सत्ता के दलालों की दादागिरी से कर्ज के दल-दल में फंसेगा किसान
कृषि आदान निर्माताओं पर
11 मार्च 2023, इंदौर: सत्ता के दलालों की दादागिरी से कर्ज के दल-दल में फंसेगा किसान – मध्यप्रदेश के कृषि आदान निर्माताओं पर दूसरे वर्ष भी सत्ता के दलालों की दादागिरी शुरू हो गई है। ये तथाकथित सत्ता के दलाल जायद में मूंग बीज के साथ ही खरीफ में सोयाबीन/ बीटी कपास के बीजों आदि को लेकर फिर सक्रिय हो गए हैं। इसका किसानों पर असर पड़ेगा। कृषि आदानों के मूल्य में वृद्धि से जहाँ लागत बढ़ेगी ,वहीं गुणवत्ताहीन सामग्री से उत्पादन गिरेगा। उपज की किस्म भी खराब होगी। इसका नतीज़ा यह होगा कि किसानों की आय बढऩे के बजाय कम होगी और वह कजऱ् के दल -दल में फंस जाएगा।
मध्यप्रदेश में व्यापार करने से तौबा
बीज उत्पादक कंपनियों ,खाद /कीटनाशक निर्माताओं तक इन हरकारों के ‘शुभ -लाभ’ के संदेशे पहुँचने के साथ ही वसूली भी शुरू हो गई है। जो लाखों से शुरू होकर करोड़ों तक पहुँच गई है। इससे कृषि आदान का व्यापार करने वाले त्रस्त हैं। अवैध वसूली के लिए इन्हें कृषि कानूनों के ज़रिए भयाक्रांत किया जा रहा है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि मप्र के साथ ही दिल्ली, राजस्थान ,महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश की कई कृषि आदान कंपनियां जिनमें बीज, उर्वरक और कीटनाशक की भी शामिल है, ने मध्यप्रदेश में व्यापार करने से तौबा करने का मन बना लिया है।
किसानों को दोहरा नुकसान
इस अवैध वसूली से केवल बीज व्यापारी ही नहीं, बल्कि किसान भी प्रभावित हो रहे हैं और उन्हें दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों को न केवल महंगा बीज मिलेगा, बल्कि बीज की गुणवत्ता पर भी सवालिया निशान लगेगा , क्योंकि ‘ शुभ-लाभ ‘ के बाद बीज की गुणवत्ता गौण हो जाएगी और गुणवत्ताहीन बीज की बिक्री से उत्पादन भी कम होगा और किसानों की आय भी कम होगी, जबकि केंद्र और राज्य सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई तरह के जतन कर रही है। ऐसे में किसान हितैषी मुख्यमंत्री की चुप्पी चिंतनीय है।
वसूली के नए हथकंडे
सत्ता के दलालों द्वारा वसूली के लिए नित नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। कहीं धार्मिक कथा की आड़ में प्रायोजक के रूप में कृषि आदान कंपनियों को चंदा वसूली के लिए बाध्य किया गया। इंकार करने पर कृषि कानूनों के तहत नमूनों का ट्रेलर दिखाकर उनका ‘एक्सटॉर्शन’ किया जा रहा है। विभिन्न जगहों के नमूने लेकर उन नमूनों को फेल करने की धमकी देकर दहशत फैलाकर जबरन वसूली की जा रही है। इस तरह कंपनियों को व्यापार की मुख्य धारा से हटाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। खबर है कि इस वसूली के मुख्य सूत्रधार जल्द ही अपने गृह जिले में कृषि मेले के नाम पर वसूली का नया प्रपंच करने की तैयारी में है । वसूली के इन कर्णधारों के हौंसले इतने बुलंद है कि संबंधितों को सार्वजनिक जगहों पर डांट लगाते देखे गए हैं। इस मामले में मुख्य सूत्रधार द्वारा केंद्र के बड़े नेताओं की सिफारिशों को भी दरकिनार किया जा रहा है। यदि यह गंभीर मामला प्रदेश के मुखिया की जानकारी में नहीं है ,तो इसे इंटेलिजेंस की विफलता माना जाएगा।
नया रंगदारी टैक्स
यहाँ इस बात का उल्लेख प्रासंगिक है कि पिछले वर्षों में कृषि आदानों के मूल्यों में 20 त्न से अधिक की अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जिसमें सत्ता के इन दलालों का भरपूर योगदान रहा है। यह एक तरह का रंगदारी टैक्स ही है , जिसका खामियाज़ा किसान भुगतेंगे। कैसी विडंबना है कि किसानों की खेती में आमदनी तो बढ़ी नहीं, उल्टे कृषि आदानों की कीमतें बढऩे से कृषि लागत बढ़ गई और उन्हें उपज का वाजि़ब मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। इससे किसान कजऱ् के दल-दल में फंस जाएंगे। यह स्थिति विचारणीय है। इससे प्रधानमंत्री का किसानों की आय दुगुनी करने की योजना विफल होती दिख रही है।
सत्ता परिवर्तन का अंदेशा
बता दें कि गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार कतिपय लोगों के कन्धों पर बंदूक रखकर कृषि आदान निर्माताओं से वसूली तो हो जाएगी ,लेकिन इससे सरकार को भारी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। जन चर्चा में सत्ता परिवर्तन का भी अंदेशा जताया जा रहा है ,जो अगली बार फिर सत्ता वापसी के लिए प्रयत्नशील सरकार के लिए चिंता का विषय हो सकता है। ऐसे में इस मुद्दे पर सरकार को सतर्क रहने और ऐसी अवैध और अवांछित गतिविधियों पर रोक लगाने की ज़रूरत है।
आखिरी दांव
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भी कृषि आदान निर्माताओं को इसी तरह परेशान कर वसूली करने की व्यथा को कृषक जगत द्वारा 30 मार्च 2022 के अंक में ‘ बीज व्यापारियों पर सत्ता के दलालों की गिद्ध दृष्टि ‘और फिर 27 अप्रैल 2022 के अंक में; प्रदेश में बीज व्यापार की खाट खड़ी कर रहे कुछ लोग शीर्षक से प्रकाशित कर अभिव्यक्त किया गया था। जिसका असर यह हुआ था कि कथित वसूली पर रोक लग गई थी। लेकिन इस चुनावी साल में फिर वही लोग सिर उठा रहे हैं और आखिरी दांव में अवैध वसूली के लिए बेजा दबाव बना रहे हैं।
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