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टाटा वायरॉन का जागरूकता अभियान

इंदौर। प्रदेश में कृषि कार्यों में तार के बढ़ते उपयोग, विशेष रूप से जंगली जानवरों से फसल के बचाव के लिये तारबंदी का उपयोग बढ़ता जा रहा है। लेकिन स्थानीय स्तर पर उचित मूल्य पर गुणवत्तायुक्त तार जानकारी के अभाव में किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा था। टाटा वायरॉन ने इस कमी को दूर करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में एक जागरूकता अभियान चलाया है। अभियान के अंतर्गत वेन केम्पेनिंग के माध्यम से सुदूर  ग्रामीण अंचलों में तार की गुणवत्ता एवं सही कीमत के लिये किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
टाटा वायरॉन के श्री मयूर अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में इस तरह का यह पहला अभियान है। इसके लिये वर्तमान में 3 वेन 15 जिलों में भ्रमण कर रही हैं। इस अभियान में किसानों की भागीदारी भी शत-प्रतिशत हो रही है तथा वे टाटा वायरॉन के तार की गुणवत्ता, सही कीमत व उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। अभियान से प्रेरित होकर कई किसानों ने टाटा वायरॉन के तारों का उपयोग प्रारंभ किया है। कई किसान, जो पहले से ही टाटा वायरॉन के नियमित ग्राहक हैं, अन्य किसानों को इसके लिये प्रेरित कर रहे हैं।
श्री अग्रवाल ने बताया कि कृषि कार्य में स्थानीय आवश्यकता के अनुसार तार के विभिन्न उपयोग हैं। उन्होंने बताया कि चम्बल क्षेत्र में खेतों के आसपास जंगल की बहुतायत के कारण खड़ी फसल में सुअर, नीलगाय जैसे जंगली जानवर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। टाटा वायरॉन के कांटेदार तारों की बाड़ से इन्हें सफलतापूर्वक रोका जा सकता है। इसी तरह शिवपुरी आदि क्षेत्रों में टमाटर की खेती में टाटा वायरॉन के तारों के सहारे टमाटर के पौधों को भूमि से ऊपर रखकर अधिक उत्पादन लिया जा रहा है। इससे टमाटर के उत्पादन में 20-40 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी जा रही है। उल्लेखनीय होगा कि टाटा वायरॉन के तार अपनी गुणवत्ता के कारण साधारण तारों की तुलना में लंबे समय तक चलते हैं। इन पर आधुनिक तकनीक से हॉट डिप जिंक कोटिंग होती है।

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