रिलायंस फाउण्डेशन की किसानों को सलाह
- मूँगफली, मक्का, सोयाबीन की फली बनने/दाना भरने की अवस्था में हैं। यह अवस्था पानी के लिए क्रांतिक अवस्था हैं अत: फसलों में निश्चित अंतराल में सिंचाई करें।
- अरहर में पत्ती लपेटक का प्रकोप अधिक है तो इंडाक्साकार्ब का 5 मिली/10 लीटर की दर से छिड़काव करें।
- चूहों के प्रकोप से बचाव हेतु मेढ़ों को साफ रखें। जहाँ प्रकोप अधिक हो वहां पहले खेत में चूहों के सारे बिलों को बंद कर दें तत्पश्चात दूसरे दिन सुबह खुले हुए बिलों में कनकी एवं सरसों तेल मिलाकर 5 दिन तक लगातार डालें, छटवें दिन 25 ग्राम जिंक फास्फाइड 2.5 प्रतिशत, 25 ग्राम सरसों का तेल एवं 950 ग्राम कनकी को मिलाकर छोटे-छोटे लड्डू के रूप में खुले हुए बिलों में डालें।
- धान में पत्ती लपेटक एवं तना छेदक कीट नियंत्रण हेतु ट्राईजोफॉस 40 प्रतिशत ई सी 400 मिली या एसिफेट 75 प्रतिशत एस पी 400 ग्राम/एकड़ की दर से 150 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
उद्यानिकी
- सब्जी वाली फसलों में जमीन में नमीं कम होती जा रही हैं, अत: फसलों में निश्चित अंतराल में सिंचाई करें।
- नीबूवर्गीय पौधों पर नींबू की तितली इल्ली का प्रकोप होते हैं जो पत्तियों को खाकर अधिक नुकसान पहुंचाती है।
इस पत्ती भक्षक इल्ली के नियंत्रण के लिए आरंभिक अवस्था में जैविक कीटनाशक डायलेप एक किलोग्राम पानी में घोल कर 0.05 प्रतिशत छिड़कें।
पशुपालन
- सितम्बर माह में बकरियों, भेड़ों को एंटोरोटोक्सीमिया नामक बीमारी का टीका अवश्य लगवायेंं।
- पशुबाड़े एवं मुर्गीघरों में दिन के समय पंखा चलाकर रखें ताकि सीलानयुक्त हवा बाहर निकलती रहे एवं उमस वाला वातावरण न हो।
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