आधुनिक खेती में गाय के गोबर – गौमूत्र की उपयोगिता
लेखक: शीला पटेल, दमोह
24 जून 2025, भोपाल: आधुनिक खेती में गाय के गोबर – गौमूत्र की उपयोगिता – गौमाता की महत्वता हमारी खेती में इतनी ज्यादा है कि किसान के परिवार से यदि गाय को अलग कर दिया जाये तो किसान के साथ-साथ संपूर्ण मानव जाति का विनाश सुनिश्चित होगा।
गाय की उपयोगिता खेती और मानव जीवन में
गाय का गोबर जमीन के लिये अमृत :
देश-विदेश के वैज्ञानिकों ने बड़े-बड़े कृषि विश्वविद्यालयों के अनुसंधान कर्ताओं के शोध के अनुसार पाया गया है कि गाय के एक ग्राम गोबर में 300-500 करोड़ सूक्ष्म जीवाणु पाये जाते है, जो जमीन के अंदर खेती को उपजाऊ करने वाले सूक्ष्म जीवाणु है उनको जमीन से ऊपर लाने में जमीन, भुरभुरा, उपजाऊ बनाने में मददगार होते है। यह गाय का गोबर उनका सुगंधित भोजन होता है जब गाय का गोबर बंजर जमीन खेती पर डाला जाता है जहां रसायनिक खाद उपयोग की गयी या कठोर हार्ड खेती पर डाला जाता है तो जमीन के अंदर कृषि मित्र जीवाणु जैसे केचुआ, नेवला, सर्प क्रियाशील होकर जमीन को छेद करके भुरभुरा कर देते है जिससे जमीन में वर्षा का जल जमीन के अंदर तक संरक्षित होने लगता है जिससे जमीन में वर्षभर नमी बनी रहती है जिससे किसान का उत्पादन बढ़ता है।
गौ मूत्र का कृषि में महत्व:
गाय के गोबर की भांति ही गौमूत्र का हमारी खेती और मानव जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी है देश के वैज्ञानिको द्वारा यह प्रयोगशालाओं में गौमूत्र का परीक्षण कर पाया गया है कि फसलों पर जो कीटनाशक लगते है, उनको नष्ट करने के लिए गौमूत्र से बने जैविक दवाओं का छिडकाव करने पर कीटनाशक तो नष्ट होते है वह नही मर पाते है जिससे फसलों का उत्पादन बढ़ता और हमारी फसलें जहरीली नहीं होती। जिससे हमारे स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पडता है गौमूत्र के जैविक छिडकाव से हमारे कृषि मित्र परंतु पक्षी जीवाणु तथा पशु पक्षियों को कोई हानि नहीं होती है।
इसलिए आज हम कह सकते है कि आधुनिक रासायनिक युक्त खेती से मुक्ति पाने एवं खेती को पुन: उपजाऊ बनाने के लिए गाय के गोबर एवं गौमूत्र से बनी खादों एवं कीटनाशक का ही उपयोग करना चाहिए। तभी हमारा पर्यावरण जल संरक्षण एवं मानव जीवन सुरक्षित हो जायेगा।
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