राज्य कृषि समाचार (State News)

खरगोन में प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न

21 फरवरी 2023, खरगोन(दिलीप दसौंधी, खरगोन): खरगोन में प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न – कृषि विज्ञान केंद्र खरगोन में गत दिनों प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि डॉ व्हाय के जैन , सह संचालक अनुसन्धान ,आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र खरगोन और विशेष अतिथि उप संचालक कृषि श्री एम एल चौहान , खरगोन थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जिले के सभी विकास खंडों से 40  किसान उपस्थित थे।

श्री  जैन ने किसानों से कृषि विज्ञान केंद्र खरगोन द्वारा प्राकृतिक खेती के विस्तार के लिए किए जा रहे प्रयासों का लाभ  उठाते हुए  मृदा और उससे उत्पादित खाद्यान्नों को स्वस्थ एवं गुणवत्तापूर्ण बनाने का प्रयास करें। श्री चौहान ने किसानों को बताया कि पूरे  जिले से प्रति वर्ष 366  करोड़ रुपए किसानों का केवल रासायनिक उर्वरकों पर खर्च हो रहा है। इस खर्च को प्राकृतिक खेती के माध्यम से बचाया जा सकता है। इस कार्य में कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विभाग भी किसानों की मदद कर रहा है।

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कृषि विज्ञान केंद्र खरगोन के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ  जी एस कुलमी ने  प्रशिक्षण की उपयोगिता बताते हुए किसानों  से कहा  कि किसी रसायन या उर्वरकों के बिना कम लागत में प्राकृतिक खेती की समस्त तकनीकों का उपयोग करके हम फसलों का भरपूर उत्पादन ले सकते हैं । डॉ आरके सिंह ने पीपीटी के माध्यम से प्राकृतिक खेती की विभिन्न तकनीकों जैसे बीजामृत , घन  जीवामृत ,जीवामृत ,दशपर्णी अर्क,नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र ,अग्निअस्त्र आदि को बनाने की विधियों को विस्तार से बताया। डॉ संजीव वर्मा ने मृदा पर रसायनों के हो रहे दुष्प्रभाव के बारे में बताते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती ही एकमात्र ऐसा साधन है ,जिसके द्वारा हम अपनी मृदा को स्वस्थ और टिकाऊ बना सकते हैं। कृषि विभाग से श्री पी एस बार्चे ने किसानों को देसी बीजों के संरक्षण एवं प्राकृतिक खेती में देसी बीजों का ही उपयोग करने पर ज़ोर दिया। प्रशिक्षण के दूसरे दिन डॉ  जी एस कुलमी ,डॉ आरके सिंह,डॉ संजीव वर्मा,डॉ एसके त्यागी ,श्री विनोद  मित्तोलिया , श्री संतोष पटेल एवं श्री पीएस  बार्चे ने  किसानों को प्रेक्टिकल के  द्वारा बीजामृत , घन  जीवामृत ,जीवामृत ,दशपर्णी अर्क,नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र ,अग्निअस्त्र आदि बनवाकर  तकनीकी रूप से दक्ष  बनाने का प्रयास किया गया। अंत में , प्रशिक्षणार्थियों को  प्रमाण पत्र दिए गए।

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