क्या खरीफ में सर्टिफाइड सोयाबीन सीड मिलेगा किसान को ?
(विशेष प्रतिनिधि)
14 मई 2022, भोपाल । क्या खरीफ में सर्टिफाइड सोयाबीन सीड मिलेगा किसान को – प्रदेश में खरीफ की तैयारी में जुटे किसान को चिंता सता रही है कि इस वर्ष सोयाबीन बीज मिलेगा या नहीं? बोनी कैसे होगी? क्योंकि विगत दो-तीन वर्षों से सोयाबीन बीज के लिए किसान भटक रहे हैं। इस फसल ने किसानों को मालामाल बनाया है तथा प्रदेश को सोया राज्य का दर्जा दिलाया। परन्तु इस वर्ष भी प्रमाणित सोयाबीन बीज की किल्लत हो सकती है। इधर देश में 37 लाख क्विंटल मांग के विरुद्ध 35 लाख क्विं. बीज उपलब्धता का केन्द्र ने दावा किया है इसमें 2 लाख क्विंटल की कमी है। परन्तु प्रदेश में अब तक मात्र 3 लाख 88 हजार क्विंटल सोयाबीन का प्रमाणित बीज उपलब्ध है जबकि प्रदेश में लगभग 16 लाख क्विंटल बीज की आवश्यकता होगी। ऐसे में किसान अप्रमाणित बीज की बुवाई करेगा तो उत्पादन प्रभावित होगा ही।
प्रदेश में लगभग 55 से 60 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोई जाती है। गत वर्ष 55.31 लाख हे. में सोयाबीन बोई गई थी। राज्य में बीज प्रतिस्थापन दर लगभग 32 फीसदी है इसके मुताबिक लगभग 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों को बीज बदलने की आवश्यकता पड़ेगी, इसके लिए लगभग 16 लाख क्विंटल बीज की आवश्यकता होगी यह कहां से आएगा?
म.प्र. बीज प्रमाणीकरण संस्था ने खरीफ के लिए 2 मई तक सोयाबीन का 3 लाख 88 हजार क्विं. बीज प्रमाणित किया है जबकि लक्ष्य लगभग 15 लाख क्विंटल से अधिक है। गत वर्ष 9 लाख 19 हजार क्विं. सोयाबीन बीज प्रमाणित किया गया था। जानकरी के मुताबिक इस वर्ष खरीफ के लिए सोयाबीन का बीज निगम ने 2600 क्विं., एनएससी ने 360 क्विंटल, सोसायटी ने 9230 क्विंटल एवं निजी संस्थाओं ने 3 लाख 75 हजार क्विंटल से अधिक बीज प्रमाणीकृत कराया है। लगभग एक माह का समय शेष है इतने कम समय में लगभग 12 लाख क्विंटल सोयाबीन बीज प्रमाणित हो पाएगा यह विचारणीय है। अन्यथा किसान को अप्रमाणित बीज बोकर ही काम चलाना पड़ेगा। वहीं विभागीय सूत्रों का कहना है कि लगभग 11 लाख क्विंटल सोयाबीन बीज के प्रमाणीकरण का कार्य किया जा रहा है। अब एक माह में कितना प्रमाणित बीज मिलेगा, यह समय बताएगा।
बीज की पूर्ति करना सरकार के वश की बात नहीं
किसान अपनी व्यवस्था करता है सरकार के भरोसे नहीं रहता। सरकार के वश की बात नहीं कि जितने बीज की आवश्यकता है उसकी पूर्ति कर सके। इस खरीफ में बीज की कमी पड़ेगी क्योंकि भाव अच्छा मिलने के कारण किसानों ने सोयाबीन बीज के लिए रखा ही नहीं। बीज की कमी होगी तो अप्रमाणित बीज ही बोना पड़ेगा, क्योंकि अब समय की कमी के कारण कोई स्पेशल सीड प्रोग्राम नहीं लिया जा सकता। विकल्प के तौर पर वेयर हाऊस में रखे सोयाबीन को सेम्पलिंग कर तथा जर्मीनेशन देखकर बीज के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है परन्तु इसके लिए सरकार से अनुमति लेना जरूरी है तथा सब्सिडी भी मिल पाना संभव नहीं। वैसे भी किसान अब सोयाबीन को छोड़कर अन्य फसलें लेने में रुचि दिखा रहे हैं।
* डॉ. जी.एस. कौशल
जैविक खेती विशेषज्ञ एवं
पूर्व संचालक कृषि (म.प्र.)