चावल निर्यात से जुड़े नियमों को और सख्त किया
01 दिसंबर 2025, भोपाल: चावल निर्यात से जुड़े नियमों को और सख्त किया – सरकार ने चावल निर्यात से जुड़े नियमों को ओर अधिक सख्त कर दिया है. बता दें कि हमारा भारत देश दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है और हर वर्ष ही लाखों टन भारत से विदेशों में भेजा जाता है.
अब देश के भीतर खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार ने चावल निर्यात से जुड़े नियमों को और सख्त कर दिया है.
इसके साथ ही भारत का चावल व्यापार एक नए बदलावों भरे दौर में प्रवेश कर रहा है. पिछले वित्त वर्ष 2024–25 में भारत ने 20.1 मिलियन टन चावल निर्यात किया था, जिसकी कीमत करीब 12.95 बिलियन डॉलर रही. यह आंकड़ा बताने के लिए काफी है कि वैश्विक चावल बाजार पर भारत का कितना बड़ा प्रभाव रहता है. लेकिन जब सरकार घरेलू आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए नियम बदलती है, तो इसका असर दुनिया के हर कोने तक पहुंचता है. देश में खाद्य सुरक्षा को लेकर कई चुनौतियां सामने आई हैं. मौसम का बदलता मिजाज, अनियमित बारिश, गर्मी की लहरें और लगातार बढ़ती खपत ने चावल के उत्पादन को प्रभावित किया है.
भारत में नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA) के तहत करीब 80 करोड़ लोगों को सब्सिडी वाले अनाज दिए जाते हैं. ऐसे में सरकार के लिए चावल के पर्याप्त स्टॉक बनाए रखना बेहद जरूरी है. इसी वजह से सरकार ने नॉन-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध, निर्यात के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) तय करना, कस्टम चेक्स को और सख्त करने जैसे कई कदम उठाए हैं. इन नियमों का उद्देश्य है—चावल की घरेलू उपलब्धता बनाए रखना और कीमतों को नियंत्रण में रखना.नए खाद्य सुरक्षा नियमों से निर्यातकों की अनिश्चितता बढ़ गई है. अक्सर निर्यात नीति मुक्त, प्रतिबंधित या प्रतिबंधित पूरी तरह बंद श्रेणियों के बीच बदलती रहती है. इससे उनके लिए शिपमेंट टाइमिंग और कॉन्ट्रैक्ट प्लानिंग करना मुश्किल हो जाता है.
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