रिलायंस फाउण्डेशन की किसानों को सलाह
- सूरज की रोशनी की अवधि बढऩे लगी है इसको ध्यान में रखते हुए गेहूं, चना, मटर आदि फसलों में जल प्रबंधन करें।
- फसलों में उत्पादन वृद्धि के लिए 0.52.34 का छिड़काव असिंचित अवस्था में 1.5 ग्राम तथा सिंचित अवस्था में 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
- सिंचाई के साधन उपलब्ध होने पर सरसों की फसल में दूसरी सिंचाई फूल से फली बनने पर जरूरत के अनुसार करें।
- सरसों की फसल में माहू के प्रकोप होने पर नियंत्रण हेतु एसीटामिप्रिड दवा 0.3 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें।
- देरी से बोये हुए गेहूं की फसल में पांचवीं सिंचाई दूधिया अवस्था (85 से 90 दिन) पर करें। छठवीं सिंचाई गेहूं में दूध सूखने की अवस्था (95 से 100 दिन) में सिंचाई करें।
- मसूर, चना की फसल में फलियां अगर 90 से 95 प्रतिशत पक गई हो और पत्तियां सूख कर झडऩे लग गई हों तब फसल की कटाई प्रारम्भ करें।
- गेहूं की अगेती फसल की कटाई समय से करें। दानों में नमी 18 से 20 प्रतिशत होना चाहिए और फसल को अधिक धूप में सुखाने पर फसल के दाने के बिखरने की सम्भावना रहती है जिससे हानि हो सकती है।
- ग्रीष्मकालीन फसलों की बुआई के लिए मूंग, तिल, उड़द एक अच्छा विकल्प है, अगर सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो तो इन फसलों की बुआई को 15 फरवरी से अगले माह के मध्य तक कर सकते है।
- ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल की बुआई के लिए उन्नतशील किस्मों में जवाहर मूंग-3, जवाहर मूंग-721, हम-1, पीडीएम-11, पूसा विशाल, के-851 उपयुक्त है, मूंग की फसल में गोबर की खाद 20-25 टन प्रति हेक्टर तथा उर्वरक के रूप में 20 किलोग्राम नत्रजन 40-60 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टर दें।
उद्यानिकी :
- ग्रीष्मकालीन फसलों में भिंडी की फसल की बुआई के लिए खेत की तेयारी करे व बीज की व्यवस्था करें एवं भिड़ी के बीजों को बुआई के पूर्व फफूंद नाशकों से उपचार करके उचित नमी की दशा में बुआई करें।
- आम के फल व फूलों को झडऩे से रोकने के लिए मटर के आकार वाली अवस्था पर नेप्थलिन एसिटिक एसिड /प्लानोफिक्स 4.5 प्रतिशत एसएल दवा की 1 मिली लीटर मात्रा को 3 लीटर पानी में घोल बनाकर बाँस की सहायता से 15 दिनों के अंतर पर 2 से 3 बार छिड़काव करें।
पशुपालन :
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- पशुओं की रगड़ कर मालिश करना चाहिए जिससे पशुओं के शरीर पर जो परजीवी चिपके रहते हैं वह हट जाते हैं एवं त्वचा में रक्त संचार बढ़ जाता है जिससे पशु का स्वास्थ्य ठीक रहता है और पशु की उत्पादन क्षमता में सुधार आता है।
अधिक जानकारी के लिए सुबह 9:30 से शाम 7:30 के मध्य टोल फ्री नं 18004198800 पर संपर्क करें।
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