मध्य प्रदेश की मटर और सिंघाड़े को GI टैग दिलाने की प्रक्रिया तेज
28 मार्च 2025, जबलपुर: मध्य प्रदेश की मटर और सिंघाड़े को GI टैग दिलाने की प्रक्रिया तेज – मध्य प्रदेश के जबलपुर क्षेत्र की मशहूर मटर और सिंघाड़े को जल्द ही भौगोलिक संकेत/जिओग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग मिलने की उम्मीद है। इस पहचान से इन उत्पादों की बिक्री और विपणन में बड़ा इजाफा होने की संभावना है, जिससे स्थानीय किसानों को सीधा लाभ पहुंचेगा।
मैकलसुता फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक राघवेंद्र सिंह पटेल और प्रगतिशील किसान धनंजय पटेल ने बताया कि हाल ही में नाबार्ड भोपाल के क्षेत्रीय कार्यालय में आयोजित एक बैठक में जीआई टैग के लिए चर्चा हुई। यह बैठक महानियंत्रक पेटेंट, डिजाइन एवं ट्रेडमार्क्स और भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री, चेन्नई के नेतृत्व में हुई, जिसमें प्रदेश भर से आए आवेदकों ने अपने उत्पादों की खासियत पेश की। इस दौरान कृषि और उद्यानिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।
जिला प्रशासन का योगदान
जबलपुरी मटर और सिंघाड़े को जीआई टैग दिलाने की प्रक्रिया में जिला प्रशासन, कृषि विभाग और उद्यानिकी विभाग ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया। सुनवाई के दौरान इन उत्पादों की विशिष्टता और महत्व को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया। जबलपुर के पाटन क्षेत्र की मटर और सिहोरा का सिंघाड़ा न केवल एशिया में प्रसिद्ध हैं, बल्कि इनका बड़े पैमाने पर निर्यात भी होता है। ये दोनों फसलें आसपास के किसानों की आय का प्रमुख स्रोत हैं।
प्रगतिशील किसानों का कहना है कि जीआई टैग मिलने से जबलपुर की मटर और सिंघाड़े के उत्पादन और मार्केटिंग को नई दिशा मिलेगी। सिहोरा की सिंघाड़ा मंडी और जबलपुर की मटर मंडी एशिया की सबसे बड़ी मंडियों में शुमार हैं, लेकिन अभी तक इन उत्पादों को क्षेत्रीय पहचान के साथ वैश्विक स्तर पर मान्यता नहीं मिली है। जीआई टैग के बाद किसानों को अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलेगा और क्षेत्र की पहचान भी बढ़ेगी। इससे खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा, जिससे ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
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