पोल्ट्री फॉर्मिंग में अजोला बढ़ाए उत्पादकता
- दशरथ सिंह चूंडावत
कृषि स्नातकोत्तर (पशु उत्पादन एवं प्रबंधन)
राजस्थान कृषि महाविद्या., उदयपुर (राज.)
Email – dschundawat2018@gmail.com
13 सितम्बर 2022, पोल्ट्री फॉर्मिंग में अजोला बढ़ाए उत्पादकता – भारत विश्व में पशुपालन एवं पोल्ट्री पालन की दृष्टिकोण से एक विशेष स्थान रखता है। पोल्ट्री फार्मिंग एक तीव्र गति से बढऩे वाला व्यवसाय बन चुका है। पोल्ट्री फार्मिंग कई तरीके के पक्षियों का पालन किया जाता है जेसे मुर्गी, बटेर, बतख एवं टर्की इत्यादि तथा इनसे मुनाफा अर्जित किया जाता है। भारत वर्तमान समय में छठा सबसे बड़ा पोल्ट्री फार्मिंग वाला देश है एवं तीसरा सबसे बड़ा अंडा उत्पादक है। वर्तमान समय में कुल लागत का 60-70 प्रतिशत केवल खाद्य पदार्थो पर खर्च होता है। आधुनिक समय में पोल्ट्री में आर्गेनिक मांस उत्पादन का बाजार में बहुत बड़ी मांग लिए हुए है। ये मांस बाजार में बहुत अच्छा मुनाफा प्रदान करता है। अजोला वर्तमान समय में पोल्ट्री में एक खाद्य पूरक के रूप में उपयोग किया जाना वाला फर्ऩ है। अजोला पक्षियों में वजन एवं अंडा उत्पादन को बढ़ाता है साथ ही इसकी लागत भी बहुत कम आती है जिससे की किसानों की आय में भी भी बढ़ावा मिलता है।
उत्पादन तकनीक
- अजोला को उगने के लिए एक कृत्रिम तालाब बनाएं।
- तालाब बनाने के लिए, आंशिक रूप से छायांकित क्षेत्र का चयन करें। अजोला को 30 प्रतिशत सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। बहुत अधिक धूप पौधों को नष्ट कर देती है। पेड़ के नीचे का क्षेत्र भी चयनित किया जा सकता है।
- यदि आप बड़े पैमाने पर अजोला विकसित करने का निर्णय लेते हैं, तो छोटे कंाक्रीट टैंक बना सकते हैं। अन्यथा तालाब को अपनी इच्छा अनुसार आकार दे सकते हैं।
- तालाब के लिए मिट्टी खोदें और उसके बाद इसे समतल करें, ताकि पानी की कमी को रोकने के लिए जमीं के चारों ओर प्लास्टिक की चादर फैला सकें।
- तालाब में प्लास्टिक शीट पर सामान रूप से कुछ मिट्टी डालें। 2 वर्गमीटर के तालाब के लिए 10-15 किलोग्राम मिट्टी डालें।
- अजोला को अच्छी तरह से विकसित करने के लिए फास्फोरस की आवश्यकता होती है। गाय के गोबर के साथ सुपर फास्फेट मिला कर उपयोग कर सकते है। 4 से 5 दिन पुराना गोबर उपलब्ध पोषक तत्वों को बढ़ाता है।
- इसके बाद तालाब को पानी के साथ 10 सेंटीमीटर के स्तर तक भरें। इससे अजोला पौधे को स्वतंत्र रूप से तैरने की अनुमति होती है। इसके बाद 2 से 3 दिनों के लिए तालाब छोड़ दें, ताकि सामग्री व्यवस्थित हो सके।
- दो सप्ताह के बाद कटाई शुरू करें। 2 वर्ग मीटर आकार के फार्म के तालाब से प्रत्येक दिन 1 किग्रा अजोला काट सकते हैं।
अजोला कैसे खिलायें
अजोला पोल्ट्री फार्मिंग में एक उत्तम खाद्य पदार्थ है। इससे उत्पादन एवं प्रजनन क्षमता में भी बढ़ावा होता है। अजोला में सभी प्रकार के खनिज तत्व जैसे केल्सियम, आयरन, फास्फोरस, जिंक, मैग्नीशियम इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में विटामिन, प्रोटीन एवं सूक्ष्म खनिज पाए जाते हैं। शुरू-शुरू में यह खाने में अच्छा नहीं लगता है। अत: शुरू-शुरू में पशु को ज्यादा मात्रा में नहीं दें, धीरे-धीरे उसके आहार में अजोला की मात्रा को बढ़ायें। जब भी किसान अजोला पोल्ट्री में खाने में दे तो सर्वप्रथम अजोला को पानी से छान लें और इससे पुन: दो-तीन बार साफ़ पानी से धो लें उसके बाद जब पानी निकल जाये तब उसे खिलाने के लिए उपयोग करें। पोल्ट्री में प्रतिदिन 20-30 ग्राम/पक्षी देना उचित रहता है। इसके उत्पादन के लिए अक्टूबर से मार्च महिना सर्वोतम माना जाता है। लेकिन छाया में वर्ष भर उत्पादन लिया जा सकता है।
सावधानियां
- अच्छी पैदावार के लिए स्थान का प्रदूषण से मुक्त रहना आवश्यक है।
- पानी या गीली जगह में उगायें। सूखी परिस्थितियों में यह कुछ ही समय में मर जाता है। अजोला को नियमित रूप से काटा जाये।
- धूप अजोला की पैदावार में अहम भूमिका निभाती है, छायादार जगह कम पैदावार देती है।
- उपयुक्त पोषक तत्व जैसे कि गोबर का घोल, सूक्ष्म पोषक तत्वों को आवश्यकतानुसार डालते रहें। अजोला के जीवित रहने के लिए पानी का पी.एच. मान 3.5 से 10 के बीच रहे। लेकिन इष्टतम विकास तब होता है, जब पानी का पी.एच. मान 4.5 से 7 के बीच होता है।
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