक धूप का प्रवेश हो सके। इसके अलावा अंडा उत्पादन बरकरार रखने हेतु तथा मुर्गियों को ठंड से बचाने हेतु बाड़े में बिजली के बल्ब लगाना जरूरी है इसके लिए 200 वर्गफीट जगह में 100 यॉट क्षमता के चार बिजली के बल्ब लगाये जा सकते है।

आहार प्रबंधन

जाहे के मौसम में मुर्गीपालन करते समय मुर्गियों के पास मुर्गीदाना हर समय उपलब्ध रहे क्योंकि शीतकालीन मौसम में मुर्गीदाना की खपत बढ़ जाती है। साधारणतः एक संकर मुर्गी को रोजाना 110 से 140 ग्राम दाना जरूरी होता है। मुर्गियों के दाने में प्रोटीन, ऊर्जा तथा कैल्शियम की मात्रा महत्वपूर्ण होती है। सामान्यतः अंडे देने वाली मुर्गिया इक्कीस हफ्तों से लेकर बहत्तर हफ्तों तक अंडे देती है। मुर्गीपालकों को चूजे से लेकर अंडा उत्पादन तक की अवस्था में विशेष ध्यान दे यदि लापरवाही की गयी तो अंडा उत्पादकता प्रभावित होती है। मुर्गीपालन में 70 प्रतिशत खर्चा आहार प्रबंधन पर आता है अतः इस पहलू पर भी विशेष ध्यान देकर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है। किसानों को लेयर मुनियों का आहार बनाने के लिये इसमें लगभग 45 से 50 प्रतिशत मक्का, 15 प्रतिशत सोयाबीन मील, 12 प्रतिशत खली, 18 प्रतिशत राइस पोलिस, 7 प्रतिशत मछली चूरा एवं 1 से 2 प्रतिशत खनिज मिश्रण और नमक को शामिल करें।

Advertisement8
Advertisement

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Advertisement8
Advertisement

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement