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जबलपुर में जैविक और प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय सम्मेलन 28 से 30 जनवरी तक

27 जनवरी 2024, जबलपुर: जबलपुर में जैविक और प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय सम्मेलन 28 से 30 जनवरी तक – इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एक्सटेंशन एजुकेशन, नागपुर, भाकृअप -कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जबलपुर और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के  संयुक्त  तत्वावधान में ‘ नेक्स्ट जनरेशन एग्रीकल्चर- आर्गेनिक एंड नेचुरल फार्मिंग पाथवेज़: एक्सटेंशन स्ट्रेटेजीज एंड अप्प्रोचिस ‘ विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन  28 से 30 जनवरी तक जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर में किया जाएगा ।

सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं जेएनकेवीवी जबलपुर के कुलपति डॉ. पी.के. मिश्रा, ने बताया कि सम्मेलन में आईसीएआर, राज्य कृषि और पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों और सरकारी विभागों के प्रतिभागी शामिल हैं। सम्मेलन में चार देशों के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागी भी शामिल होंगे, जो जैविक खेती से संबंधित मुद्दों और अपने देशों में प्राकृतिक और जैविक खेती की संभावनाओं पर विचार-विमर्श करेंगे।

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सम्मेलन के मुख्य आयोजन सचिव एवं अटारी, जबलपुर के निदेशक डॉ. एस.आर.के. सिंह ने बताया कि जैविक और प्राकृतिक खेती के विविध विषयगत क्षेत्रों के तहत दस तकनीकी सत्र आयोजित होंगे । जिनमें  टिकाऊ कृषि के लिए जैविक खेती, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए व्यापक विस्तार रणनीतियाँ, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नीति और संस्थागत दृष्टिकोण, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में सरकारी पहल और नीति समर्थन, जैविक और प्राकृतिक कृषि के विस्तार हेतु  आईसीटी और सोशल मीडिया की भूमिका, सामुदायिक भागीदारी और समूह दृष्टिकोण, बाजार और मूल्य श्रृंखला विकास विषय शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि मौजूदा खान-पान और जीवनशैली के कारण विश्व को  गंभीर समस्याओं से सामना करना पड़ रहा है, फलस्वरूप विश्व स्तर पर, समकालीन कृषि पद्धतियों को धीरे-धीरे अधिक टिकाऊ प्रथाओं की ओर स्थानांतरित करने की आवश्यकता पर व्यापक सहमति होने के साथ-साथ स्वस्थ और जैविक भोजन को अपनाने के लिए व्यापक चर्चा हो रही है। यह प्रमाणित हो चुका है कि अगर हम स्वस्थ और पौष्टिक भोजन करें तो कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है। अतः अधिक कीटनाशकों के उपयोग के प्रतिकूल प्रभावों के कारण स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के बीच भोजन में जैविक खाद्य उत्पादों की मांग बढ़ गई है। जैविक एवं प्राकृतिक खेती पारंपरिक ज्ञान एवं संस्कृति पर आधारित है। पारंपरिक दृष्टिकोणों के विपरीत, जैविक और प्राकृतिक खेती की रणनीतियाँ न केवल पारिस्थितिक विचारों के साथ जुड़ी हुई हैं, बल्कि समुदाय में अंतर्निहित सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक ज्ञान के साथ भी मेल खाती हैं। इसकी खेती प्रणाली जैव-भौतिकीय और सामाजिक- आर्थिक बाधाओं का निवारण करते हुए स्थानीय वातावरण  के लिए उपयुक्त होती है ।

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