राज्य कृषि समाचार (State News)किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

केले के तने से चटाइयां बनाकर आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं, बढ़ा रही हैं आमदनी

04 दिसंबर 2024, बुरहानपुर: केले के तने से चटाइयां बनाकर आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं, बढ़ा रही हैं आमदनी – मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले की पहचान न केवल अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए है, बल्कि केले की खेती के लिए भी इसे पूरे देश में जाना जाता है। केला यहां की प्रमुख फसल है, और करीब 25,239 हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी खेती होती है। जिले के 18,625 किसान इस फसल से जुड़े हुए हैं।

केले में पोषण के साथ-साथ व्यावसायिक संभावनाएं भी छिपी हैं। “एक जिला-एक उत्पाद” योजना के तहत जिला प्रशासन ने केले के तने के रेशे का उपयोग कर महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का अनूठा प्रयास किया है। इसमें राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मदद से महिलाओं को स्वरोजगार के नए अवसर दिए जा रहे हैं।

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महिलाओं के हुनर को मिल रहा नया आयाम

केले के तने से तैयार किए जाने वाले उत्पादों में चटाइयां, पर्स, टोकरियां, झूमर, तोरण, फाइल फोल्डर, पेन स्टैंड, टोपियां और की-रिंग शामिल हैं। स्व-सहायता समूह की महिलाएं इस काम में जुटी हैं। उन्हें इसके लिए तकनीकी प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दिया जा रहा है, ताकि उत्पादों की गुणवत्ता बेहतर हो और बाजार में उनकी मांग बढ़े।

बुरहानपुर के दर्यापुर सामुदायिक भवन में महिलाएं केले के तने से चटाइयां बनाने का काम कर रही हैं। चटाई की बुनाई के लिए महिलाएं विविंग मशीन का उपयोग कर रही हैं। इस मशीन की मदद से चटाई बनाने का काम न केवल आसान हो गया है, बल्कि इसकी फिनिशिंग भी बेहतरीन होती है।

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चटाई निर्माण से बढ़ रही है आय

महिलाओं के मुताबिक, एक मीटर चटाई बनाने में करीब दो घंटे का समय लगता है और इससे 200 रुपये की आमदनी होती है। चटाई की मांग के अनुसार उत्पादन की संख्या घटाई या बढ़ाई जाती है। तमिलनाडु से मंगाई गई विविंग मशीन ने इस काम को तेज और कुशल बना दिया है। इसके अलावा, केले के तने से रेशा निकालने के लिए महिलाओं को फाइबर एक्सट्रेक्टर मशीनें भी उपलब्ध कराई गई हैं। इस मशीन की मदद से तने से रेशा निकालना बेहद सरल और तेज हो गया है।

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महिलाएं न केवल इन उत्पादों को बनाकर अपनी आय बढ़ा रही हैं, बल्कि आर्थिक रूप से मजबूत होकर परिवार और समाज में अपनी पहचान भी स्थापित कर रही हैं। जिले में केले के तने का यह नवाचार न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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