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समस्या – क्या बथुआ की खेती भी की जा सकती है क्योंकि इसके औषधि गुणों के कारण उपयोगी हंै नई जाति हो तो बतायें?

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– रघुकुल राठौर, गुना
समाधान- आपने बिल्कुल ठीक लिखा है। गेहूं तथा अन्य रबी फसलों के साथ उगने वाला बथुआ में अनेकों औषधि गुण हैं इसमें विटामिन ए एवं सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है आंतों तथा कब्ज रोगों में बहुत लाभदायक होता है आप चाहें तो थोड़े क्षेत्र में बथुआ लगा सकते हैं इसका उपयोग सब्जी-रायता में भी होता है। बवासीर रोग में भी लाभकारी पाया गया है।

  • सभी प्रकार की भूमि में पैदा किया जा सकता है। बालुई दोमट भूमि सबसे अच्छी होती है।
  • खेत की तैयारी अन्य रबी फसलों की तरह की जाये।
  • बुवाई सितम्बर के आखिरी सप्ताह से लेकर मार्च प्रथम सप्ताह तक की जा सकती है।
  • एक से डेढ़ किलो बीज प्रति हेक्टर पर्याप्त होता है। बीज को गोबर की खाद में मिलाकर बुवाई की जा सकती है।
  • कतार से कतार 30 सेमी।
  • इसकी जाति पूसा बथुआ 1 इसकी पत्तियां बैंगनी हरी पत्तियाँ 10.5 सेमी तथा चौड़ाई 3 सेमी होती है। तना भी बैंगनी रंग का होता है पहली कटाई बुआई को 40-50 दिन बाद की जा सकती है।
  • यूरिया 50-60 किलो खड़ी फसल में 2-3 भागों में बांटकर टापड्रेसिंग करें।
  • पहली सिंचाई 12-15 दिनों बाद करें।
  • बीज आने के पहले कटाई बंद कर दें।
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