गेहूं में इल्ली के प्रकोप से किसान चिंतित, कर रहे कीटनाशकों का छिड़काव
02 जनवरी 2023, देपालपुर(शैलेष ठाकुर, देपालपुर): गेहूं में इल्ली के प्रकोप से किसान चिंतित, कर रहे कीटनाशकों का छिड़काव – आम तौर पर गेहूं की फसल में कीटनाशक का छिड़काव नहीं किया जाता है, लेकिन देपालपुर तहसील के कई गांवों में गेहूं की फसल में तम्बाकू वाली इल्ली (टोबेको केटर पिलर ) का प्रकोप होने से किसानों द्वारा कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है। जिन गेहूं फसल में बालियां बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, वहां इसका प्रकोप अधिक देखा गया है। किसानों के अनुसार लोकवन की तुलना में तेजस किस्म में प्रकोप ज़्यादा देखा गया है। दूसरी तरफ कृषि विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी के अनुसार तहसील में गेहूं फसल को अधिक नुकसान नहीं हुआ है।
ओरंगपुरा के किसान श्री दिनेश नागर ने कृषक जगत को बताया कि 12 बीघा में बोए गेहूं में तम्बाकू वाली इल्ली का प्रकोप है। गेहूं में इल्ली इसी साल देखने में आई है। कीटनाशक का छिड़काव किया है। वहीं करजोदा के किसान श्री लोकेंद्र चौधरी ने बताया कि मेरे गेहूं में शुरू से ही इल्ली का प्रकोप है। स्प्रे करने के बाद अब इल्ली नहीं है। दो तीन साल से गेहूं में इल्ली देख रहा हूं। इस बार थोड़ी ज्यादा है, इसलिए स्प्रे किया । सुनाला के किसान श्री राजेश जाधव ने बताया कि तीन बीघा गेहूं में इल्ली का प्रकोप है और भी गांव में किसानों के यहां गेहूं फसल में इल्ली है। इसी तरह बिरगोदा के किसान श्री भारत ठाकुर के करीब 20 बीघा की गेहूं फसल में इल्ली का प्रकोप है। इन्होंने भी कीटनाशक का स्प्रे किया है।बेगंदा के किसान श्री गणेश पटेल के 45 बीघा की गेहूं फसल में इल्ली का अधिक प्रकोप देखा गया है। इनका कहना है कि गेहूं की तेजस किस्म में इल्ली का प्रकोप है, जबकि लोकवन किस्म में नहीं दिखाई दी है। इन्होंने भी कीटनाशकों का स्प्रे किया है। चांदेर के किसान संदीप नकुम ने भी गेहूं में कीटनाशक का स्प्रे किया है। इल्ली से फसल को बचाने के लिए संबंधित किसानों ने लेम्ब्डा सायहेलोथ्रीन
,इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एससी और आवश्यकतानुसार फंगीसाइड और ज़िंक का भी छिड़काव कर रहे हैं।
इस संबंध में भाकृप – कृषि अनुसन्धान केंद्र , इंदौर के वैज्ञानिक डॉ अनिल कुमार सिंह ने कृषक जगत को बताया कि पिछले 5 -7 साल से गेहूं में तम्बाकू वाली इल्ली लगने के मामले सामने आने लगे हैं, चूँकि गेहूं की फसल कठोर मानी जाती है , इसलिए ज़्यादा नुकसान नहीं करती है , लेकिन अधिक संख्या में होने पर नुकसान पहुंचा सकती है। जिन्होंने अक्टूबर में बोनी की है , उनके यहाँ बालियां लगने की अवस्था आ गई है। उन्हें सावधानी रखने की ज़रूरत है , वहीं जिन्होंने नवंबर के पहले सप्ताह तक बोनी की है ,वहां खतरा कम है। डॉ सिंह ने एक महत्वपूर्ण बात कही कि आजकल किसान खरीफ और रबी की फसल में गेप नहीं दे रहे हैं। अक्टूबर के पहले सप्ताह तक सोयाबीन कट जाता है। इसके तुरंत बाद गेहूं बो दिया जाता है, इससे ज़मीन में मौजूद अंडे और लार्वा विकसित हो जाते हैं और अगली फसल में चले जाते हैं। यदि दोनों फसलों के बीच 15 -20 दिन की गेप रखी जाए तो धूप में अंडे /लार्वा नष्ट हो जाते हैं। नवंबर के पहले सप्ताह तक या अधिकतम 20 नवंबर तक भी गेहूं की बोनी की जा सकती है। इससे इल्लियों का प्रकोप होने की आशंका कम रहती है।यदि नुकसान 5 – 7 % से कम हो तो स्प्रे करने की ज़रूरत नहीं है। इल्ली का प्रकोप देर रात को अधिक होता है , ऐसे में रात के बजाय अल सुबह स्प्रे करना चाहिए।
वहीं कृषि अनुसन्धान केंद्र , इंदौर के पैथालॉजिस्ट श्री टी एल प्रकाश ने उपचार के लिए क्विनॉलफॉस 25 ईसी 800 मि ली /हे अथवा इमामेक्टिन बेंजोएट 12.5 ग्राम ए.आई /हे का स्प्रे करने की सलाह दी है। प्रभावित क्षेत्र में किसानों द्वारा इमामेक्टिन बेंजोएट का छिड़काव किया गया है ,जिसके अच्छे नतीजे आए हैं और इल्लियों का प्रकोप कम हुआ है।
दूसरी तरफ डॉ अरुण कुमार शुक्ला ,वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र, कस्तूरबा ग्राम इंदौर द्वारा तम्बाकू वाली इल्ली ( टोबेको केटर पिलर )की रोकथाम के लिए इनमें से किसी भी एक रसायन को 150 से 200 लीटर पानी में घोलकर पावर पंप से स्प्रे करने की सलाह दी गई है। यह हैं -इमामेक्टीन बेंजोएट एससी में 450 मिली /हे और डब्ल्यूजी में 200 ग्राम / हे ,ब्रोफ्लानिलाइड 300 एससी 50 ग्राम /हे , क्लोरएंट्रानीलीपोल 150 मि ली / हे ,फ्लूबेंडामाइड 20 डब्ल्यू जी 250 ग्राम / हे और इंडोक्साकार्ब 350 मि ली / हे
श्री जितेन्द्र चारेल, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी देपालपुर ने कृषक जगत को बताया कि ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों की टीम के साथ बनेड़िया ,अटाहेड़ा, रुद्राख्या, कटकोदा,गांवों में गेहूं फसल का निरीक्षण किया गया। गेहूं फसल में अधिक नुकसान नहीं हुआ है । सभी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी क्षेत्र में भ्रमण कर रहे हैं । उन्हें निर्देशित किया गया है कि किसानों के संपर्क में रहें और उन्हें उचित परामर्श दें ।
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