राज्य कृषि समाचार (State News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

गन्ने की ये सात किस्में, जिन्हें संस्थान ने किया है अनुशंसित

21 फ़रवरी 2025, नई दिल्ली: गन्ने की ये सात किस्में, जिन्हें संस्थान ने किया है अनुशंसित – गन्ने का उत्पादन करने वाले किसानों की कमी हमारे देश में नहीं है तो वहीं उत्तर भारत की यदि बात करें तो अधिकांश इलाकों में बसंत कालीन गन्ने की बुवाई किसानों ने शुरू कर दी है लेकिन भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने सात किस्मों को अनुशंसित किया है। यदि इन किस्मों के गन्ने की खेती की जाए तो निश्चित ही संबंधित उत्पादकों को और अधिक फायदा हो सकता है।  संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों के साथ ही  यूपी के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी ने किसानों से 15 फरवरी से गन्ने की बुवाई करने की सलाह दी थी। बसन्तकालीन गन्ने से अच्छा उत्पादन लेने के लिए किसानों को गन्ने की उन्नत किस्मों का चुनाव करना चाहिए।
 सात किस्म

गन्ने की कोलक 12207 किस्म जल्दी पकने वाली किस्मों में गिनी जाती है। उत्तर-मध्य और उत्तर-पूर्व क्षेत्र, विशेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल इस किस्म के लिए उपयुक्त हैं। यह किस्म किसानों को औसत रूप से 75.42 टन प्रति हेक्टेयर का उत्पादन दे सकती है। यह किस्म लाल सड़न रोग के लिए काफी हद तक प्रतिरोधी है। इस किस्म का गन्ना मध्यम मोटा और हल्के पीले-हरे रंग का होता है।

Advertisement
Advertisement

गन्ने की कोलक 12209 किस्म मध्यकाल में पकने वाली किस्मों में गिनी जाती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के किसान इस किस्म की बुवाई कर  सकते हैं। यह किस्म किसानों को औसतन 77.52 टन प्रति हेक्टेयर का उत्पादन दे सकती है। इस किस्म में औसत सुक्रोज 17.66 प्रतिशत है। बता दें कि जितनी अधिक गन्ने में सुक्रोज प्रतिशत होता है उतना अधिक चीनी उत्पादन होता है। यह किस्म भी लाल सड़न रोग के खिलाफ काफी हद तक प्रतिरोधी है। इस किस्म का गन्ना मध्यम मोटा होता है। वहीं, रंग हरा-सफेद होता है।

गन्ने की कोलक 11203 जल्दी पककर तैयार होने वाली किस्मों में गिनी जाती है। इस किस्म की खेती मध्य-पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इस किम्स की 10 महीने की फसल में औसत सुक्रोज प्रतिशत 18.41% पाया गया है। इस किस्म की बुवाई से किसानों को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से औसतन 82 टन का उत्पादन मिल सकता है। यह किस्म भी लाल सड़न रोग के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता रखती है।

Advertisement8
Advertisement

गन्ने की कोलक 11206 किस्म  की खेती उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसान कर सकते हैं। यह किस्म किसानों को औसतन  91.5 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन दे सकती है। इस किस्म में औसत सुक्रोज 17.65 प्रतिशत है। यह किस्म भी लाल सड़न रोग के खिलाफ काफी हद तक प्रतिरोधी है।

Advertisement8
Advertisement

गन्ने की कोलक 09204 किस्म में औसत सुक्रोज 17 प्रतिशत है। इस किस्म की खेती पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसान कर सकते हैं। उत्पादन के मामले में यह किस्म किसान को 82.8 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन दे सकती है।  लाल सड़न रोग के खिलाफ प्रतिरोध इस किस्म का गन्ना  मध्यम मोटा और हरे रंग का होता है।

कोलक 9709 किस्म का गन्ना अच्छे चीनी उत्पादन के लिए जाना जाता है। इस किस्म मेमन औसत सुक्रोज 18.04 प्रतिशत होता है। यह किस्म किसानों को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 80.0 टन का उत्पादन दे सकती है। यह किस्म भी लाल सड़न रोग के खिलाफ काफी हद तक प्रतिरोधी है।

गन्ने की कोलक 94184 किस्म की खेती पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के किसान कर सकते हैं। इस किस्म की औसत गन्ना उपज लगभग 75.97 टन प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म में सुक्रोज प्रतिशत 17.97% है। यह किस्म जल-जमाव वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाई जा सकती है। इस किस्म का गन्ना मध्यम मोटा और हलके पीले-हरे  रंग का होता है।  

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

Advertisement8
Advertisement

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement