इस देसी तकनीक से अब 90% बछिया ही होगी पैदा, सिर्फ ₹100 आएगा खर्चा; जानें कैसे पाएं लाभ
08 सितम्बर 2025, भोपाल: इस देसी तकनीक से अब 90% बछिया ही होगी पैदा, सिर्फ ₹100 आएगा खर्चा; जानें कैसे पाएं लाभ – पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने एक नई और आधुनिक तकनीक शुरू की है, जिसे “सेक्स सॉर्टेड सीमेन” कहा जाता है। इस तकनीक से कृत्रिम गर्भाधान के दौरान लगभग 90% मादा यानी बछिया ही पैदा होती हैं। इससे उन्नत नस्ल की गाय और भैंस पाली जा सकती हैं, जो प्रतिदिन 10 से 15 लीटर तक दूध देती हैं। इससे किसानों की आय तीन साल के भीतर 4 से 5 गुना तक बढ़ सकती है।
यह तकनीक नस्ल सुधार और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए सबसे बेहतर मानी जा रही है। आमतौर पर सामान्य कृत्रिम गर्भाधान में 50-50 प्रतिशत नर और मादा बच्चे पैदा होते हैं, जबकि इस तकनीक से मादा बच्चे पैदा होने की संभावना लगभग 90% हो जाती है। इसके कारण किसानों को अधिक दूध देने वाली गायें मिलती हैं, जिससे उनकी आय में भारी बढ़ोतरी होती है।
कम लागत में सुविधा
इस योजना के तहत सीमेन डोज का शुल्क केवल ₹100 रखा गया है। इसके अलावा, स्वयंसेवी गौ-सेवक और मैत्री कार्यकर्ता सीमेन डोज के साथ अपना उचित पारिश्रमिक भी ले सकते हैं। यह सुविधा किसानों के लिए काफी किफायती और लाभकारी साबित हो रही है।
सेवा कैसे लें?
किसान अपनी गाय या भैंस के गर्मी में आने पर निकटतम पशु चिकित्सालय, पशु औषधालय, पशु उपकेंद्र, पशु चिकित्सक या क्षेत्राधिकारी से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा मोबाइल वेटरनरी यूनिट “पशुधन संजीवनी 1962” के कॉल सेंटर पर कॉल करके भी घर पर यह सेवा प्राप्त की जा सकती है। ग्राम पंचायत के प्रशिक्षित गौ-सेवक, मैत्री कार्यकर्ता और कृत्रिम गर्भाधान प्राइवेट प्रैक्टिशनर भी इस सुविधा को घर तक पहुंचाते हैं।
कृत्रिम गर्भाधान का सही समय
जब पशु गर्मी में आता है तो उसे बांधकर रखना चाहिए। अगर गर्मी सुबह आती है तो शाम को कृत्रिम गर्भाधान कराना चाहिए, और यदि रात्रि में आती है तो अगले दिन सुबह से दोपहर तक कृत्रिम गर्भाधान करवाना जरूरी है।
क्यों अपनाएं यह तकनीक?
पहले की सामान्य तकनीकों में नर और मादा बच्चे लगभग बराबर पैदा होते थे, जिससे बैलों और पाड़ों का उपयोग कम हो गया है और वे किसानों के लिए बोझ बन गए हैं। इस नई तकनीक से केवल मादा बच्चे पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि होती है और आर्थिक लाभ होता है।
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