राज्य कृषि समाचार (State News)

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में केंद्रीय कृषि इंजीनियरिंग संस्थान का किया दौरा

शिवराज सिंह ने सीआईएई के नवाचारों की सराहना करते हुए छोटे किसानों के लिए तकनीकी यंत्रीकरण को बताया जरूरी

23 जून 2025, भोपाल: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में केंद्रीय कृषि इंजीनियरिंग संस्थान का किया दौरा – भोपाल स्थित आईसीएआर-केंद्रीय कृषि इंजीनियरिंग संस्थान (CIAE) का आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने दौरा किया। इस दौरान संस्थान के वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए शिवराज सिंह ने कहा कि भारतीय कृषि के विकास में CIAE का योगदान सराहनीय है। उन्होंने कहा कि छोटे किसानों के लिए अनुकूल और किसान-हितैषी तकनीकों के विकास की गति को और तेज करना जरूरी है, ताकि देश के हर कोने तक आधुनिक यंत्रीकरण पहुँच सके।

इस अवसर पर डॉ . एम.एल. जाट , सचिव (DARE) एवं महानिदेशक, ICAR; डॉ . एस.एन. झा, उपमहानिदेशक (इंजीनियरिंग); डॉ . ए.के. नायक, उपमहानिदेशक (प्रसार); डॉ . सी.आर. मेहता, निदेशक, ICAR-CIAE; तथा डॉ . एम. मोहंती, निदेशक, ICAR-IISS, भोपाल की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने हाल के वर्षों में संस्थान द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा करते हुए कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, संस्थान के अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (AICRP) नेटवर्क के माध्यम से अगले दस वर्षों के लिए यंत्रीकरण की रूपरेखा तैयार की जाए। इससे विकसित भारत अभियान की दिशा में देश एक बड़ा कदम उठा सकेगा।

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श्री चौहान ने छोटे इंजन या वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से चलने वाली कृषि मशीनरी और सेंसर आधारित प्रणालियों के विकास पर बल दिया, ताकि सभी वर्ग के किसानों को समावेशी लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि खेती में तकनीकी नवाचार के साथ-साथ, किसानों की जरूरत के मुताबिक तकनीकों का खेत तक पहुँचना भी उतना ही जरूरी है।

केंद्रीय मंत्री ने संस्थान द्वारा विकसित ट्रैक्टर चालित प्लास्टिक मल्च लेयर-कम-प्लांटर सहित अन्य तकनीकों का अवलोकन किया और उनकी सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह की तकनीकी उपलब्धियां किसानों की मेहनत और लागत दोनों में कमी लाएँगी और उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। श्री चौहान ने कहा कि भारतीय कृषि को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने के लिए हमें किसानों की जरूरतों के अनुसार तकनीकी नवाचार, मृदा स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और यंत्रीकरण पर फोकस करना होगा। सभी वैज्ञानिकों और संस्थानों को मिलकर काम करना है, ताकि छोटे किसान भी तकनीकी लाभ से वंचित न रहें।

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