Animal Husbandry (पशुपालन)

पशुओं का जैविक आहार अजोला

Share
  • लेखराज यादव , सांवर मल यादव
  • विनोद कुमार यादव
    प्रयागराज (उ.प्र.)

2 मार्च 2022, पशुओं का जैविक आहार अजोलाअजोला जल के ऊपर मूल रूप में तैरने वाली एक फर्न है जिसका रंग बिल्कुल हरा होता है। यह छोटे-छोटे समूह में पानी के ऊपर तैरती है। अजोला की कई प्रजातियां हैं किन्तु भारत में मुख्यत: अजोला पिन्नाटा प्रजाति पाई जाती है। यह किस्म काफी हद तक गर्मी सहन कर लेती है पर सर्दियों में इसकी बढ़वार थोड़ी कम हो जाती है। सर्दियों में अगर इसको ढंककर रखा जाए तो इसको कोहरे से होने वाले नुकसान से भी बचाया जा सकता है।

अजोला एक जलीय पौधा है जो पानी के ऊपर तैयार होता है। यह पानी पर तैरता हुआ अपने आप बढ़ता रहता है एवं इसकी शाखायें टूटकर नया पौधा बनाती रहती है। इसमें प्रोटीन विटामिन व एमिनो एसिड, खनिज लवण की मात्रा अधिक होती है। अजोला त्रिभुजाकार की छोटी फर्न हैं जो पानी पर तैरती रहती है। यह हरी छोटे बालों से घिरी रहती – हर या गहरी लाल रंग में भी होती है जो वेलवेट की तरह छोटे-नीली है।

उत्पादन तकनीकी के महत्वपूर्ण बिन्दु
  • अजोला पानी में तैरने वाली फर्न।
  • अजोला जवस्तार तीव्र गति से।
  • अजोला में प्रोटीन की अधिकता, आवश्यक एमिनो एसिड विटामिन ए,बी 12 एवं बीटा कैरोटिन, वृद्धि बढ़ाने वाले तत्व एवं खनिज तत्व जैसे कैल्शियम फास्फोरस, पोटेशियम, फेरस, मैगनिशियम एवं कॉपर आदि पाये जाते हैं।
  • शुष्क भार के आधार पर अजोला में 20 से 30 प्रतिशत प्रोटीन, 10-15 प्रतिशत खनिज तत्व एवं 7 से 10 प्रतिशत एमिनो एसिड, बायोएक्टिव पदार्थ एवं बायो पॉलीमर पाये जाते हैं।
  • अजोला पाचन आसानी से हो जाता है क्इसमें प्रोटीन अधिक एवं लिग्रित कम होता है।
  • अजोला को दाने में (1:1) अनुपात मिलाकर पशुओं को आसानी से खिला सकते हैं।
  • अजोला मुर्गी, भेड़, बतख, बकरी, खरगोश, गाय, भैंस व सुअर आदि को खिलाया सकते हैं।
अजोला उत्पादन हेतु आवश्यक सामग्री
  • अजोला क्यारी का आकार :10&4 &1.5 वर्ग फीट
  • खरपतवार रहित स्वच्छ मिट्टी-60 किग्रा
  • अल्ट्रावायलेट पॉलीथिन तरपाल
  • गाय का ताजा गोबर-6 किग्रा
  • सुपर फास्फेट-30 ग्राम
  • फ्रेश अजोला फर्न-1-1.5 किग्रा
  • अजोला क्यारी प्रत्येक 4 महीने में मिट्टी व पानी बदलना चाहिए।
  • अच्छी वृद्धि के लिए 20 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 1 किग्रा ताजा गाय का गोबर प्रत्येक 15 दिन से क्यारी में मिलाना चाहिए।
  • प्रत्येक महीने पर 10 किग्रा मिट्टी क्यारी से निकालकर ताजा मिट्टी डालें। 20 से 25 दिन बाद क्यारी से 500 ग्राम अजोला निकाल सकते हैं।
  • निकाले गये अजोला को साफ पानी से धोकर दाने में मिलाकर पशुओं को खिलायें।
  • अजोला क्यारी में ताजा बायो गैस स्लरी का प्रयोग भी कर सकते हैं।
अजोला उत्पादन

अजोला उत्पादन के लिए मिट्टी में 1 फीट गहरी क्यारी खोदी जाती है। पानी के रिसाव को रोकने के लिए 5 किलोग्राम 60 पॉलीथिन शीट बिछाई जाती है। पॉलीथिन शीट पर मिट्टी, 6 किलोग्राम ताजा गोबर की खाद व 4 इंच पानी है जो 20 से 25 दिन में पूरी क्यारी भर जाती है। अजोला को छलनी या बांस की टोकरी से पानी के ऊपर से ले लेते हैं इसके बाद इसको साफ पानी से धो लेते हैं बाद में बाटे में मिलाकर पशुओं को खिलाते हैं। कार्बन स्त्रोत के लिए अजोला क्यारी में से 4 दिन पुराना गोबर 25 किलो, 15 से 20 लीटर पानी में घोल कर डालते हैं जो अजोला के लिए कार्बन स्त्रोत का कार्य करता है। अजोला क्यारी में अजोला बीज डालने से पहले ग्राम 40, सूक्ष्म पोषक तत्व मिक्सर 10 किलो रॉक फॉस्फेट, 1.5 किलो मैग्रेशियम तथा ग्राम म्यूरेट 50 से 20 को गोबर की स्लरी में मिक्स कर देते हैं।

अजोला खिलाने की मात्रा

  • भेड़ व बकरियों को ग्राम 200 से 150
  • मुर्गियों को 30 से 50 ग्राम प्रतिदिन
  • गाय व भैंस को =1.2 से 5 किग्रा प्रतिदिन

अजोला खिलाने से लाभ

  • सस्ता एवं पौष्टिक पूरक पशु आहार है।
  • पशुओं को प्रतिदिन आहार के साथ 2 से 2.5 किलो अजोला खिलाने से 15 से 20 प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी सम्भव है।
  • अजोला खिलाने वाले पशुओं में वसा व वसा रहित पदार्थ सामान्य आहार खाने वाले पशुओं के दूध से अधिक पायी जाती है।
  • अजोला खिलाने वाले पशु सामान्य आहार खाने वाले पशुओं की अपेक्षा ज्यादा स्वस्थ है।
  • अजोला पशुओं में बांझपन निवारण में उपयोगी है।
  • दुधारू पशुओं का दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में उपयोगी है।
  • 1 किलो अजोला की गुणवत्ता 1 किलो खल के बराबर है।
  • पशु के पेशाब में खून की समस्या फॉस्फोरस की कमी से होती है। ऐसे पशुओं को अजोला खिलाए तो यह कमी दूर हो जाती है।
  • छ: महीने के बाद अजोला क्यारी की 2 किलो मिट्टी में 1 किलो एनपीके उर्वरक के बराबर पोषक तत्व रहते हैं।
  • अजोला पशुओं के लिए प्रति जैविक व आदर्श पूरक आहार हैं यह नाईट्रोजन स्थापित करती है और भूमि की उर्वराशक्ति को बढ़ाने का कार्य भी करता है।

 

महत्वपूर्ण खबर: हाईटेक खेती के लिए किसानों को ड्रोन पर मिलेगा 5 लाख रुपये अनुदान

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *