रिलायंस फाउण्डेशन की किसानों को सलाह
- ग्रीष्मकालीन सब्जियों एवं मूंग-उड़द में रस चूसक कीट प्रकोप की सम्भावना है इस कारण पौधों में पीला मोजेक रोग की सम्भावना रहती है ग्रसित पौधे उखाड़कर गड्ढे में नष्ट करें। कीट नियंत्रण के लिए इथोफेनप्रॉक्स 10 ई.सी. 1 लीटर या डाईमिथिएट 30 ई.सी. 750 मि.ली. प्रति हेक्टर में 600 से 700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
- रबी फसल के अनाज के भण्डारण हेतु भण्डार गृहों की साफ सफाई करें। कच्चे भण्डारगृहों की चूने से पुताई करें एवं दरारों को बंद करें।
- धान की उन्नत किस्में- गहरे खेत व सिंचाई की सुविधा हो तो महामाया, स्वर्णा, क्रांति, माधुरी जैसी प्रजातियों का चुनाव करना चाहिए। मध्यम गहरी जमीन के लिए आई आर-64, एमटीयू-100, एमटीयू-10 10, पूसा बासमती-8, पूसा बासमती-1, सुगंधा-2, सुगंधा-3, सुगंधा-5 का चुनाव करें। बहुत कम गहरी ज़मीन के लिए धान की उपयुक्त किस्मों में पूर्णिमा, तुलसी, कलिंगा,205, जे.आर.345 प्रजातियां हैं।
उद्यानिकी
- कद्दूवर्गीय सब्जियों में रसचूसक कीट के नियंत्रण के लिये इमिडाक्लोप्रिड या थायोमिथाक्सम दवा 0.35 से 0.45 ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें। फलछेदक इल्ली, रेड पम्पकिन बीटल व फलमक्खी के नियंत्रण हेतु ट्रायजोफॉस दवा की 800.0 मिली. प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें।
- बढ़ते हुये तापमान को देखते हुये केला तथा पपीते के फलों एवं पत्तियों की झुलसने की संभावना रहती है उसके बचाव के लिए फलों को पट्टियां एवं बोरों से ढक दें तथा पौधों को गर्म हवा से बचाने के लिए वायुअवरोधक का उपयोग करें।
पशुपालन
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- पशुओं को तेज धूप से बचाने के उपाय करें पशुओं मे लू लगने के लक्षण दिखने पर नमक एवं शक्कर का घोल पिलाएं पशुओं को पीने हेतु साफ व ठण्डा पानी दिन मे तीन बार दें।
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