राज्य कृषि समाचार (State News)

बिना जुताई और बिना पराली जलाए बोया गेहूं

 जलवायु अनुकूल खेती की दिशा में बड़ा कदम

01 नवंबर 2025, छिंदवाड़ा: बिना जुताई और बिना पराली जलाए बोया गेहूं – जिले के कृषि क्षेत्र में एक बड़ा और सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। विकासखंड मोहखेड़ के ग्राम चारगांव करबल के किसान श्री प्रमोद कड़वे ने धान की कटाई के तुरंत बाद बिना जुताई (जीरो टिलेज) और बिना पराली (नरवाई) जलाए सीधे गेहूं की बुवाई कर एक मिसाल पेश की है। यह पहल बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (BISA), जबलपुर और कृषि विभाग, छिंदवाड़ा के संयुक्त तत्वावधान में संचालित ‘जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम’ की सफलता का जीवंत उदाहरण बन गई है।

जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चुनौतियों और सीमित समय के बीच यह तकनीक किसानों के लिए एक प्रभावी समाधान के रूप में उभर रही है। श्री प्रमोद कड़वे ने न केवल इस पद्धति को अपनाया, बल्कि अब ग्राम चारगांव के अन्य किसान भी स्वयं के प्रयास और अपने बीजों से इस तकनीक को अपनाने लगे हैं। इस पद्धति के अनेक लाभ हैं धान की कटाई के तुरंत बाद बुवाई से समय की बचत होती है, जुताई का खर्च पूरी तरह समाप्त हो जाता है, मेहनत कम लगती है, पराली जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती जिससे प्रदूषण घटता है और खेत को प्राकृतिक खाद मिलती है, साथ ही मिट्टी की नमी और उर्वरता भी बनी रहती है।

इस नवाचार को देखने के लिए बड़ी संख्या में किसान श्री प्रमोद कड़वे के खेत पर पहुंचे। इस अवसर पर श्री रघुवर जी, श्री सुभाष जी एवं अन्य किसान भी उपस्थित रहे। बुवाई की इस सरल, सस्ती और पर्यावरण-अनुकूल पद्धति को देखकर किसानों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। कई किसानों ने तत्परता से यह निर्णय लिया कि वे भी अपने खेतों में अब बिना जुताई और बिना पराली जलाए गेहूं की बुवाई करेंगे। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सराहनीय कदम है, बल्कि किसानों के बीच आत्मनिर्भरता और सामूहिक बदलाव की प्रेरक मिसाल भी बन रही है।

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