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किसानों को क्या मिलेगा ?

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पिचासी को पन्द्रह और पन्द्रह को पिचासी

पहली फरवरी को भारत सरकार का वर्ष 2018-19 का बजट लोकसभा में प्रस्तुत करते समय वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली ने 143.4 खरब रुपये का बजट प्रस्तुत किया। देश के किसानों को इस बजट से बहुत आशायें थीं परंतु उन्हें प्रत्यक्ष रूप से बजट से निराशा ही हाथ लगी। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में देश की जनता के 86 प्रतिशत किसानों का जिक्र तो किया परंतु इस अनुपात में बजट में उनका कोई प्रावधान नहीं रखा। प्रधानमंत्री के वर्ष 2022 तक किसानों की आय दुगना करने की परिकल्पना को बजट प्रस्तावों में कोई आशा नहीं बंधती। श्री स्वामीनाथन कमेटी की अनुशंसा फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य फसल की लागत का 50 प्रतिशत अधिक होना चाहिए, जिस पर प्रधानमंत्री श्री मोदी की सहमति थी, पर अमल करने में सात साल का समय लग गया। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में आगामी खरीफ मौसम से फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य फसल लागत के 50 प्रतिशत अधिक घोषित करने का आश्वासन दिया है। समय ही बतायेगा कि यह घोषणा कहां तक सार्थक सिद्ध होगी। यदि भारत सरकार इस दर पर समर्थन मूल्य घोषित कर भी देती है, तब भी राज्य सरकारें अपने बजट में इस मूल्य पर किसानों की फसल खरीदने के लिये, अपने बजट में इसका प्रावधान रखती हैं कि नहीं यह निश्चित नहीं है, अब तक देश के मात्र 20 प्रतिशत किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार द्वारा मिल पाता है। पंजाब व हरियाणा प्रांत ही ऐसे हंै जहां 90 प्रतिशत किसानों की फसल सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद पाती है। मध्यप्रदेश सरकार को यदि किसानों के हित में उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य वास्तव में दिलाना है तो वह भारत सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की फसल खरीदने की व्यवस्था करें न की भावान्तर के भंवर में किसानों को उलझाये। सरकार का किसानों को बिचोलियों से बचाना भी एक प्रमुख ध्येय होना चाहिए। देश के 86 प्रतिशत किसानों के लिये खेती किसानी के लिये बजट में 11 लाख करोड़ रुपये ऋण का प्रावधान रखा है। जिसमें वर्ष 2017-18 की तुलना में मात्र 1 लाख करोड़ की वृद्धि की है। इसके विपरीत उद्योगपतियों ने जिनकी संख्या किसानों की 8 प्रतिशत भी नहीं होगी, उनको मिलने वाला ऋण किसानों के मिलने वाले ऋण का लगभग आठ गुना है। सामान्य किसान अपने ऋणों का भुगतान समय पर कर देता है। परंतु उद्योगपतियों से ऋण की उगाई में प्रश्न चिन्ह लग जाता है। जिसमें सरकार असहाय बन जाती है। बजट में पशुपालक तथा मछली पालक किसानों को बजट में ऋण की सुविधा एक सराहनीय कदम है, जिसका लाभ किसान की आमदनी बढ़ाने के लिये सहायक सिद्ध होगा।

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