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कम खेती को कम लागत से बनाया कृषि को लाभ का धंधा

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खरगोन में मोठापुरा के 65 वर्षीय किसान पंढऱी सिताराम के पास मात्र 2 एकड़ जमीन है, लेकिन इससे उनकी कमाई पर कोई असर नहीं है। इसका कारण उनकी कृषि तकनीक है। इतनी कम भूमि पर जिस तरह वो खेती करते है वो सचमुच किसी प्रयोगशाला से कम नहीं। उद्यानिकी विभाग द्वारा वर्ष 2010-11 में पंढरी को राज्य पोषित योजना के तहत फल क्षेत्र विस्तार में अमरूद का बागिचा व पौंड के लिए प्लॉस्टिक, पानी के लिए कृषि विभाग द्वारा बलराम तालाब स्वीकृत किया गया। 270 अमरूद के पौधों के साथ बागीचे से अपनी खेती की दूसरी पारी प्रारंभ की। इस समय पंढरी अमरूद के बगीचे में मौसम और समय को ध्यान में रखकर अंतरवर्तीय फसलें बड़ी चालाकी से करते जिससे अमरूद की उपज पर कोई असर न हो। अंतरवर्तीय फसलों में प्याज, लहसुन, मिर्च, मूंग, चना और मक्का घर के लिए तथा सोयाबीन, हल्दी और अदरक से पर्याप्त कमाई कर लेते है। अब तक केवल अमरूद से 6 लाख 50 हजार से अधिक का मुनाफा हुआ है। जैविक कीटनाशक स्वयं बनाकर बेंचते भी है पंढरी अपने अमरूद के बगीचे से निकले खराब अमरूद से होमियोक एसिड बनाते हैं जिसका उपयोग फसलों पर लगने वाले कीटों व अनावश्यक फफूंद पर इस्तेमाल करते हैं।

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