राज्य कृषि समाचार (State News)

75 हजार करोड़ की महत्वाकांक्षी परियोजना से गांवों में 6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी

07 दिसंबर 2024, उज्जैन: 75 हजार करोड़ की महत्वाकांक्षी परियोजना से गांवों में 6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी – सूबे की मोहन सरकार की एक महत्वकांक्षी परियोजना का  लाभ उज्जैन सहित आगर मालवा इंदौर, देवास आदि को भी मिलने वाला है क्योंकि सरकार ने पार्वती कालीसिंध और चंबल नदी जोड़ो परियोजना को अंजाम दिया है।

प्रदेश की दूसरी नदी जोड़ परियोजना के लिए मप्र और राजस्थान के बीच होने वाले समझौते की तैयारी पूरी कर ली गई है।  समझौता के होने के बाद  डीपीआर के बनाने का काम शुरू हो जाएगा। इसके बाद इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य पांच साल तय किया गया है। इसकी जानकारी स्वयं मुख्यमंत्री डां मोहन यादव ने कैबिनेट के सदस्यों को दी है। उन्होंने बताया है कि राजस्थान के साथ मिलकर पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना के मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग के बाद अब उसके मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर की सहमति बन गई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश की 75 हजार करोड़ की इस महत्वाकांक्षी परियोजना से प्रदेश के 11 जिले गुना, शिवपुरी, सीहोर, देवास, राजगढ़, उज्जैन, आगर मालवा, इंदौर, शाजापुर, मंदसौर और मुरैना के 2094 गांवों में लगभग 6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी। साथ ही पेयजल एवं औद्योगिक आपूर्ति के लिए जल भी उपलब्ध होगा। योजना में मध्यप्रदेश में 21 बांध एवं बैराज बनाए जाएंगे।  पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना से प्रदेश के चंबल और मालवा क्षेत्र के लाखों किसानों का जीवन बदलेगा। उन्हें न केवल सिंचाई और पेयजल के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा, अपितु संबंधित क्षेत्र में पर्यटन और उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। इस परियोजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश की 17 परियोजनाएं एवं राजस्थान की पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना शामिल हैं। परियोजना की कुल लागत 72 हजार करोड़ रुपए प्रस्तावित है। परियोजना के क्रियान्वयन से मध्य प्रदेश के कुल लगभग 6.11 लाख हेक्टेयर नवीन क्षेत्र में सिंचाई एवं पेयजल व उद्योगों के लिए लगभग 172 मि.घ.मी. जल का प्रावधान किया गया है। परियोजना से लगभग 40 लाख परिवार लाभान्वित होंगे। संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना में मध्यप्रदेश से प्रारम्भ होने वाली पार्वती, कूनो, कालीसिंध, चंबल, क्षिप्रा एवं सहायक नदियों के जल का अधिकतम उपयोग किया जायेगा।

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