Uncategorized

कृषि विभाग का विरोध में अभिमत कृषि महाविद्यालय की जमीन देना संभव नहीं

Share

(विशेष प्रतिनिधि)
भोपाल। कृषि महाविद्यालय इंदौर की 20 एकड़ जमीन कोर्ट भवन निर्माण के लिए दिए जाने का मामला गरमाता जा रहा है। विरोध के स्वर तीखे हो गए हैं। कृषि विभाग ने भी भूमि देने का विरोध करते हुए विश्व-विद्यालय के पक्ष में अपना अभिमत दिया है। इसके साथ ही साइंटिफिक ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (सार्ड) संस्था ने भी जमीन देने के विरोध में प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को ज्ञापन दिया है।
देश एवं प्रदेश के कृषि विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कृषि महाविद्यालय इंदौर की जमीन के  मामले में कृषि विभाग ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि यह जमीन कोर्ट भवन के लिए दिया जाना संभव नहीं होगा। गत दिनों मंत्रालय में पदस्थ उपसचिव कृषि श्री बी.एस. धुर्वे ने राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव, इंदौर के संभागायुक्त एवं कलेक्टर को पत्र लिखकर कहा है कि कुलपति एवं अधिष्ठाता की अनुशंसा के अनुसार कृषि महाविद्यालय के लिये निर्धारित मापदंडों एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की गाईड लाईन के मुताबिक कृषि महाविद्यालय की जमीन कोर्ट भवन के लिये देना संभव नहीं होगा। बल्कि उन्होंने महाविद्यालय द्वारा उपयोग की जा रही जमीन का रिकार्ड भी कृषि महाविद्यालय के नाम पर किए जाने का आग्रह किया।
ज्ञातव्य है कि कृषि महाविद्यालय की जमीन देने के विरोध में पिछले कई दिनों से धरना, प्रदर्शन किया जा रहा है। इनमें कई कृषक हितैषी संगठन एवं संस्थाएं भी अपना समर्थन दे रही हैं।
बार एसोसिएशन के निर्णय का इंतजार
जानकारी के मुताबिक इस जमीनी मामले में इंदौर बार एसोसिएशन द्वारा अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। वकील भी यह निर्णय लेंगे कि नई जगह पर जाना है या नहीं। पूर्व में आयोजित साधारण सभा की बैठक टाल दी गई थी। अब इस पर पुन: विचार करने के लिये बैठक आयोजित की जाएगी। फिलहाल तिथि निर्धारित नहीं की गई है।
बहरहाल स्थिति जो भी हो परंतु खेती करने योग्य एवं अनुसंधान की इस जमीन का अधिग्रहण कृषक हित में नहीं है। इस प्रकार का निर्णय शासन का तुगलकी फरमान माना जा रहा है जो सर्वथा अनुचित है।
उल्लेखनीय है कि अपर कलेक्टर इंदौर ने भूमि आवंटन के संबंध में आपत्ति दर्ज कराने के लिए जो विज्ञप्ति प्रकाशित करवाई थी उसके तारतम्य में सूत्रों के मुताबिक आपत्तियां आने का सिलसिला लगातार जारी है। कृषक जगत में भी आपत्तियां आने का तांता लगा है। सभी चाहते हैं कि भूमि अधिग्रहण पर रोक लगे।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *